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सोनिया का केंद्र पर हमला-कहा, माहौल हमारे पक्ष में, राष्ट्रीय राजनीति में आएगा परिवर्तन - Sonia attacked PM Modi government

Gandhi attacks Union Govt at CPP Meet: नई दिल्ली में आज कांग्रेस संसदीय दल की बैठक हुई. बताया जा रहा है कि इसमें पार्टी की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई. इस बीच सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार की आलोचना की.

Sonia Gandhi
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी (ANI)
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By ANI

Published : Jul 31, 2024, 1:44 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को मोदी सरकार की आलोचना की. उन्होंने दावा किया कि 2021 से लंबित जनगणना कराने का उनका कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि जनगणना कराने में विफलता न केवल देश की जनसंख्या का सटीक अनुमान लगाने में बाधा उत्पन्न करेगी, बल्कि 12 करोड़ से अधिक नागरिकों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और जनजातियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभ से वंचित करेगी.

राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि सरकार का 2021 में होने वाली जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है. इससे हम देश की जनसंख्या खासकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का सटीक अनुमान नहीं लगा पाएंगे.

केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि कुछ ही महीनों में चार राज्यों में चुनाव होने वाले हैं. हमें लोकसभा चुनावों में हमारे लिए जो उत्साह और सद्भावना देखी गई है. इसे बरकरार रखना होगा. हमें आत्मसंतुष्ट और अति-आत्मविश्वासी नहीं बनना चाहिए. 'माहौल' हमारे पक्ष में है, लेकिन हमें उद्देश्य की भावना के साथ एकजुट होकर काम करना होगा. मैं यह कहने की हिम्मत करती हूं कि अगर हम लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव आएगा.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इसका यह भी मतलब है कि हमारे कम से कम 12 करोड़ नागरिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के लाभ से वंचित हैं. इसे अब पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के रूप में फिर से पेश किया गया है. सोनिया गांधी ने सीपीपी बैठक में अपने भाषण में वायनाड भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की.

मैं सबसे पहले वायनाड में आई भयावह आपदा से पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. तबाही का स्तर बहुत बड़ा है. राज्य में हमारे सहयोगियों ने हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए खुद को तैयार कर लिया है. देश के अन्य हिस्सों में भी भीषण बाढ़ आई है और हम प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं.

उन्होंने कहा, 'प्राकृतिक आपदाओं के अलावा, हमारे लोग कुप्रबंधन के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं में भी अपनी जान गंवाते रहते हैं. हमारी संवेदनाएं इन पीड़ितों के साथ हैं.' 2024-25 के बजट के बारे में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों, खास तौर पर किसानों और युवाओं से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के तरीके की आलोचना की. उन्होंने कहा, 'देश भर में करोड़ों परिवार बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई से तबाह हो रहे हैं, जबकि सरकार आत्ममुग्ध हुई है.'

उन्होंने कहा, 'खासकर किसानों और युवाओं की मांगों को नजरअंदाज किया गया है. कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आवंटन से उन कार्यों के साथ न्याय नहीं हुआ है, जिन्हें पूरा किया जाना था. प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और अन्य लोगों द्वारा बजट और इसकी तथाकथित उपलब्धियों की चर्चा करने के बावजूद व्यापक निराशा है. केंद्र सरकार, खासकर इसका शीर्ष नेतृत्व आत्ममुग्धता में है, जबकि देश भर में करोड़ों परिवार बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई से तबाह हैं.

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के तहत शिक्षा प्रणाली की स्थिति की भी आलोचना की और प्रतियोगी परीक्षाओं में कमियों का दावा किया. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों ने कई युवाओं की उम्मीदों को कुचल दिया है और एनसीईआरटी, यूजीसी और यूपीएससी जैसी संस्थाओं की अखंडता को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ सालों में शिक्षा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.

देश को आगे ले जाने के बजाय, पूरी शिक्षा प्रणाली को दोषपूर्ण और हेरफेर वाली दिखाया जा रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं की अनुमति देने के तरीके के उजागर होने से लाखों युवाओं का विश्वास टूट गया है और उनके भविष्य को गहरा झटका लगा है. एनसीईआरटी, यूजीसी और यहां तक ​​कि यूपीएससी जैसी संवैधानिक संस्थाओं का पेशेवर चरित्र और स्वायत्तता लगभग नष्ट हो गई है.

