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मध्य प्रदेश में यहां बंदरों की हुकूमत, बिगाड़ दी गांव की इकोनॉमी, रसोई से चट कर जाते हैं पूरा खाना - Monkeys Ruined Village Economy

मध्य प्रदेश में एक गांव ऐसा जहां किसी इंसान की नहीं बल्कि बंदर की हुकूमत चलती है. आलम यह है कि बंदरों ने इस गांव का नक्शा ही बिगाड़ के रख दिया है, यहां तक कि बंदरों ने गांव की इकोनॉमी भी बिगाड़ दी है. जानिए इस गांव और बंदर से जुड़ी कहानी...

MONKEYS RUINED VILLAGE ECONOMY
मध्य प्रदेश में यहां बंदरों की हुकूमत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 18, 2024, 10:14 PM IST

Updated : Jul 18, 2024, 10:26 PM IST

शहडोल। आज हम आपको एक ऐसे गांव की खबर बताने जा रहे हैं. जहां कि इकोनॉमी बंदरों ने बिगाड़ दी है. अब आप के जेहन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि क्या वाकई कोई बंदर किसी गांव की इकोनॉमी बिगाड़ सकता है, तो जनाब ये बिल्कुल सच है. ये अभी से नहीं बल्कि कई सालों से इस गांव के लोगों का बहुत नुकसान कर रहे हैं. आलम ये है कि अब इस गांव का नक्शा ही बदल गया है. घरों में सब्जियां लगाना लोग बंद कर चुके हैं, जहां बंदर हैं, वहां फसल लगाना ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती है, इतना ही नहीं अब तो इन बंदरों का आतंक इतना है, कि इस गांव के लोग बहुत ज्यादा परेशान भी हो चुके हैं. अब ये लोगों को काट भी लेते हैं, देखिए ईटीवी भारत की यह ग्राउंड रिपोर्ट.

मध्य प्रदेश में यहां बंदरों की हुकूमत (ETV Bharat)

यहां चलती है सिर्फ बंदरों की हुकूमत

शहडोल जिला मुख्यालय से लगा हुआ है, जंगलों के बीचों-बीच प्राकृतिक सुंदरता की गोद में बसा हुआ है. ग्राम ऐन्ताझर, एक ऐसा गांव जहां जाते ही आपको प्रकृति की असल खूबसूरती देखने को मिलेगी, लेकिन जैसे ही इस गांव में आप एंट्री करेंगे तो इस गांव की सबसे बड़ी समस्या आज दो-तीन दशक से जो बनी हुई है, वो लाल मुंह के बंदरों का आतंक है. गांव में अब इन बंदरों का आतंक इतना बढ़ चुका है, कि अब इनकी संख्या लगभग हजार के करीब ही होगी. पहले कम संख्या में बंदर थे, लेकिन अब संख्या इतनी हो गई है, उस हिसाब से इनका आतंक भी बढ़ चुका है. जिससे इस गांव के ग्रामीण पूरी तरह से परेशान हैं. आलम ये है कि अब इस गांव में सिर्फ बंदरों की हुकूमत चलती है, बंदरों के आगे अब ग्रामीण भी पस्त हो चुके हैं.

बंदरों ने बिगाड़ दी इस गांव की इकोनॉमी

बंदरों की तस्वीरों को देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इनका गांव में कितना आतंक है. पहले कम संख्या में यह बंदर हुआ करते थे, तो ग्रामीणों के घरों की जो बाड़ी थी वो हरी भरी हुआ करती थी. साल के 12 महीने इस गांव की बाड़ियों से सब्जियां निकलती थी. जो पूरी तरह से जैविक होती थी. साथ ही इससे कई लोगों के घरों की दो वक्त की रोजी रोटी भी चलती थी. कई लोग इन सब्जियों को बेचकर अपना घर भी चलाते थे, लेकिन आज इस गांव की जो बाड़ियां हैं, वो सूनी पड़ी हैं, वहां सब्जियां लगाने की जगह पर आपको बड़े-बड़े घास दिखाई देंगे. इतना ही नहीं अब घरों में लोग कोई भी फसल लगाने से परहेज करते हैं, क्योंकि लागत तो लग जाती है लेकिन मिलने को एक डंठल नहीं होता है.

