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जंगल में ही होगा किंग टाइगर का रोज ब्रेकफास्ट, चीतल बनेंगे बाघों का नया शिकार - Cheetal Shifted In Pench Reserve

मध्य प्रदेश के पेंच नेशनल पार्क के बाघ अपनी भूख मिटाने के लिए अभी तक आस पास के गांव में पालतू पशुओं को अपना निशाना बना रहे थे, लेकिन अब उनके खान-पान का इंतजाम कर दिया गया है. यहां चीतलों की संख्या बढ़ाई जा रही है.

CHEETAL SHIFTED IN PENCH RESERVE
जंगल में ही होगा राजा का ब्रेकफास्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 18, 2024, 7:34 PM IST

Updated : Jul 19, 2024, 2:57 PM IST

CHEETAL SHIFTED IN PENCH RESERVE: पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन से लगे कई गांवों में बाघों को अपनी भूख मिटाने के लिए पालतू जानवरों के शिकार करना पड़ता है. ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं. कई बार तो बाघ इंसानों पर भी हमला कर देते हैं. नेशनल पार्क के भीतर ही बाघों को पेटभर खाना मिल सके, इसलिए पेंच नेशनल पार्क में चीतलों की शिफ्टिंग की जा रही है. जिस इलाके में ज्यादा शीतल हैं, उस बीट से दूसरे बीट में चीतलों को ट्रांसफर किया जा रहा है.

जंगल में ही होगा राजा का ब्रेकफास्ट (ETV Bharat)

पेंच टाइगर रिजर्व में हैं सबसे ज्यादा चीतल

पेंच टाइगर रिजर्व में चीतलों की संख्या देश के दूसरे टाइगर रिजर्व से काफी ज्यादा है. किसी भी टाइगर रिजर्व में चीतलों की अधिक संख्या ज्यादा होना, वहां के बाघों के विकास में बेहतर साबित होती है, क्योंकि चीतल ही बाघों का खाना होता है. मगर दूसरी ओर चीतलों के अत्यधिक संख्या से जंगल के घास के मैदानों की क्वालिटी को खराब करता है. जिससे दूसरे शाकाहारी जीवों के खाने की दिक्कत होती है. इसलिए चीतलों को शिफ्ट किया जाता है.

Cheetal Shifted In Pench Reserve
पेंच टाइगर रिजर्व में चीतल शिफ्ट करने की तैयारी (ETV Bharat)

अब तक 8000 से ज्यादा चीतल हो चुके हैं शिफ्ट

पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश सिंह ने बताया कि 'पेंच टाइगर रिजर्व के अलावा ऐसे कई और टाइगर रिजर्व हैं. जहां पर बाघों की संख्या तो है, लेकिन उनके खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में चीतल नहीं होते हैं. इसलिए पेंच टाइगर रिजर्व से चीतलों को शिफ्ट किया जाता है. प्रबंधकीय कारणों से एक दशक में मध्य प्रदेश के एक वन क्षेत्र से दूसरे वन क्षेत्र में 8000 से ज्यादा की संख्या में चीतल शिफ्ट किए जा चुके हैं. इनमें से 4000 से ज्यादा संख्या में चीतल मात्र पेंच टाइगर रिजर्व से दूसरे क्षेत्र जैसे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, कूनो राष्ट्रीय उद्यान और नौरादेही अभयारण्य जिसे अब वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है, इन जगहों मे भेजे जा चुके हैं.'

Cheetal shifted For Tiger Food
पेंच रिजर्व में चीतल किए गए शिफ्ट (ETV Bharat)

इसी प्रक्रिया के अंतर्गत मध्य प्रदेश शासन ने पेंच के अधिक चीतल वाले क्षेत्र से 200 चीतल रुखड़ परिक्षेत्र और 100 चीतल अरी भेजने की अनुमति दी है. रुखड़ एवं अरी परिक्षेत्र में चीतलों की संख्या बढ़ने पर जंगल के भीतर ही बाघों को खाना मिल सकेगा. जंगल से लगे वन क्षेत्र एवं राजस्व क्षेत्र में बाघों के पालतू जानवरों के शिकार में कमी आएगी.