ये भी पढ़ें- राहुल का सनसनीखेज आरोप, 'अनुराग ठाकुर ने मुझे दी गाली, पर नहीं चाहिए माफी', जाति जनगणना का उठा मुद्दा

नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को मोदी सरकार की आलोचना की. उन्होंने दावा किया कि 2021 से लंबित जनगणना कराने का उनका कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि जनगणना कराने में विफलता न केवल देश की जनसंख्या का सटीक अनुमान लगाने में बाधा उत्पन्न करेगी, बल्कि 12 करोड़ से अधिक नागरिकों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और जनजातियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभ से वंचित करेगी.

राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि सरकार का 2021 में होने वाली जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है. इससे हम देश की जनसंख्या खासकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का सटीक अनुमान नहीं लगा पाएंगे.

केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि कुछ ही महीनों में चार राज्यों में चुनाव होने वाले हैं. हमें लोकसभा चुनावों में हमारे लिए जो उत्साह और सद्भावना देखी गई है. इसे बरकरार रखना होगा. हमें आत्मसंतुष्ट और अति-आत्मविश्वासी नहीं बनना चाहिए. 'माहौल' हमारे पक्ष में है, लेकिन हमें उद्देश्य की भावना के साथ एकजुट होकर काम करना होगा. मैं यह कहने की हिम्मत करती हूं कि अगर हम लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव आएगा.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इसका यह भी मतलब है कि हमारे कम से कम 12 करोड़ नागरिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के लाभ से वंचित हैं. इसे अब पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के रूप में फिर से पेश किया गया है. सोनिया गांधी ने सीपीपी बैठक में अपने भाषण में वायनाड भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की.

मैं सबसे पहले वायनाड में आई भयावह आपदा से पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. तबाही का स्तर बहुत बड़ा है. राज्य में हमारे सहयोगियों ने हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए खुद को तैयार कर लिया है. देश के अन्य हिस्सों में भी भीषण बाढ़ आई है और हम प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं.

उन्होंने कहा, 'प्राकृतिक आपदाओं के अलावा, हमारे लोग कुप्रबंधन के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं में भी अपनी जान गंवाते रहते हैं. हमारी संवेदनाएं इन पीड़ितों के साथ हैं.' 2024-25 के बजट के बारे में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों, खास तौर पर किसानों और युवाओं से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के तरीके की आलोचना की. उन्होंने कहा, 'देश भर में करोड़ों परिवार बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई से तबाह हो रहे हैं, जबकि सरकार आत्ममुग्ध हुई है.'

उन्होंने कहा, 'खासकर किसानों और युवाओं की मांगों को नजरअंदाज किया गया है. कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आवंटन से उन कार्यों के साथ न्याय नहीं हुआ है, जिन्हें पूरा किया जाना था. प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और अन्य लोगों द्वारा बजट और इसकी तथाकथित उपलब्धियों की चर्चा करने के बावजूद व्यापक निराशा है. केंद्र सरकार, खासकर इसका शीर्ष नेतृत्व आत्ममुग्धता में है, जबकि देश भर में करोड़ों परिवार बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई से तबाह हैं.

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के तहत शिक्षा प्रणाली की स्थिति की भी आलोचना की और प्रतियोगी परीक्षाओं में कमियों का दावा किया. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों ने कई युवाओं की उम्मीदों को कुचल दिया है और एनसीईआरटी, यूजीसी और यूपीएससी जैसी संस्थाओं की अखंडता को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ सालों में शिक्षा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.

देश को आगे ले जाने के बजाय, पूरी शिक्षा प्रणाली को दोषपूर्ण और हेरफेर वाली दिखाया जा रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं की अनुमति देने के तरीके के उजागर होने से लाखों युवाओं का विश्वास टूट गया है और उनके भविष्य को गहरा झटका लगा है. एनसीईआरटी, यूजीसी और यहां तक ​​कि यूपीएससी जैसी संवैधानिक संस्थाओं का पेशेवर चरित्र और स्वायत्तता लगभग नष्ट हो गई है.

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