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समस्तीपुर शारदा सिन्हा की कर्मभूमि, कोने-कोने से जुड़ी हैं उनकी यादें

समस्तीपुर शारदा सिन्हा की कर्मभूमि है. 38 साल इस शहर में रहकर सेवा दी. यहां के कोने-कोने से उनकी यादें जुड़ी हैं. पढ़ें पूरी खबर.

शारदा सिन्हा की यादें
शारदा सिन्हा की यादें (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 9, 2024, 2:27 PM IST

समस्तीपुरः प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें बिहार के कोने-कोने से जुड़ी है. बिहार के सुपौल में शारदा सिन्हा की जन्मभूमि और बेगूसराय में ससुराल है लेकिन समस्तीपुर उनकी कर्मभूमि रही है. शारदा सिन्हा समस्तीपुर में लंबे समय तक रहीं. समस्तीपुर वुमेंस कॉलेज में प्रोफेसर थी.

समस्तीपुर 38 साल तक सेवा दीः समस्तीपुर शहर के काशीपुर में शारदा सिन्हा का 'आशावरी' नाम से आवास है, जहां वुमेंस कॉलेज में सेवा के दौरान रहा करती थीं. 38 साल तक वुमेंस कॉलेज में संगीत प्रोफेसर के तौर पर सेवा दी. 2017 में रिटायर्ड होने के बाद यहां से चली गयी. तब से यह घर खाली है. हालांकि समस्तीपुर से उनका लगाव कम नहीं हुआ. रियाटर्मेंट के बाद भी कभी-कभी समस्तीपुर आकर लोगों से मुलाकात करती थी.

श्री कृष्णा भोजनालय के संचालक (ETV Bharat)

सिन्हा के निधन से हर कोई दुखीः समस्तीपुर वुमेंस कॉलेज के पास श्री कृष्णा भोजनालय नाम से एक होटल चल रहा है. इस होटल के संचालक अनिक लाल साह शारदा सिन्हा को याद कर भावुक हो गए. अनिक साह कहते हैं कि शारदा सिन्हा को सभी लोग बहुत याद करते हैं. खासकर महिला वर्ग काफी दुखी है. जिस दिन शारदा सिन्हा का निधन हुआ उस दिन अनिक साह की पत्नी खूब रोयी थी.

समस्तीपुर वुमेंस कॉलेज
समस्तीपुर वुमेंस कॉलेज (ETV Bharat)

पेड़ा प्रेमी थीं शारदा सिन्हाः अनिक साह बताते हैं कि वे दुकान में पेड़ा भी बेचते हैं. शारदा सिन्हा उनकी दुकान का पेड़ा बहुत पसंद करती थी. जब भी वे कॉलेज से निकलती थी तो इस दुकान से पेड़ा खरीदकर जरूर घर ले जाती थी. सप्ताह में दो से तीन दिन पेड़ा लेने के लिए आती थी. अनिक साह का भी संगीत लगाव है इसलिए वे शारदा सिन्हा के गाने सुना करते हैं.

"जब भी कॉलेज आते थे तो दुकान से पेड़ा लेते थे. शारदा सिन्हा पेड़ा के बहुत शौकिन थे. मुझे भी संगीत से प्यार था तो उनका गाना सुनते थे. सप्ताह में दो से तीन बार दुकान जरूर आते थे. उन्हें भूलने वाला कोई नहीं है. बिहार की जितनी महिलाएं हैं सब उन्हें याद कर रो रहीं है. निधन के बाद मेरी पत्नी भी रो रही थी." -अनिक लाल साह, दुकानदार

शारदा सिन्हा का घर
शारदा सिन्हा का घर (d)

बता दें कि 5 नवंबर की शाम शारदा सिन्हा का निधन दिल्ली में हो गया. शारदा सिन्हा दिल्ली एम्स में भर्ती थी. लंबे समय से बीमार रहने के कारण वेंटिलेटर पर थी. बुधवार की शाम निधन के बाद उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी थी कि 'मां को छठी मईया अपने पास बुला ली है." निधन के बाद शुक्रवार को पटना में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था.

शारदा सिन्हा के घर के बाहर लगा नेमप्लेट
शारदा सिन्हा के घर के बाहर लगा नेमप्लेट (d)

मिल चुके हैं कई अवार्डः शारदा सिन्हा प्रसिद्ध लोकगायिका थी. बिहार ही नहीं पूरे देशभर में शारदा सिन्हा के गाने सुने जाते रहे हैं. देश-विदेशों में शारदा सिन्हा के द्वारा गाए गए छठ गीत पसंद किए जाते रहे हैं. गायिकी के क्षेत्र में इन्हें पद्म भूषण सहित कई अवार्ड भी मिल चुके हैं.

