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माता-पिता कट्टर कांग्रेसी नेता मगर बेटी की किस्मत BJP ने बदली, दिलचस्प है हिमाद्री का पॉलिटिकल एंट्री - himadri singh political career

एमपी के शहडोल लोकसभा से बीजेपी की उम्मीदवार हिमाद्री सिंह के राजनीतिक करियर से ज्यादा दिलचस्प उनकी कहानी है. हिमाद्री के पिता और माता कट्टर कांग्रेसी रहे, लेकिन पार्टी बदलने के बाद बेटी की किस्मत मानो बदल ही गई. पढ़िए सांसद व बीजेपी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह के जीवन से जुड़े दिलचस्प किस्से

HIMADRI SINGH POLITICAL CAREER
माता-पिता कट्टर कांग्रेसी, बेटी की किस्मत BJP ने बदली, दिलचस्प है हिमाद्री का राजनीतिक जीवन
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 28, 2024, 10:27 PM IST

Updated : Mar 29, 2024, 10:55 AM IST

शहडोल। लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. मध्य प्रदेश में पहले ही चरण में जिन लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. उसमें शहडोल लोकसभा सीट भी शामिल है. 19 अप्रैल को यहां मतदान होगा, जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. कांग्रेस बीजेपी सभी ने अपने-अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान भी कर दिया है. नामांकन फार्म भी भरे जा चुके हैं. बीजेपी ने एक बार फिर से सांसद हिमाद्री सिंह पर ही भरोसा जताया है. उन्हें फिर से शहडोल लोकसभा सीट से चुनावी मैदान पर उतार दिया है. लोकसभा के रण में आज बात आदिवासी महिला नेता व भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री सिंह की. जिनका राजनीतिक करियर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

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जनता को संबोधित करती हिमाद्री सिंह

हिमाद्री पर भरोसा बरकरार

शहडोल लोकसभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यहां पर एक बार फिर से बीजेपी ने अपनी महिला सांसद हिमाद्री सिंह पर ही भरोसा जताया है. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीट के लिए बीजेपी ने जिन प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है. इस बार 29 में से 6 सीट पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. जिसमें से शहडोल लोकसभा सीट से हिमाद्री सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. हिमाद्री सिंह वर्तमान में इस लोकसभा सीट से सांसद भी हैं और इन पर सब की नजर भी है, क्योंकि शुरुआत से ही हिमाद्री सिंह का राजनीतिक करियर किसी फिल्मी कहानी से कम भी नहीं है.

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बीजेपी सांसद हिमाद्री सिंह

माता-पिता कट्टर कांग्रेसी

हिमाद्री सिंह के राजनीतिक करियर की बात करें, तो हिमाद्री सिंह का बचपन ही राजनीतिक पृष्ठभूमि के इर्द गिर्द गुजरा है. शहडोल भले ही आदिवासी बहुल सीट है और आदिवासी आरक्षित सीट है, लेकिन हिमाद्री सिंह के माता-पिता का यहां पर एक दौर ऐसा भी था, जब बड़ा वर्चस्व था. हिमाद्री के पिता का नाम दलवीर सिंह है, तो माता का नाम राजेश नंदिनी है. दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन दलवीर सिंह और राजेश नंदिनी दोनों ही कट्टर कांग्रेसी रहे हैं. शहडोल लोकसभा सीट पर उनकी तूती बोलती थी. शहडोल लोकसभा सीट में दलवीर सिंह तीन बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद रह चुके हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस सांसद रहते हुए दो बार दलबीर सिंह केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.

इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि उनका कद आदिवासी अंचल में कितना बड़ा था. फिर इसके बाद जब शहडोल लोकसभा सीट पर 1999 में अजीत जोगी के हारने के बाद भाजपा ने एक बार फिर से अपना कब्जा जमा लिया था, तो फिर 2009 के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस की जिसने वापसी कराई थी वो हिमाद्री सिंह की माता और कांग्रेस की कट्टर नेता राजेश नंदिनी ही थीं, जो 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी नरेंद्र मरावी को भारी मतों के अंतर से हराया था. एक बार फिर से शहडोल लोकसभा सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई थी और सांसद बनीं थीं.

