नई दिल्ली: क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक आज से अनिश्चितकालीन उपवास शुरू कर रहे हैं. उन्हें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री से मिलने की उनकी मांग पर सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. वांगचुक एक महीने पहले लेह से शुरू हुई 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व कर रहे थे. 'पदयात्रा' का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी द्वारा किया गया था, जो करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ, पिछले चार वर्षों से लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है.
सोनम वांगचुक के मुताबिक, उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री के कार्यालय को पत्र लिखकर समय मांगा था और उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उन्हें शुक्रवार शाम 5 बजे तक बैठक के बारे में सूचित किया जाएगा, लेकिन सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, इसलिए हम शनिवार से धरने पर बैठेंगे. शुक्रवार को जानकारी दिए जाने के दौरान मंच पर लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा और लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के अन्य सदस्य, सज्जाद कारगिली, असगर करबलाई, त्सेरिंग पुंचोक और अशरफ अली बरचा उपस्थित थे.
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने हमें आश्वासन दिया. उन्होंने हमें राजघाट जाने और अपना उपवास तोड़ने के लिए कहा जो हमने हिरासत में रहते हुए शुरू किया था. उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे हमें शीर्ष नेतृत्व से मिलने का समय देंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं कहा इसलिए हमारे पास अनशन पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.- सोनम वांगचुक
वांगचुक की अपील: वांकचुक ने अधिकारियों से अनशन के लिए जंतर मंतर में जगह उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है, लेकिन उन्हें अभी तक कोई पुष्टि नहीं मिली है और उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और संगठनों से उन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए जगह उपलब्ध कराने की अपील की है. उन्होंने कहा, हम किसी भी उचित स्थल पर अपना उपवास रखेंगे. यह शांतिपूर्ण होगा. हम महात्मा गांधी द्वारा दिखाए गए 'सत्याग्रह' के मार्ग पर चलेंगे. हमें उम्मीद है कि हमें जंतर-मंतर मिलेगा, लेकिन अगर हमें अनुमति नहीं मिली तो हम जहां भी जगह दी जाएगी, वहां बैठेंगे.
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चार सूत्री मांगों पर हो बातचीत: लद्दाख में स्थानीय लोग लद्दाख की पारिस्थितिकी की सबसे अच्छी तरह रक्षा कर सकते हैं, लेकिन निर्णय लेने में उनकी कोई भूमिका नहीं है. हम एक प्रकार के स्थायी राज्यपाल शासन के अधीन हैं जहां निर्णय लेने के लिए जन प्रतिनिधि नहीं हैं. हम शीर्ष राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ बैठक की मांग करते हैं और लद्दाख की चार सूत्री मांगों पर बातचीत फिर से शुरू होनी चाहिए. गौरतलब है कि सोमवार रात दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से सोनम वांगचुक और लद्दाख के 150 लोगों को हिरासत में लिया गया था. उन्हें बुधवार को राजघाट स्थित महात्मा गांधी के स्मारक पर ले जाया गया और उसके बाद रिहा कर दिया गया था.
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