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तीन नए आपराधिक कानूनों पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार - PIL against three new criminal laws

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By IANS

Published : May 20, 2024, 6:09 PM IST

आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट के खिलाफ लगी एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस याचिका को लापरवाह तरीके से दायर किया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट (ANI)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया. जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि ये याचिका ठीक नहीं है, इसे खारिज की जा सकती है. याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा कि ऐसे में उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दी जाय.

बेंच ने कहा, “आपको जो करना है करो…यह याचिका बहुत ही लापरवाह तरीके से दायर की गई है. यदि आप इस पर बहस करते हैं, तो हम जुर्माना लगा कर इसे खारिज कर देंगे. लेकिन, चूंकि आप इसे वापस ले रहे हैं, हम जुर्माना नहीं लगा रहे.'' आखिरकार याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली.

जनहित याचिका में कहा गया था कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कई विसंगतियां हैं. तीनों आपराधिक कानून बिना किसी संसदीय बहस के पारित किए गए, वो भी तब जब अधिकांश सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे. इसके अलावा, यह दावा किया गया कि तीन कानूनों का टाइटल ठीक नहीं है और क़ानून और उसके मकसद के बारे में नहीं बताता है.

ये भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए आरोपी को दी अंतरिम जमानत, जानिए क्या बताई वजह

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया. जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि ये याचिका ठीक नहीं है, इसे खारिज की जा सकती है. याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा कि ऐसे में उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दी जाय.

बेंच ने कहा, “आपको जो करना है करो…यह याचिका बहुत ही लापरवाह तरीके से दायर की गई है. यदि आप इस पर बहस करते हैं, तो हम जुर्माना लगा कर इसे खारिज कर देंगे. लेकिन, चूंकि आप इसे वापस ले रहे हैं, हम जुर्माना नहीं लगा रहे.'' आखिरकार याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली.

जनहित याचिका में कहा गया था कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कई विसंगतियां हैं. तीनों आपराधिक कानून बिना किसी संसदीय बहस के पारित किए गए, वो भी तब जब अधिकांश सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे. इसके अलावा, यह दावा किया गया कि तीन कानूनों का टाइटल ठीक नहीं है और क़ानून और उसके मकसद के बारे में नहीं बताता है.

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