शिमला: दवाइयां बनाने के साथ-साथ इंडस्ट्री सेक्टर में भांग के महत्व को देखते हुए हिमाचल सरकार ने इसकी खेती को कानूनी रूप देने के लिए एक कदम और आगे बढ़ाया है. भांग की खेती के विभिन्न पहलुओं की स्टडी के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट को हिमाचल विधानसभा में बिना चर्चा के मंजूर कर लिया है. अब सरकार कमेटी की सिफारिशों के आधार पर एनडीपीएस एक्ट में संशोधन करेगी. भांग के बीजों का सीड बैंक तैयार किया जाएगा. इसके औषधीय उपयोग को देखते हुए राज्य सरकार का प्रयास है कि जल्द से जल्द सीड बैंक तैयार हो और भांग की खेती की जाए.
कमेटी ने हिमाचल में भांग की खेती को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड व मध्य प्रदेश का दौरा किया था. इसके अलावा जेएंडके का भी दौरा किया गया. वहां विभिन्न समूहों से इसकी खेती के विषय में चर्चा की गई और उनके अनुभव सुने गए. हिमाचल सरकार को उम्मीद है कि एक बार राज्य में भांग की खेती को कानूनी रूप मिल जाए तो उसके बाद सालाना 400 से 500 करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकेगा.
उल्लेखनीय है कि कैंसर व दिमाग के रोगों में भांग के औषधीय उपयोग का बड़ा रोल है. कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स में भी इसके बीजों से बनी दवाइयां काम आती हैं. साथ ही इंडस्ट्री सेक्टर में इसके कई उपयोग हैं. भांग के बीजों से बने तेल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसके अलावा भांग से अन्य कई प्रकार के सामान बनते हैं. इससे बने बैग, हैंड बैग व सजावट के सामान की बाजार में काफी डिमांड है. भांग की खेती से हिमाचल सरकार को राजस्व की भी आस है. रोजगार के साधन भी इससे बढ़ेंगे. राज्य की आर्थिकी में ये कदम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पिछले साल इस विषय पर चर्चा हुई थी. तब सदन में सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी की अगुवाई राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी कर रहे थे. कमेटी में देश के विख्यात न्यूरो सर्जन और वर्तमान में भरमौर से भाजपा विधायक डॉ. जनक राज, सीपीएस सुंदर ठाकुर, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. हंसराज और द्रंग के विधायक पूर्ण ठाकुर शामिल थे. कमेटी की रिपोर्ट पिछले साल सितंबर महीने में सदन में उपस्थापित की गई थी. इस बार मानसून सेशन में ये रिपोर्ट सदन में मंजूर की गई.
क्या कहती है कमेटी की रिपोर्ट: राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भांग की खेती को कानूनी दर्जा देने से पहले सरकार को एनडीपीएस एक्ट में संशोधन करना होगा. साथ ही भांग की खेती करने के इच्छुक किसानों को इसका बीज उपलब्ध करवाने के लिए सीड बैंक तैयार करना होगा. राज्य सरकार का कृषि अथवा बागवानी विभाग सीड बैंक की प्रक्रिया तय कर उसे स्थापित करेगा. इस विषय पर अनुसंधान करने के लिए चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी. औद्योगिक अथवा औषधीय उद्देश्य से भांग की खेती की एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स) भी सरकार को बनानी होगी. साथ ही इसकी मंजूरी के लिए स्टेट लेवल ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा.
कानूनी तौर पर हिमाचल में नशा रहित अथवा 0.3 टीएचसी (टैट्रा हाइड्रो कैनाबिनोल) वाली भांग के बीज को मुहैया करवाने की चुनौती होगी. कमेटी की रिपोर्ट में उत्तराखंड में सेलाकुई फार्म से लिए जा रहे 0.3 टीएचसी के बीज का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भांग की खेती को कानूनी दर्जा देने से ग्रामीण इलाकों में रोजगार तो बढ़ेगा ही, 400 से 500 करोड़ की सालाना का राजस्व भी मिलने की उम्मीद है.
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