जिसे मां ने चुनाव में हराया, बाद में उसी से की शादी

क्रिकेट की पिच हो या फिर सियासी पिच हो यहां बॉल कभी भी किसी भी ओर टर्न कर सकती है. आजकल की जो सियासत चल रही है, वहां बहुत कुछ देखने को भी मिल रहा है. हिमाद्री के माता-पिता भले ही कट्टर कांग्रेसी रहे, लेकिन हिमाद्री के राजनीतिक करियर में बदलाव का दौर तब शुरू हुआ. जब हिमाद्री सिंह ने साल 2017 में भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी कर ली और उसी के बाद से उनके राजनीतिक करियर में एक बड़ा बदलाव भी आया. जो इनके लिए किस्मत कनेक्शन वाला भी रहा. नरेंद्र मरावी बीजेपी के वो नेता हैं, जिन्हें हिमाद्री सिंह की मां ने 2009 के चुनाव में भारी मतों के अंतर से हराया था. जब नरेंद्र मरावी की हिमाद्री से शादी हुई. उसके बाद हिमाद्री ने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गईं.

पार्टी बदलते ही बदल गया राजनीतिक करियर

माता-पिता कट्टर कांग्रेसी थे तो फिर बेटी भला कैसे पार्टी इतनी आसानी से छोड़ सकती थी. जब 2016 में उप चुनाव हुए उसमें कांग्रेस ने युवा महिला नेता के तौर पर हिमाद्री सिंह को टिकट दिया और चुनावी मैदान पर उतारा, उस दौरान हिमाद्री सिंह को काफी मजबूत प्रत्याशी भी माना जा रहा था. ऐसा माना जा रहा था कि इस चुनाव में हिमाद्री को उनकी मां के गुजर जाने की सहानुभूति का भी सहारा मिलेगा. उनके सामने बीजेपी के कद्दावर नेता व सीनियर आदिवासी नेता ज्ञान सिंह की चुनौती थी. उस चुनाव में घमासान तो रोचक हुआ, लेकिन हिमाद्री सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद 2017 में हिमाद्री सिंह शादी के बाद बीजेपी में शामिल हो गईं. जिसके साथ ही उनके राजनीतिक करियर ने भी एक नई उड़ान भरी, जो अब सतत ऊंचाइयों पर उड़ती ही जा रही है. वो सफलता की सीढ़ियों को चढ़ती जा रही हैं.

जब बीजेपी ने दिया टिकट

2019 के जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे, उस दौरान शहडोल लोकसभा सीट पर बहुत कुछ हो रहा था. हिमाद्री सिंह बीजेपी ज्वाइन कर चुकी थीं. भारतीय जनता पार्टी ने हिमाद्री सिंह को अपना प्रत्याशी भी बना दिया था, तो वहीं हिमाद्री सिंह के सामने महिला नेता व पूर्व विधायक प्रमिला सिंह की चुनौती थी. प्रमिला सिंह उस समय नाराज होकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. कांग्रेस ने प्रमिला सिंह को अपना प्रत्याशी भी बनाया था. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हिमाद्री सिंह ने प्रमिला सिंह को करारी शिकस्त दी थी. इस जीत के साथ ही हिमाद्री सिंह पहली बार सांसद भी बन गई थीं. इस जीत के साथ ही उनका राजनीतिक करियर भी लगातार ऊंचाइयों पर पहुंचता गया.

32 साल की उम्र में बनीं थीं सांसद

हिमाद्री सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के साथ ही हिमाद्री सिंह ने एक नया इतिहास भी बनाया था. हिमाद्री सिंह एक पढ़ी-लिखी और वो महिला आदिवासी नेता हैं. जो महज 32 साल की उम्र में ही सांसद बन गई थीं. ये भी उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

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हिमाद्री सिंह ने भरा नामांकन

माता-पिता कब-कब रहे सांसद ?