पालतू जानवरों के शिकार की बढ़ रही है घटनाएं

पेंच नेशनल पार्क की सीमा मध्य प्रदेश के सिवनी, छिंदवाड़ा और महाराष्ट्र के नागपुर जिले से लगती है. अधिकतर देखा जाता है कि पेंच नेशनल पार्क की सीमा से गांव में बाघ पालतू जानवरों को अपना शिकार बनाते हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बाघों को जंगल के भीतर खाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पाती है, इसलिए वे रहवासी इलाके में जाकर खाने की तलाश करते हैं. कई बार तो बाघ इंसानों पर भी हमला करते हैं. इसी साल करीब तीन लोगों पर बाघ ने हमला किया था.

यहां पढ़ें...

शावकों संग खेल रही थी बाघिन, आई शॉकिंग सूचना और रेलवे ने अधिकारी भर दौड़ा दी हवा को चीरती ट्रेन

टाइगर स्टेट में लगातार हो रही बाघों की मौत, आंकड़ें देख फटी रह जाएंगी आंखें

पेंच नेशनल पार्क में अब 100 से ज्यादा बाघ

सुरक्षा के मद्देनजर पेंच टाइगर रिजर्व में फिलहाल बाघों की संख्या के मामले में कोई पुख्ता आंकड़े जारी नहीं किए, लेकिन सूत्र बताते हैं कि पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा शतक पार कर गया है. इसी का नतीजा है कि बाघ कोर एरिया से निकलकर बफर एरिया में अपना इलाका बढ़ाने के लिए नजर आते हैं. सीमा क्षेत्र की लड़ाई के चलते कई बार बाघ आपस में लड़कर मौत के मुंह में भी चले जाते हैं, हालांकि रिजर्व प्रबंधन इनकी सुरक्षा को लेकर लगातार गश्त करता है. बाघों की टेरिटरी बढ़ाने के लिए करमाझिरी को भी सरकार ने अभ्यारण घोषित किया है. इसके लिए ग्रामीणों ने भी चौपाल लगाकर कुछ दिन पहले ही सहमति दी है कि वह बाघों के लिए अपना गांव और जमीन छोड़ने को तैयार हैं.

CHEETAL SHIFTED IN PENCH RESERVE: पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन से लगे कई गांवों में बाघों को अपनी भूख मिटाने के लिए पालतू जानवरों के शिकार करना पड़ता है. ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं. कई बार तो बाघ इंसानों पर भी हमला कर देते हैं. नेशनल पार्क के भीतर ही बाघों को पेटभर खाना मिल सके, इसलिए पेंच नेशनल पार्क में चीतलों की शिफ्टिंग की जा रही है. जिस इलाके में ज्यादा शीतल हैं, उस बीट से दूसरे बीट में चीतलों को ट्रांसफर किया जा रहा है.

जंगल में ही होगा राजा का ब्रेकफास्ट (ETV Bharat)

पेंच टाइगर रिजर्व में हैं सबसे ज्यादा चीतल

पेंच टाइगर रिजर्व में चीतलों की संख्या देश के दूसरे टाइगर रिजर्व से काफी ज्यादा है. किसी भी टाइगर रिजर्व में चीतलों की अधिक संख्या ज्यादा होना, वहां के बाघों के विकास में बेहतर साबित होती है, क्योंकि चीतल ही बाघों का खाना होता है. मगर दूसरी ओर चीतलों के अत्यधिक संख्या से जंगल के घास के मैदानों की क्वालिटी को खराब करता है. जिससे दूसरे शाकाहारी जीवों के खाने की दिक्कत होती है. इसलिए चीतलों को शिफ्ट किया जाता है.

