नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को उनकी उस कथित टिप्पणी को वापस लेते हुए एक उपयुक्त बयान दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं.' न्यायमूर्ति ए.एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने तेजस्वी के पूर्व के हलफनामे को लेकर शिकायतकर्ता द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद एक नया बयान दाखिल करने के लिए राजद नेता को एक हफ्ते का वक्त दिया.
पीठ ने विषय की अगली सुनवाई को पांच फरवरी के लिए स्थगित करते हुए कहा, 'हम याचिकाकर्ता को एक उपयुक्त बयान दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त देते हैं.' तेजस्वी ने अपनी कथित टिप्पणी 'केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं', वापस लेते हुए शीर्ष न्यायालय में 19 जनवरी को एक हलफनामा दाखिल किया था.
शीर्ष अदालत तेजस्वी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उन्होंने उनकी कथित टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ अहमदाबाद की एक अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि शिकायत को राज्य के बाहर स्थानांतरण का अनुरोध किया था. शीर्ष अदालत ने राजद नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए इससे पहले, आपराधिक मानहानि शिकायत में कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और इसे दायर करने वाले गुजरात के निवासी को नोटिस जारी किया था.
कथित आपराधिक मानहानि को लेकर तेजस्वी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत शिकायत दायर की गई थी. गुजरात की अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत यादव के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी और एक स्थानीय व्यवसायी और कार्यकर्ता हरेश मेहता द्वारा दायर शिकायत पर उन्हें समन करने के लिए पर्याप्त आधार पाया था. शिकायत के अनुसार, तेजस्वी ने मार्च 2023 में पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा था, 'वर्तमान स्थिति में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं, और उनकी धोखाधड़ी माफ कर दी जाएगी.'
बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने कहा था, 'अगर वे एलआईसी या बैंकों का पैसा लेकर भाग गए तो कौन जिम्मेदार होगा?' मेहता ने दावा किया कि तेजस्वी की टिप्पणियों ने सभी गुजरातियों को बदनाम किया है.
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