सागर (कपिल तिवारी): एक समय बुंदेलखंड के सच्चे सपूत हरीसिंह गौर ने दुनिया भर में वकालत करके काफी नाम और पैसा कमाया, लेकिन अंत में अपनी सारी जमा पूंजी पिछडे़ बुंदेलखंड के लोगों को शिक्षित करने के लिए यूनिवर्सिटी बनाने दान कर दी. साल 2025 के पहले दिन एक और महादानी ने डाॅ हरीसिंह गौर की तरह काम किया है. सागर के राजकुमार जैन करैया वालों ने नगर निगम की सीमा में बेशकीमती 38 एकड़ जमीन जिसकी कीमत 60 करोड़ है, दान कर दी है. जहां शिक्षातीर्थ बनाया जाएगा और किसानों के जैविक बीज संरक्षण करने के लिए बीज संरक्षण केंद्र बनाया जाएगा. इसके अलावा यहां सामाजिक गतिविधियां भी संचालित होगी.
नए साल का बड़ा संकल्प
कोई व्यक्ति जिंदगी भर संघर्ष करके संपत्ति और धन अर्जित करके अपने अंतिम समय में शिक्षा और समाज कल्याण के लिए दान कर दे. आज के वक्त में यह बहुत बड़ा दान है. सागर में राजकुमार जैन करैया वालों ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. उनका 25 साल पहले लिया गया संकल्प आज 2025 के पहले दिन पूरा हुआ है. जब उन्होंने नगर निगम सीमा के अंदर अपनी बेशकीमती 38 एकड़ जमीन शिक्षातीर्थ और समाज कल्याण के लिए दान कर दी है. लोग उनकी तुलना बुंदेलखंड के दानवीर भामाशाह से कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि 1998 में आचार्य विद्यासागर सागर आए थे. उन्होंने यहां पर गौशाला खुलवाई थी, तब मैंने गौ शाला के लिए जमीन दान की थी. उस समय उनकी प्रेरणा से मैंने तय कर लिया था कि शिक्षा और समाज कल्याण के लिए भी जमीन दान कर दूंगा. लंबी लड़ाई के बाद आज एक जनवरी 2025 को ये दिन आया है. जब मेरा संकल्प पूरा हुआ है. आचार्य विद्यासागर के शिष्य सुधासागर के समक्ष दानपत्र लिखकर ये जमीन दान कर दी.
कानूनी दांवपेंच और भूमाफियाओं से लड़ी लड़ाई
राजकुमार जैन करैया वालों ने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए ये 38 एकड़ जमीन सन 2000 में खरीदी थी, लेकिन कानूनी दांव-पेंच के कारण जमीन की रजिस्ट्री 2004 में संभव हो सकी. जिस व्यक्ति से जमीन खरीदी गयी, उनके यहां कोई संतान नहीं थी, तो रिश्तेदारों ने जमीन पर दावा पेश कर दिया था. कई भूमाफियाओं ने भी जमीन पर कब्जा करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए, लेकिन राजकुमार जैन आचार्य विद्यासागर के सामने लिए गए संकल्प पर अडिग रहे और लड़ाई लड़ते-लड़ते उन्होंने जमीन को बचाकर रखा और आज उन्होंने जमीन शिक्षा और समाज कल्याण के लिए दान कर दी.
बनेगा शिक्षातीर्थ और जैविक बीज संरक्षण केंद्र
आचार्य विद्यासागर के शिष्य मुनि सुधासागर के समक्ष ये जमीन का दानपत्र आज भेंट किया गया है. सबकी सहमति से मुनि सुधासागर ने तय किया है कि बुंदेलखंड के शिक्षा से वंचित या गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां शिक्षातीर्थ बनेगा. इसके अलावा किसानों को जैविक खेती के प्रति आकर्षित करने के लिए यहां पर जैविक बीच संरक्षण केंद्र बनाया जाएगा. साथ ही समाज कल्याण से जुड़ी गतिविधियों के लिए इस जमीन पर व्यवस्था की जाएगी.
क्या कहते हैं दानदाता
दानदाता राजकुमार जैन करैया का कहना है कि "1998 में आचार्य विद्यासागर के सानिध्य में गौशाला को के लिए भी जमीन दी थी. उसी के बाद विचार आया कि शिक्षा के क्षेत्र में कुछ किया जाए और मैंने तय किया कि इस उद्देश्य से भी जमीन दान करूंगा. आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से 2000 में 38 एकड़ जमीन खरीदी थी. उस समय जमीन पर कोई केस चल रहा था. जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगी थी. 2004 में जमीन की रजिस्ट्री हुई. जमीन को बचाने के लिए राजकुमार जैन को कई लड़ाईयां लड़नी पड़ी. लोगों ने जमीन पर हक जमा लिया था.
ये जमीन जिस व्यक्ति से राजकुमार जैन ने खरीदी, उनके यहां कोई संतान नहीं थी. उनके रिश्तेदारों ने दावा ठोक दिया. आखिरकार तमाम लड़ाई जीतकर आज वो मौका आया, जो मैने संकल्प लिया था. आज मुझे आनंद का अनुभव हो रहा है. सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय को ध्यान रखकर जमीन दी है. शिक्षा का क्षेत्र तो मुख्य विषय है."
सागर की पहली कृषि कीटनाशक फैक्ट्री की शुरू
राजकुमार जैन के दो बेटे निलेश और नितिन जैन है और एक बेटी है. राजकुमार के पांच भाई हैं. जब वह छोटे थे, तब उनके पिता करैया गांव से सागर आए थे. सागर में वे बरियाघाट वार्ड में किराए पर रहते थे. इसके बाद साल 1986 में उन्होंने सागर संभाग की पहली कृषि कीटनाशक फैक्ट्री शुरू की थी. जिसके बाद उनका काम अच्छा चल पड़ा.
क्या कहना है परिजनों का
राजकुमार जैन के पुत्र नीलेश जैन कहते हैं कि "हमारे पिता द्वारा शिक्षा के लिए जमीन दान की गयी है. उनके फैसले से हमारा सर गर्व से ऊंचा हो गया है. आगे भी इस तरह के कार्यक्रम में हम योगदान देंगे. इस जमीन को लेकर शुरू में कई कठिनाई आयी. कानूनी पेचीदगियां रही, लेकिन ईश्वर का ऐसा आशीर्वाद रहा और सारी समस्याएं और बाधाएं दूर हो गयी. हमारे पिता का प्रयास रहा, लेकिन आशीर्वाद विद्यासागर महाराज का रहा है."
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उनके दूसरे बेटे नितिन जैन कहते हैं कि "आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि सुधा सागर द्वारा ये कार्यक्रम हो रहा है. इस कार्यक्रम में पुण्यार्जक की भूमिका मेरे पिता राजकुमार करैया वालों की है. जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में दान देकर बुंदेलखंड के उच्च शिक्षा से वंचित बच्चों को ध्यान रखते हुए मेरे पिता ने 25 साल पहले तय कर लिया था कि ये जगह हमें शिक्षा के लिए दान में देना है."