शहडोल लोकसभा की सांसद व बीजेपी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह का ससुराल तो भाजपाई है, लेकिन मायका कांग्रेसी है. हिमाद्री सिंह के माता-पिता कट्टर कांग्रेसी रहे हैं.दलबीर सिंह कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक रहे हैं. उनकी इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में एक बड़ी साख भी रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सन 1980 से 84 तक दलबीर सिंह शहडोल लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर पहली बार सांसद बने थे. उसके बाद 1984 से 1989 तक दलबीर सिंह दूसरी बार भी कांग्रेस की टिकट से शहडोल लोकसभा सीट से सांसद रहे. इतना ही नहीं 1991 में एक बार फिर से कांग्रेस की टिकट पर दलबीर सिंह सांसद बनकर आए और 1996 तक रहे.

इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि इस क्षेत्र में दलबीर सिंह की कितनी बड़ी साख थी और फिर उसके बाद जब बीजेपी ने 1996 में कांग्रेस के इस किले को ध्वस्त किया था. फिर साल 2009 में दलबीर सिंह की पत्नी और हिमाद्री सिंह की मां राजेश नंदिनी को कांग्रेस ने चुनावी मैदान पर उतरा था. उस दौर में राजेश नंदिनी ने जीत हासिल की थी. 2009 से 2014 तक वह शहडोल लोकसभा सीट से सांसद रहीं.

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पार्टी बदली, लेकिन माता-पिता की राह पर

जिस तरह से हिमाद्री सिंह के माता-पिता दलबीर सिंह और राजेश नंदिनी शहडोल लोकसभा सीट से कई बार जीत कर सांसद बने. ठीक उन्हीं की राह पर उनकी बेटी हिमाद्री सिंह भी हैं. हिमाद्री सिंह ने भले ही पार्टी बदल ली है, लेकिन उनका राजनीतिक जीवन कुछ वैसा ही गुजर रहा है. हिमाद्री सिंह के राजनीतिक करियर को भले ही कांग्रेस से उड़ान नहीं मिली थी, लेकिन बीजेपी में शामिल होते ही हिमाद्रि 2019 में सांसद बन गईं. एक बार फिर से बीजेपी ने हिमाद्री को प्रत्याशी बनाया है. अगर इस बार भी हिमाद्री सिंह ये चुनाव जीत जाती हैं, तो वो शहडोल लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार महिला सांसद बनने का रिकॉर्ड भी बना देंगी.

शहडोल। लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. मध्य प्रदेश में पहले ही चरण में जिन लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. उसमें शहडोल लोकसभा सीट भी शामिल है. 19 अप्रैल को यहां मतदान होगा, जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. कांग्रेस बीजेपी सभी ने अपने-अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान भी कर दिया है. नामांकन फार्म भी भरे जा चुके हैं. बीजेपी ने एक बार फिर से सांसद हिमाद्री सिंह पर ही भरोसा जताया है. उन्हें फिर से शहडोल लोकसभा सीट से चुनावी मैदान पर उतार दिया है. लोकसभा के रण में आज बात आदिवासी महिला नेता व भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री सिंह की. जिनका राजनीतिक करियर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

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जनता को संबोधित करती हिमाद्री सिंह

हिमाद्री पर भरोसा बरकरार

शहडोल लोकसभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यहां पर एक बार फिर से बीजेपी ने अपनी महिला सांसद हिमाद्री सिंह पर ही भरोसा जताया है. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीट के लिए बीजेपी ने जिन प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है. इस बार 29 में से 6 सीट पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. जिसमें से शहडोल लोकसभा सीट से हिमाद्री सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. हिमाद्री सिंह वर्तमान में इस लोकसभा सीट से सांसद भी हैं और इन पर सब की नजर भी है, क्योंकि शुरुआत से ही हिमाद्री सिंह का राजनीतिक करियर किसी फिल्मी कहानी से कम भी नहीं है.