SHAHDOL MONKEY TERROR
कटहल खाता बंदर (ETV Bharat)

जिन घरों में सब्जी होती थी और उससे उनका की रोजी-रोटी चलती थी अब उन्होंने अपने रोजगार का अंदाज ही बदल लिया है. उनका कहना है फसल लगाते हैं लेकिन सब कुछ बंदर चट कर जाते हैं, तो फिर किसलिए मेहनत करें. अगर हम यहां मेहनत करेंगे और कुछ नहीं मिलेगा तो घर कैसे चलेगा, इसलिए अब वह घरों की इन बाड़ियों को सूना ही छोड़ देते हैं. जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी इससे फर्क पड़ा है. एक तरह से कहें तो इस गांव के लोगों की आर्थिक इकोनॉमी ही बिगड़ गई है.

बंदरों ने दिया सब्जी व्यापारियों को रोजगार

बंदरों ने दिया सब्जी व्यापारियों को रोजगार अगर इस तरह की बातें करें तो आपको लगेगा कि आखिर कोई बंदर कैसे सब्जी व्यापारियों को रोजगार दे सकता है, लेकिन शहडोल जिले से लगभग 8 से 10 किलोमीटर दूर लगे हुए इस गांव में बंदरों ने सच में सब्जी व्यापारियों को एक तरह से रोजगार भी दिया है, क्योंकि पहले इस गांव में हर घर में लोग सब्जी उगा लेते थे, क्योंकि हर घर में पानी की अच्छी व्यवस्था है. लोग इतने तो जरूर संपन्न थे की लागत भी लगा लेते थे और उसी की आमदनी से घर में खाने की सब्जियां भी उगाते थे. लेकिन अब बंदरों की वजह से उनके घरों की बाड़ियां खाली पड़ी है. ऐसे में दूसरे गांव के सब्जी व्यापारी यहां आते हैं और सब्जियां बेचते हैं. इन सब्जी व्यापारियों को भी इस गांव में बंदरों ने एक तरह से रोजगार दिला दिया है.

MONKEYS DESTROY FARMS SHAHDOL
बंदरों से परेशान पूरा गांव (ETV Bharat)

ग्रामीणों ने बताया बंदरों के आतंक की कहानी

किराना दुकान चला रहे अभिषेक गुप्ता कहते हैं कि 'उनके घर में अच्छी लंबी बाड़ी और अच्छा खासा कुआं भी है. जिसमें कभी पानी खत्म नहीं होता. कुछ साल पहले वह घर में सब्जी लगा लेते थे, जिससे घर के खाने को सब्जी हो जाती थी. इसके अलावा कुछ सब्जी बेच भी लेते थे, लेकिन अब आलम यह है की पूरी बाड़ी खाली पड़ी है. कई सालों से वहां कुछ भी नहीं लग रहे हैं. पूरा फोकस अपने इस किराना व्यापार पर कर रहे हैं. यहां हर कुछ अब खरीद कर मिलता है.

MONKEYS ATTACKING PEOPLE
लोगों पर हमला करते हैं बंदर (ETV Bharat)

अब तो हिंसक भी हो रहे ये बंदर

नमन श्रीवास्तव जो की युवा हैं, वह बताते हैं कि बंदरों का आतंक कब दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. सब्जी तो नहीं लगा पा रहे हैं, साथ ही ये बंदर अब इतने हिंसक हो रहे हैं कि लोगों को काट भी दे रहे हैं. कहीं पर भी इन बंदरों का झुंड लोगों को दौड़ाने लगता है, अगर कोई छोटा बच्चा फंस गया तो काट भी देते हैं. अगर घर के दरवाजे खुले हैं, तो घरों के अंदर घुस जाते हैं. सामान घर के अंदर से निकलकर घरों के छतों में लेकर खेलने लगते हैं. इसके अलावा अगर आपकी रसोई में घुस गए तो फिर समझिए आज का खाना आपको नहीं मिलने वाला. यह बंदर ही सफा चट कर जाएंगे. अब ये बंदर नुकसान के अलावा लोगों के लिए खतरनाक भी हो चुके हैं. इनकी संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. पूरा गांव इन बंदरों के आतंक से परेशान है.