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समस्तीपुरः प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें बिहार के कोने-कोने से जुड़ी है. बिहार के सुपौल में शारदा सिन्हा की जन्मभूमि और बेगूसराय में ससुराल है लेकिन समस्तीपुर उनकी कर्मभूमि रही है. शारदा सिन्हा समस्तीपुर में लंबे समय तक रहीं. समस्तीपुर वुमेंस कॉलेज में प्रोफेसर थी.

समस्तीपुर 38 साल तक सेवा दीः समस्तीपुर शहर के काशीपुर में शारदा सिन्हा का 'आशावरी' नाम से आवास है, जहां वुमेंस कॉलेज में सेवा के दौरान रहा करती थीं. 38 साल तक वुमेंस कॉलेज में संगीत प्रोफेसर के तौर पर सेवा दी. 2017 में रिटायर्ड होने के बाद यहां से चली गयी. तब से यह घर खाली है. हालांकि समस्तीपुर से उनका लगाव कम नहीं हुआ. रियाटर्मेंट के बाद भी कभी-कभी समस्तीपुर आकर लोगों से मुलाकात करती थी.

श्री कृष्णा भोजनालय के संचालक (ETV Bharat)

सिन्हा के निधन से हर कोई दुखीः समस्तीपुर वुमेंस कॉलेज के पास श्री कृष्णा भोजनालय नाम से एक होटल चल रहा है. इस होटल के संचालक अनिक लाल साह शारदा सिन्हा को याद कर भावुक हो गए. अनिक साह कहते हैं कि शारदा सिन्हा को सभी लोग बहुत याद करते हैं. खासकर महिला वर्ग काफी दुखी है. जिस दिन शारदा सिन्हा का निधन हुआ उस दिन अनिक साह की पत्नी खूब रोयी थी.

समस्तीपुर वुमेंस कॉलेज
समस्तीपुर वुमेंस कॉलेज (ETV Bharat)

पेड़ा प्रेमी थीं शारदा सिन्हाः अनिक साह बताते हैं कि वे दुकान में पेड़ा भी बेचते हैं. शारदा सिन्हा उनकी दुकान का पेड़ा बहुत पसंद करती थी. जब भी वे कॉलेज से निकलती थी तो इस दुकान से पेड़ा खरीदकर जरूर घर ले जाती थी. सप्ताह में दो से तीन दिन पेड़ा लेने के लिए आती थी. अनिक साह का भी संगीत लगाव है इसलिए वे शारदा सिन्हा के गाने सुना करते हैं.

"जब भी कॉलेज आते थे तो दुकान से पेड़ा लेते थे. शारदा सिन्हा पेड़ा के बहुत शौकिन थे. मुझे भी संगीत से प्यार था तो उनका गाना सुनते थे. सप्ताह में दो से तीन बार दुकान जरूर आते थे. उन्हें भूलने वाला कोई नहीं है. बिहार की जितनी महिलाएं हैं सब उन्हें याद कर रो रहीं है. निधन के बाद मेरी पत्नी भी रो रही थी." -अनिक लाल साह, दुकानदार

शारदा सिन्हा का घर
शारदा सिन्हा का घर (d)

बता दें कि 5 नवंबर की शाम शारदा सिन्हा का निधन दिल्ली में हो गया. शारदा सिन्हा दिल्ली एम्स में भर्ती थी. लंबे समय से बीमार रहने के कारण वेंटिलेटर पर थी. बुधवार की शाम निधन के बाद उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी थी कि 'मां को छठी मईया अपने पास बुला ली है." निधन के बाद शुक्रवार को पटना में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था.

शारदा सिन्हा के घर के बाहर लगा नेमप्लेट
शारदा सिन्हा के घर के बाहर लगा नेमप्लेट (d)

मिल चुके हैं कई अवार्डः शारदा सिन्हा प्रसिद्ध लोकगायिका थी. बिहार ही नहीं पूरे देशभर में शारदा सिन्हा के गाने सुने जाते रहे हैं. देश-विदेशों में शारदा सिन्हा के द्वारा गाए गए छठ गीत पसंद किए जाते रहे हैं. गायिकी के क्षेत्र में इन्हें पद्म भूषण सहित कई अवार्ड भी मिल चुके हैं.

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