देहरादून: देशभर में आज दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. दिवाली का त्योहार जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है, मगर आज के ठीक एक साल पहले साल 2023 में 12 नवंबर की सुबह उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में कुछ ऐसा हुआ कि 41 परिवारों की जान सांसत में आ गई थी. इस दिन की सुबह उनकी खुशियों पर ब्रेक लगाने वाली खबर आई. उत्तरकाशी के सिल्याकार से आने वाले इस खबर ने तब देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी. इस घटना का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि खुद पीएम मोदी इसका हर दिन का अपडेट ले रहे थे. उन्होंने अपने एक केंद्रीय मंत्री को हालात सामान्य होने तक यहां डेरा डालने को कहा. इसके बाद उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी उत्तरकाशी के सिलक्यारा में कैंप किया. क्या है ये पूरी घटना आइये आपको विस्तार से बताते हैं.
बता दें 12 नवंबर की सुबह से उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंस गये थे. 12 नवंबर की सुबह लगभग 5:30 बजे टनल में लैंडस्लाइड की सूचना मिली. तब 40 मजदूरों के फंसे होने की सूचना मिली, इसके बाद प्रशासन ने आनन फानन में मोर्चा संभाला. रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. स्थानीय मजदूर और एसडीआरएफ की टीमों ने मिलकर मजदूरों को निकालने की कोशिश की. टनल के भीतर सबसे पहले ऑक्सीजन की कमी को दूर करने की कोशिशें की गई. इसके लिए पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन को अंदर पहुंचाया गया
13 नवंबर को सीएम धामी और गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने हालातों का जायजा लिया. इसके बाद आपदा सचिव भी मौके पर पहुंचे. सभी ने मिलकर आगे की योजना बनाई. 13 नवंबर को ही ऑगन मशीन टनल में पहुंची, जिसको इंस्टॉल करने के बाद फिर मलबा हटाने का काम शुरू हुआ. 14 नवंबर को ऑगनमशीन खराब हो गई. जिससे रेस्क्यू की उम्मीदों को झटका लगा. इस बीच बाहर टनल में फंसे मजदूरों को परिजन भी बैचेन थे. उन्होंने भी धरना प्रदर्शन शुरू किया. तब राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन की टीम ने उन्हें समझाया. इसके बाद 15 नवंबर को वायुसेना का विमान उत्तरकाशी पहुंचता है. विमान के जरिए एक विशालकाय मशीन भी हवाई पट्टी पर पहुंच जाती है. मशीन को टनल तक पहुंचाकर इसे इंस्टॉल किया जाता है. जिसके बाद फिर से ड्रिलिंग का कार्य शुरू होता है.
16 नवंबर को केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह मौके पर पहुंचते हैं. वे टनल में फंसे मजदूरों के परिजनों से बातचीत करते हैं. 16 नवंबर को ही मशीन 18 मीटर पाइप अंदर पहुंच जाती है.17 नवंबर को मशीन खराब हो जाती है. जिससे काम फिर से रुक जाती है. इसके बाद इंदौर से एक नई मशीन मंगवाई जाती है. 18 और 19 नवंबर को भी ड्रिलिंग का काम जारी रहता है. इसी दिन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सिलक्यारा टनल पहुंचे. उन्होंने सुरंग में फंसे लोगों का हाल समाचार लिया. इसके बाद 20 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स भी मदद के लिए सिलक्यारा पहुंचे. डिक्स ने टनल और उसके आसपास का सर्वे किया. इसके बाद वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए दो स्थान चयनित किए गए. इसके साथ ही टनल में फंसे मजदूरों को भोजन देने के लिए 6 इंच के पाइप डालने का काम हुआ. टनल के ऊपर पहाड़ से ड्रिलिंग के लिए बीआरओ ने सड़क निर्माण किया.
इसके बाद 21 नवंबर को 10 दिन से अंदर फंसे मजदूरों का पहला वीडियो सामने आया. 21 नवंबर को ही पहली बार सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए पका हुआ भोजन गया. 22 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन ने तेजी पकड़ी. इसके बाद ड्रिलिंग 45 मीटर तक पहुंची. 23 नवंबर गुरुवार तड़के स्टील की रॉड को कटर की मदद से काटकर ड्रिलिंग मशीन के रास्ते से अलग किया गया. इसके बाद 24 नवंबर को अमेरिकन हैवी ड्रिलिंग ऑगर मशीन से ड्रिलिंग रोकी गई. इसके बाद एनडीआरएफ ने 13 दिन से फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए अभ्यास यानी मॉक ड्रिल की.
26 नवंबर को वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ. इसके बाद मजदूरों के बिल्कुल नजदीक पहुंचने के बाद 27 नवंबर को रैट माइनर्स ने मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की. जिसके बाद 28 नवंबर को ब्रेक थ्रू मिला. 28 नवंबर को भारत का सबसे लंबा, सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हुआ. इसके बाद टनल के अंदर 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाला गया.
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