MONKEYS ATTACKING PEOPLE
घरों में घुस रहे बंदर (ETV Bharat)

घरों के नक्शे बदल गए

ग्रामीण मुन्ना चौधरी कहते हैं कि गांव में अधिकतर कच्चे मकान मिलते हैं. कच्चे मकान की सबसे बड़ी खूबसूरती होती है कि मकान बना हो उसके ऊपर मिट्टी के जो खपड़े बने होते हैं, छत के रूप में उन खपडों से ढका जाता है. इन बंदरों की वजह से अब गांव के लोग उसे भी लगाना बंद कर चुके हैं. जिससे सीजन में जिन आदिवासी समुदाय के लोगों को इन मिट्टी के खपड़ों से कुछ आमदनी हो जाती थी, उनका रोजगार भी बंद हो चुका है.

MONKEYS RUINED VILLAGE ECONOMY
शहडोल में बंदरों की हुकूमत (ETV Bharat)

यहां पढ़ें...

पचमढ़ी का लुटेरा बंदर बना लखपति, पैसा न संभला तो हवा में उड़ाने लगा 500-500 के नोट

एक गांव ऐसा भी! बंदर की याद में ग्रामीणों ने कराया मुंडन, दसवीं पर भंडारे का आयोजन

दिनों दिन बढ़ रही संख्या

ग्रामीण बताते हैं कि इन बंदरों की संख्या अब दिनों दिन बढ़ती जा रही है. इन बंदरों को लेकर कई बार शिकायतें की गई. अपनी तरफ से ग्रामीण सब कुछ कर चुके हैं, लेकिन इन बंदरों का आतंक खत्म नहीं हो रहा है, बल्कि बढ़ता ही जा रहा है. जिस तरह से इनकी संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. यह बंदर अब खतरनाक भी हो रहे हैं. ग्रामीणों ने अब इन बंदरों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया है और अपने रोजगार के साधन बदल लिए हैं. एक तरह से कहा जाए तो ग्रामीणों ने भी अब इन बंदरों से हार मान ली है और उन्हें ही एक तरह से पूरा गांव सौंप दिया है और अब इन बंदरों की ही हुकूमत इस गांव में चलती है.

शहडोल। आज हम आपको एक ऐसे गांव की खबर बताने जा रहे हैं. जहां कि इकोनॉमी बंदरों ने बिगाड़ दी है. अब आप के जेहन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि क्या वाकई कोई बंदर किसी गांव की इकोनॉमी बिगाड़ सकता है, तो जनाब ये बिल्कुल सच है. ये अभी से नहीं बल्कि कई सालों से इस गांव के लोगों का बहुत नुकसान कर रहे हैं. आलम ये है कि अब इस गांव का नक्शा ही बदल गया है. घरों में सब्जियां लगाना लोग बंद कर चुके हैं, जहां बंदर हैं, वहां फसल लगाना ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती है, इतना ही नहीं अब तो इन बंदरों का आतंक इतना है, कि इस गांव के लोग बहुत ज्यादा परेशान भी हो चुके हैं. अब ये लोगों को काट भी लेते हैं, देखिए ईटीवी भारत की यह ग्राउंड रिपोर्ट.

मध्य प्रदेश में यहां बंदरों की हुकूमत (ETV Bharat)