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बीजेपी सांसद हिमाद्री सिंह

माता-पिता कट्टर कांग्रेसी

हिमाद्री सिंह के राजनीतिक करियर की बात करें, तो हिमाद्री सिंह का बचपन ही राजनीतिक पृष्ठभूमि के इर्द गिर्द गुजरा है. शहडोल भले ही आदिवासी बहुल सीट है और आदिवासी आरक्षित सीट है, लेकिन हिमाद्री सिंह के माता-पिता का यहां पर एक दौर ऐसा भी था, जब बड़ा वर्चस्व था. हिमाद्री के पिता का नाम दलवीर सिंह है, तो माता का नाम राजेश नंदिनी है. दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन दलवीर सिंह और राजेश नंदिनी दोनों ही कट्टर कांग्रेसी रहे हैं. शहडोल लोकसभा सीट पर उनकी तूती बोलती थी. शहडोल लोकसभा सीट में दलवीर सिंह तीन बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद रह चुके हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस सांसद रहते हुए दो बार दलबीर सिंह केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.

इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि उनका कद आदिवासी अंचल में कितना बड़ा था. फिर इसके बाद जब शहडोल लोकसभा सीट पर 1999 में अजीत जोगी के हारने के बाद भाजपा ने एक बार फिर से अपना कब्जा जमा लिया था, तो फिर 2009 के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस की जिसने वापसी कराई थी वो हिमाद्री सिंह की माता और कांग्रेस की कट्टर नेता राजेश नंदिनी ही थीं, जो 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी नरेंद्र मरावी को भारी मतों के अंतर से हराया था. एक बार फिर से शहडोल लोकसभा सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई थी और सांसद बनीं थीं.

जिसे मां ने चुनाव में हराया, बाद में उसी से की शादी

क्रिकेट की पिच हो या फिर सियासी पिच हो यहां बॉल कभी भी किसी भी ओर टर्न कर सकती है. आजकल की जो सियासत चल रही है, वहां बहुत कुछ देखने को भी मिल रहा है. हिमाद्री के माता-पिता भले ही कट्टर कांग्रेसी रहे, लेकिन हिमाद्री के राजनीतिक करियर में बदलाव का दौर तब शुरू हुआ. जब हिमाद्री सिंह ने साल 2017 में भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी कर ली और उसी के बाद से उनके राजनीतिक करियर में एक बड़ा बदलाव भी आया. जो इनके लिए किस्मत कनेक्शन वाला भी रहा. नरेंद्र मरावी बीजेपी के वो नेता हैं, जिन्हें हिमाद्री सिंह की मां ने 2009 के चुनाव में भारी मतों के अंतर से हराया था. जब नरेंद्र मरावी की हिमाद्री से शादी हुई. उसके बाद हिमाद्री ने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गईं.

पार्टी बदलते ही बदल गया राजनीतिक करियर

माता-पिता कट्टर कांग्रेसी थे तो फिर बेटी भला कैसे पार्टी इतनी आसानी से छोड़ सकती थी. जब 2016 में उप चुनाव हुए उसमें कांग्रेस ने युवा महिला नेता के तौर पर हिमाद्री सिंह को टिकट दिया और चुनावी मैदान पर उतारा, उस दौरान हिमाद्री सिंह को काफी मजबूत प्रत्याशी भी माना जा रहा था. ऐसा माना जा रहा था कि इस चुनाव में हिमाद्री को उनकी मां के गुजर जाने की सहानुभूति का भी सहारा मिलेगा. उनके सामने बीजेपी के कद्दावर नेता व सीनियर आदिवासी नेता ज्ञान सिंह की चुनौती थी. उस चुनाव में घमासान तो रोचक हुआ, लेकिन हिमाद्री सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद 2017 में हिमाद्री सिंह शादी के बाद बीजेपी में शामिल हो गईं. जिसके साथ ही उनके राजनीतिक करियर ने भी एक नई उड़ान भरी, जो अब सतत ऊंचाइयों पर उड़ती ही जा रही है. वो सफलता की सीढ़ियों को चढ़ती जा रही हैं.