Cheetal Shifted In Pench Reserve
पेंच टाइगर रिजर्व में चीतल शिफ्ट करने की तैयारी (ETV Bharat)

अब तक 8000 से ज्यादा चीतल हो चुके हैं शिफ्ट

पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश सिंह ने बताया कि 'पेंच टाइगर रिजर्व के अलावा ऐसे कई और टाइगर रिजर्व हैं. जहां पर बाघों की संख्या तो है, लेकिन उनके खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में चीतल नहीं होते हैं. इसलिए पेंच टाइगर रिजर्व से चीतलों को शिफ्ट किया जाता है. प्रबंधकीय कारणों से एक दशक में मध्य प्रदेश के एक वन क्षेत्र से दूसरे वन क्षेत्र में 8000 से ज्यादा की संख्या में चीतल शिफ्ट किए जा चुके हैं. इनमें से 4000 से ज्यादा संख्या में चीतल मात्र पेंच टाइगर रिजर्व से दूसरे क्षेत्र जैसे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, कूनो राष्ट्रीय उद्यान और नौरादेही अभयारण्य जिसे अब वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है, इन जगहों मे भेजे जा चुके हैं.'

Cheetal shifted For Tiger Food
पेंच रिजर्व में चीतल किए गए शिफ्ट (ETV Bharat)

इसी प्रक्रिया के अंतर्गत मध्य प्रदेश शासन ने पेंच के अधिक चीतल वाले क्षेत्र से 200 चीतल रुखड़ परिक्षेत्र और 100 चीतल अरी भेजने की अनुमति दी है. रुखड़ एवं अरी परिक्षेत्र में चीतलों की संख्या बढ़ने पर जंगल के भीतर ही बाघों को खाना मिल सकेगा. जंगल से लगे वन क्षेत्र एवं राजस्व क्षेत्र में बाघों के पालतू जानवरों के शिकार में कमी आएगी.

पालतू जानवरों के शिकार की बढ़ रही है घटनाएं

पेंच नेशनल पार्क की सीमा मध्य प्रदेश के सिवनी, छिंदवाड़ा और महाराष्ट्र के नागपुर जिले से लगती है. अधिकतर देखा जाता है कि पेंच नेशनल पार्क की सीमा से गांव में बाघ पालतू जानवरों को अपना शिकार बनाते हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बाघों को जंगल के भीतर खाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पाती है, इसलिए वे रहवासी इलाके में जाकर खाने की तलाश करते हैं. कई बार तो बाघ इंसानों पर भी हमला करते हैं. इसी साल करीब तीन लोगों पर बाघ ने हमला किया था.

यहां पढ़ें...

शावकों संग खेल रही थी बाघिन, आई शॉकिंग सूचना और रेलवे ने अधिकारी भर दौड़ा दी हवा को चीरती ट्रेन

टाइगर स्टेट में लगातार हो रही बाघों की मौत, आंकड़ें देख फटी रह जाएंगी आंखें

पेंच नेशनल पार्क में अब 100 से ज्यादा बाघ

सुरक्षा के मद्देनजर पेंच टाइगर रिजर्व में फिलहाल बाघों की संख्या के मामले में कोई पुख्ता आंकड़े जारी नहीं किए, लेकिन सूत्र बताते हैं कि पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा शतक पार कर गया है. इसी का नतीजा है कि बाघ कोर एरिया से निकलकर बफर एरिया में अपना इलाका बढ़ाने के लिए नजर आते हैं. सीमा क्षेत्र की लड़ाई के चलते कई बार बाघ आपस में लड़कर मौत के मुंह में भी चले जाते हैं, हालांकि रिजर्व प्रबंधन इनकी सुरक्षा को लेकर लगातार गश्त करता है. बाघों की टेरिटरी बढ़ाने के लिए करमाझिरी को भी सरकार ने अभ्यारण घोषित किया है. इसके लिए ग्रामीणों ने भी चौपाल लगाकर कुछ दिन पहले ही सहमति दी है कि वह बाघों के लिए अपना गांव और जमीन छोड़ने को तैयार हैं.

Last Updated : Jul 19, 2024, 2:57 PM IST
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