यहां चलती है सिर्फ बंदरों की हुकूमत

शहडोल जिला मुख्यालय से लगा हुआ है, जंगलों के बीचों-बीच प्राकृतिक सुंदरता की गोद में बसा हुआ है. ग्राम ऐन्ताझर, एक ऐसा गांव जहां जाते ही आपको प्रकृति की असल खूबसूरती देखने को मिलेगी, लेकिन जैसे ही इस गांव में आप एंट्री करेंगे तो इस गांव की सबसे बड़ी समस्या आज दो-तीन दशक से जो बनी हुई है, वो लाल मुंह के बंदरों का आतंक है. गांव में अब इन बंदरों का आतंक इतना बढ़ चुका है, कि अब इनकी संख्या लगभग हजार के करीब ही होगी. पहले कम संख्या में बंदर थे, लेकिन अब संख्या इतनी हो गई है, उस हिसाब से इनका आतंक भी बढ़ चुका है. जिससे इस गांव के ग्रामीण पूरी तरह से परेशान हैं. आलम ये है कि अब इस गांव में सिर्फ बंदरों की हुकूमत चलती है, बंदरों के आगे अब ग्रामीण भी पस्त हो चुके हैं.

बंदरों ने बिगाड़ दी इस गांव की इकोनॉमी

बंदरों की तस्वीरों को देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इनका गांव में कितना आतंक है. पहले कम संख्या में यह बंदर हुआ करते थे, तो ग्रामीणों के घरों की जो बाड़ी थी वो हरी भरी हुआ करती थी. साल के 12 महीने इस गांव की बाड़ियों से सब्जियां निकलती थी. जो पूरी तरह से जैविक होती थी. साथ ही इससे कई लोगों के घरों की दो वक्त की रोजी रोटी भी चलती थी. कई लोग इन सब्जियों को बेचकर अपना घर भी चलाते थे, लेकिन आज इस गांव की जो बाड़ियां हैं, वो सूनी पड़ी हैं, वहां सब्जियां लगाने की जगह पर आपको बड़े-बड़े घास दिखाई देंगे. इतना ही नहीं अब घरों में लोग कोई भी फसल लगाने से परहेज करते हैं, क्योंकि लागत तो लग जाती है लेकिन मिलने को एक डंठल नहीं होता है.

SHAHDOL MONKEY TERROR
कटहल खाता बंदर (ETV Bharat)

जिन घरों में सब्जी होती थी और उससे उनका की रोजी-रोटी चलती थी अब उन्होंने अपने रोजगार का अंदाज ही बदल लिया है. उनका कहना है फसल लगाते हैं लेकिन सब कुछ बंदर चट कर जाते हैं, तो फिर किसलिए मेहनत करें. अगर हम यहां मेहनत करेंगे और कुछ नहीं मिलेगा तो घर कैसे चलेगा, इसलिए अब वह घरों की इन बाड़ियों को सूना ही छोड़ देते हैं. जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी इससे फर्क पड़ा है. एक तरह से कहें तो इस गांव के लोगों की आर्थिक इकोनॉमी ही बिगड़ गई है.

बंदरों ने दिया सब्जी व्यापारियों को रोजगार

बंदरों ने दिया सब्जी व्यापारियों को रोजगार अगर इस तरह की बातें करें तो आपको लगेगा कि आखिर कोई बंदर कैसे सब्जी व्यापारियों को रोजगार दे सकता है, लेकिन शहडोल जिले से लगभग 8 से 10 किलोमीटर दूर लगे हुए इस गांव में बंदरों ने सच में सब्जी व्यापारियों को एक तरह से रोजगार भी दिया है, क्योंकि पहले इस गांव में हर घर में लोग सब्जी उगा लेते थे, क्योंकि हर घर में पानी की अच्छी व्यवस्था है. लोग इतने तो जरूर संपन्न थे की लागत भी लगा लेते थे और उसी की आमदनी से घर में खाने की सब्जियां भी उगाते थे. लेकिन अब बंदरों की वजह से उनके घरों की बाड़ियां खाली पड़ी है. ऐसे में दूसरे गांव के सब्जी व्यापारी यहां आते हैं और सब्जियां बेचते हैं. इन सब्जी व्यापारियों को भी इस गांव में बंदरों ने एक तरह से रोजगार दिला दिया है.