जब बीजेपी ने दिया टिकट

2019 के जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे, उस दौरान शहडोल लोकसभा सीट पर बहुत कुछ हो रहा था. हिमाद्री सिंह बीजेपी ज्वाइन कर चुकी थीं. भारतीय जनता पार्टी ने हिमाद्री सिंह को अपना प्रत्याशी भी बना दिया था, तो वहीं हिमाद्री सिंह के सामने महिला नेता व पूर्व विधायक प्रमिला सिंह की चुनौती थी. प्रमिला सिंह उस समय नाराज होकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. कांग्रेस ने प्रमिला सिंह को अपना प्रत्याशी भी बनाया था. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हिमाद्री सिंह ने प्रमिला सिंह को करारी शिकस्त दी थी. इस जीत के साथ ही हिमाद्री सिंह पहली बार सांसद भी बन गई थीं. इस जीत के साथ ही उनका राजनीतिक करियर भी लगातार ऊंचाइयों पर पहुंचता गया.

32 साल की उम्र में बनीं थीं सांसद

हिमाद्री सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के साथ ही हिमाद्री सिंह ने एक नया इतिहास भी बनाया था. हिमाद्री सिंह एक पढ़ी-लिखी और वो महिला आदिवासी नेता हैं. जो महज 32 साल की उम्र में ही सांसद बन गई थीं. ये भी उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

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हिमाद्री सिंह ने भरा नामांकन

माता-पिता कब-कब रहे सांसद ?

शहडोल लोकसभा की सांसद व बीजेपी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह का ससुराल तो भाजपाई है, लेकिन मायका कांग्रेसी है. हिमाद्री सिंह के माता-पिता कट्टर कांग्रेसी रहे हैं.दलबीर सिंह कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक रहे हैं. उनकी इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में एक बड़ी साख भी रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सन 1980 से 84 तक दलबीर सिंह शहडोल लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर पहली बार सांसद बने थे. उसके बाद 1984 से 1989 तक दलबीर सिंह दूसरी बार भी कांग्रेस की टिकट से शहडोल लोकसभा सीट से सांसद रहे. इतना ही नहीं 1991 में एक बार फिर से कांग्रेस की टिकट पर दलबीर सिंह सांसद बनकर आए और 1996 तक रहे.

इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि इस क्षेत्र में दलबीर सिंह की कितनी बड़ी साख थी और फिर उसके बाद जब बीजेपी ने 1996 में कांग्रेस के इस किले को ध्वस्त किया था. फिर साल 2009 में दलबीर सिंह की पत्नी और हिमाद्री सिंह की मां राजेश नंदिनी को कांग्रेस ने चुनावी मैदान पर उतरा था. उस दौर में राजेश नंदिनी ने जीत हासिल की थी. 2009 से 2014 तक वह शहडोल लोकसभा सीट से सांसद रहीं.

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विंध्य में जिस जिले के कलेक्टर रहे अजीत जोगी, वहीं से लोकसभा में हारे चुनाव, फिर ऐसे बन गए मुख्यमंत्री

पार्टी बदली, लेकिन माता-पिता की राह पर

जिस तरह से हिमाद्री सिंह के माता-पिता दलबीर सिंह और राजेश नंदिनी शहडोल लोकसभा सीट से कई बार जीत कर सांसद बने. ठीक उन्हीं की राह पर उनकी बेटी हिमाद्री सिंह भी हैं. हिमाद्री सिंह ने भले ही पार्टी बदल ली है, लेकिन उनका राजनीतिक जीवन कुछ वैसा ही गुजर रहा है. हिमाद्री सिंह के राजनीतिक करियर को भले ही कांग्रेस से उड़ान नहीं मिली थी, लेकिन बीजेपी में शामिल होते ही हिमाद्रि 2019 में सांसद बन गईं. एक बार फिर से बीजेपी ने हिमाद्री को प्रत्याशी बनाया है. अगर इस बार भी हिमाद्री सिंह ये चुनाव जीत जाती हैं, तो वो शहडोल लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार महिला सांसद बनने का रिकॉर्ड भी बना देंगी.

Last Updated : Mar 29, 2024, 10:55 AM IST
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