चंडीगढ़: लद्दाख के पर्यावरण एक्टिविस्ट, इंजीनियर और इनोवेटर सोनम वांगचुक अपने 150 साथियों के साथ पैदल यात्रा करते हुए शनिवार को चंडीगढ़ पहुंचे. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सोनम वांगचुक ने कहा कि 1 सितंबर को हम करीब 150 साथियों के साथ लद्दाख से निकले थे. हमारा मकसद अपनी लद्दाख और हिमालय को बचाने की है. इसीलिए शांतिपूर्ण तरीके से पैदल मार्च करते हुए दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाने जा रहे हैं. दिल्ली पहुंचकर हम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री समेत बड़े मंत्रियों से मुलाकात करेंगे.
लद्दाख बचाने के लिए स्थानीय को मिले अधिकार
सोनम वांगचुक ने कहा कि संविधान में हिमालय और हमारे आदिवासी हितों की रक्षा के लिए संविधान की छठी अनुसूची में पर्याप्त प्रावधान है. जरूरत है तो उसे लागू करने की. हम चाहते हैं कि सरकार लद्दाख समेत पूरे हिमालय को संरक्षित करने के लिए उन प्रावधानों को लागू करे. और अगर जरूरत पड़े तो नये कानून भी बनाये. उन्होंने कहा कि लद्दाख को बचाने के लिए यहां के स्थानीय लोगों को अधिकार मिले ना कि बाहर से आने वालों को.
6ठी अनुसूची का प्रावधान लागू किए जायें- वांगचुक
छठी अनुसूची स्थानीय आदिवासी लोगों को हक और जिम्मेदारी देता है कि आप संभालें इस क्षेत्र को. कैसे विकास करना है. उनकी भागीदारी सुनिश्चित करता है. उन्हें नियम कानून का अधिकार देता है. जो हजारों साल से वहां रहते आ रहे हैं उनके हाथ में ज्यादा सुरक्षित है. ना कि 2-3 साल के लिए आने वालों के हाथ में. वो सिर्फ लद्दाख को निचोड़कर चले जायेंगे.
संरक्षण के लिए हिमालय को विशेष दर्जा दिया जाये
सोनम वांगचुक ने कहा कि 6ठी अनुसूची की तरह दूसरे राज्यों में भी प्रावधान होना चाहिए जो हिमालय को संरक्षित रख सके. हिमालय हमारा जल स्रोत है. हमारे पानी का कुआं है. उसको विशेष दर्जा देकर उसको संरक्षित करना चाहिए. केवल लद्दाख ही नहीं दूसरे राज्यों में भी इस तरह के प्रावधान बनाये जायें.
'पैर में छाले, चेहरे पर मुस्कान है'
सोनम वांगचुक ने कहा कि चंडीगढ़ से निकलने के बाद वे डेराबस्सी से होते हुए हरियाणा में दाखिल होंगे. जिसके बाद वो दो अक्टूबर को दिल्ली के राजघाट पहुंच कर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात करके अपनी बात रखेंगे. उन्होंने बताया कि उनके साथ महिलाएं, पूर्व सैनिक और 80 से ज्यादा उम्र के लोग चल रहे हैं. उनके पैर में छाले हैं लेकिन चेहरे पर मुस्कान है.
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