MONKEYS DESTROY FARMS SHAHDOL
बंदरों से परेशान पूरा गांव (ETV Bharat)

ग्रामीणों ने बताया बंदरों के आतंक की कहानी

किराना दुकान चला रहे अभिषेक गुप्ता कहते हैं कि 'उनके घर में अच्छी लंबी बाड़ी और अच्छा खासा कुआं भी है. जिसमें कभी पानी खत्म नहीं होता. कुछ साल पहले वह घर में सब्जी लगा लेते थे, जिससे घर के खाने को सब्जी हो जाती थी. इसके अलावा कुछ सब्जी बेच भी लेते थे, लेकिन अब आलम यह है की पूरी बाड़ी खाली पड़ी है. कई सालों से वहां कुछ भी नहीं लग रहे हैं. पूरा फोकस अपने इस किराना व्यापार पर कर रहे हैं. यहां हर कुछ अब खरीद कर मिलता है.

MONKEYS ATTACKING PEOPLE
लोगों पर हमला करते हैं बंदर (ETV Bharat)

अब तो हिंसक भी हो रहे ये बंदर

नमन श्रीवास्तव जो की युवा हैं, वह बताते हैं कि बंदरों का आतंक कब दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. सब्जी तो नहीं लगा पा रहे हैं, साथ ही ये बंदर अब इतने हिंसक हो रहे हैं कि लोगों को काट भी दे रहे हैं. कहीं पर भी इन बंदरों का झुंड लोगों को दौड़ाने लगता है, अगर कोई छोटा बच्चा फंस गया तो काट भी देते हैं. अगर घर के दरवाजे खुले हैं, तो घरों के अंदर घुस जाते हैं. सामान घर के अंदर से निकलकर घरों के छतों में लेकर खेलने लगते हैं. इसके अलावा अगर आपकी रसोई में घुस गए तो फिर समझिए आज का खाना आपको नहीं मिलने वाला. यह बंदर ही सफा चट कर जाएंगे. अब ये बंदर नुकसान के अलावा लोगों के लिए खतरनाक भी हो चुके हैं. इनकी संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. पूरा गांव इन बंदरों के आतंक से परेशान है.

MONKEYS ATTACKING PEOPLE
घरों में घुस रहे बंदर (ETV Bharat)

घरों के नक्शे बदल गए

ग्रामीण मुन्ना चौधरी कहते हैं कि गांव में अधिकतर कच्चे मकान मिलते हैं. कच्चे मकान की सबसे बड़ी खूबसूरती होती है कि मकान बना हो उसके ऊपर मिट्टी के जो खपड़े बने होते हैं, छत के रूप में उन खपडों से ढका जाता है. इन बंदरों की वजह से अब गांव के लोग उसे भी लगाना बंद कर चुके हैं. जिससे सीजन में जिन आदिवासी समुदाय के लोगों को इन मिट्टी के खपड़ों से कुछ आमदनी हो जाती थी, उनका रोजगार भी बंद हो चुका है.

MONKEYS RUINED VILLAGE ECONOMY
शहडोल में बंदरों की हुकूमत (ETV Bharat)

यहां पढ़ें...

पचमढ़ी का लुटेरा बंदर बना लखपति, पैसा न संभला तो हवा में उड़ाने लगा 500-500 के नोट

एक गांव ऐसा भी! बंदर की याद में ग्रामीणों ने कराया मुंडन, दसवीं पर भंडारे का आयोजन

दिनों दिन बढ़ रही संख्या

ग्रामीण बताते हैं कि इन बंदरों की संख्या अब दिनों दिन बढ़ती जा रही है. इन बंदरों को लेकर कई बार शिकायतें की गई. अपनी तरफ से ग्रामीण सब कुछ कर चुके हैं, लेकिन इन बंदरों का आतंक खत्म नहीं हो रहा है, बल्कि बढ़ता ही जा रहा है. जिस तरह से इनकी संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. यह बंदर अब खतरनाक भी हो रहे हैं. ग्रामीणों ने अब इन बंदरों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया है और अपने रोजगार के साधन बदल लिए हैं. एक तरह से कहा जाए तो ग्रामीणों ने भी अब इन बंदरों से हार मान ली है और उन्हें ही एक तरह से पूरा गांव सौंप दिया है और अब इन बंदरों की ही हुकूमत इस गांव में चलती है.

Last Updated : Jul 18, 2024, 10:26 PM IST
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