नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने सुबह की प्रार्थना सभा में कम उपस्थिति वाले 129 छात्रों के निलंबन को वापस ले लिया है. साथ ही निलंबन के लिए किए गए ईमेल को टाइपिंग त्रुटि बताते हुए माफी भी मांग ली है. कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर जॉन वर्गीज ने छात्रों से माफी मांगते हुए एक ईमेल लिखा है. उस ईमेल में प्राचार्य ने माफी मांगते हुए लिखा है कि अब कोई निलंबन नहीं होगा. निलंबन के ईमेल की टाइपिंग में अनजाने में गंभीर त्रुटियां आ गई थीं. इसके लिए मैं दिल से माफी मांगता हूं.
प्राचार्य ने आगे लिखा कि सुबह की प्रार्थना सभा कोई धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि कॉलेज की पुरानी परंपरा है. इसमें कई धार्मिक ग्रंथो के छोटे-छोटे अंश पढ़े जाते हैं. कॉलेज दाखिला लेने वाले प्रथम वर्ष के नए छात्रों को इस प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है. बता दें कि कॉलेज ने 17 फरवरी को सुबह की प्रार्थना सभा में 60 से कम उपस्थिति वाले 129 छात्रों को निलंबित करने का ईमेल भेज दिया था. उस ईमेल में यह भी लिखा था कि आपको दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में भी बैठने नहीं दिया जाएगा. छात्रों को ईमेल के माध्यम से यह भी बताया गया था की आपको इस संबंध में बातचीत करने के लिए अपने माता पिता को भी कॉलेज में बुलाना होगा.
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प्राचार्य कार्यालय से मिले इस ईमेल को लेकर छात्रों और इकोनॉमिक्स विभाग के प्रोफेसर संजीव ग्रेवाल ने कड़ा विरोध जताते हुए प्राचार्य को पत्र लिखा था. पत्र में उन्होंने निलंबन को गलत ठहराया था. साथ ही निलंबन वापस लेने की मांग की थी. बता दें कि सेंट स्टीफेंस कॉलेज में सुबह 9:00 बजे से 9.30 बजे तक प्रार्थना सभा होती है, जिसमें प्रथम वर्ष के छात्रों को उपस्थित होना आवश्यक माना जाता है. इस प्रार्थना सभा में छात्र गीता और बाइबल की एक लाइन पढ़ते हैं. प्रार्थना सभा में 5 मिनट की देरी पर अनुपस्थित माना जाता है. इसमें 60 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होती है.
बता दें कि प्राचार्य कार्यालय से मिले ईमेल के बाद मंगलवार को कई छात्रों के अभिभावक कॉलेज प्राचार्य से मिलने कॉलेज पहुंचे थे. उन्होंने प्राचार्य से मिलने के बाद ईमेल के आदेश को लेकर आपत्ति जताई थी और छात्रों के निलंबन को वापस लेने की मांग की थी. वहीं, कई छात्रों के अभिभावकों ने बुधवार को भी प्राचार्य से मिलने के लिए समय लिया था. लेकिन, अब निलंबन वापस होने के बाद अभिभावकों को कॉलेज आने की आवश्यकता नहीं होगी. अभिभावकों को कॉलेज बुलाने को लेकर के छात्र बहुत परेशान थे, क्योंकि अधिकांश छात्र अलग-अलग राज्यों से इस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं. उनके अभिभावकों को आने के लिए समय के अलावा आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता. लेकिन अब आदेश वापस होने के बाद छात्र राहत महसूस कर रहे हैं.
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