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मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट से घर में बरकत की अफवाह, बेचते 5 गिरफ्तार - Big Action By WCCB - BIG ACTION BY WCCB

Big Action By Wildlife Crime Control Bureau, वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो दिल्ली की टीम के साथ मिलकर कोटा वन्यजीव विभाग ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया. कोटा में संयुक्त छापेमारी कर वन्यजीवों के अंगों की तस्करी का भंडाफोड़ किया गया. साथ ही जांच में सामने आया है कि मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट को घर में बरकत के नाम पर बेचा जा रहा था.

Big Action By Wildlife Crime Control Bureau
वन्यजीव तस्करी मामले का भंडाफोड़ (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 12, 2024, 5:41 PM IST

उपवन संरक्षक वन्यजीव कोटा अनुराग भटनागर (ETV BHARAT KOTA)

कोटा : वन्यजीव विभाग की टीम ने वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो दिल्ली की टीम के साथ मिलकर अवैध बेचान में छापा मार कार्रवाई करते हुए वन्यजीव की तस्करी के पूरे मामले का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में सामने आया है कि मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट को घर में बरकत के अफवाह के चलते लोग खरीद रहे थे और इसी के चलते इन्हें शिकार कर मारा जा रहा जा था. साथ ही लोग इसे घर पर रखने के लिए खरीद कर ले जा रहे थे. इसे हाथजोड़ा बताकर बेचा जा रहा था. टीम ने कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही पांच मुकदमे भी दर्ज किए हैं.

यह पूरी कार्रवाई गमछा तकनीक से की गई. गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपियों में आत्माराम सिंधी, राकेश कुमार, समर्पण जैन, आशीष जैन और विजय कुमार खिलानी शामिल हैं. इन पांचों को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. जिन वन्यजीवों के अंग मिले हैं, उनमें से अधिकांश शेड्यूल वन के जानवर हैं.

इसे भी पढ़ें - पशुओं से भरा ट्रक पकड़ा, 58 जिंदा पशु बरामद, एक तस्कर गिरफ्तार, यूपी के बूचड़खाने ले जा रहे थे - Animal smuggling racket busted

इस पूरे मामले में उपवन संरक्षक वन्यजीव कोटा अनुराग भटनागर ने कहा कि दिल्ली से आई टीम के सदस्यों के साथ कोटा में कार्रवाई को अंजाम दिया गया. इसमें चार कार्रवाई घंटाघर एरिया में की गई है. जबकि एक कार्रवाई गुमानपुरा में हुई है. इसमें पांच मुकदमे दर्ज कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है. टीम को वन्यजीव के शरीर के 80 अंग मौके पर मिले हैं. मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट 40, बिल्ली प्रजाति के पंजे 6, हिरण की कस्तूरी 17, गीदड़ के शरीर की हड्डी व अन्य 17 अंग हैं.

इस मामले में कैट फैमिली के 6 पंजे मिले हैं, जिसमें ये बिल्ली के हो सकते हैं या फिर पैंथर के भी हो सकते हैं. जांच के लिए सैंपल को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून भेजा जाएगा. वहीं, अब डीएनए जांच में ही सामने आ पाएगा कि कैट फैमिली के कौन से जानवर के ये पंजे हैं.

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गमछा तकनीक से कार्रवाई : उपवन संरक्षक वन्यजीव कोटा अनुराग भटनागर ने बताया कि दिल्ली की टीम के दो सदस्य आए थे. इसके अलावा मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और वन विभाग की टेरिटोरियल से भी टीम सादे वर्दी में बुलाई गई थी. उसके बाद पूरी रणनीति बनाकर छापेमारी की कार्रवाई की गई. इसमें गमछा तकनीक को अपनाया गया. इसमें टीम का एक सदस्य पहले कंधे पर गमछा रखकर अंदर गया. उसने पहले ही आगाह कर दिया था कि जैसे ही कंधे से गमछा हटेगा टीम छापा मार देगी. इसी तरह से एक के बाद एक पांच जगहों पर कार्रवाई की गई.

डीसीएफ की चेतावनी : डीसीएफ भटनागर ने कहा कि शिकार कोई दूसरा व्यक्ति किया है. उसने बड़ी संख्या में वन्यजीव को मारा है. ऐसे में इन आरोपियों के जरिए उसे माल खरीद कर भेजा जा रहा था. प्रारंभिक तौर पर ये बातें में पूछताछ में सामने आई हैं. ऐसे में अन्य कोई अगर व्यक्ति भी इस तरह से अवैध रूप से वन्यजीव के अंगों की तस्करी या बेचान कर रहा है तो वो विभाग में आकर अंगों को जमा कर सकता है.

इसे भी पढ़ें - कोटा शनि मंदिर पहुंचा 6 फीट लंबा कोबरा, मचा हड़कंप - Cobra In Kota

फिलहाल उसके अंग को जमा कर लिया जाएगा, जबकि अगर वन विभाग की टीम छापेमारी की कार्रवाई करती है तो उसके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ लोग हैं, जिन्होंने अपने घरों में अब भी वन्यजीव के अंगों को रखा. हमारी उनसे अपील है कि वो भी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को वन्यजीवों के अंगों को जमा करा दें.

उपवन संरक्षक वन्यजीव कोटा अनुराग भटनागर (ETV BHARAT KOTA)

कोटा : वन्यजीव विभाग की टीम ने वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो दिल्ली की टीम के साथ मिलकर अवैध बेचान में छापा मार कार्रवाई करते हुए वन्यजीव की तस्करी के पूरे मामले का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में सामने आया है कि मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट को घर में बरकत के अफवाह के चलते लोग खरीद रहे थे और इसी के चलते इन्हें शिकार कर मारा जा रहा जा था. साथ ही लोग इसे घर पर रखने के लिए खरीद कर ले जा रहे थे. इसे हाथजोड़ा बताकर बेचा जा रहा था. टीम ने कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही पांच मुकदमे भी दर्ज किए हैं.

यह पूरी कार्रवाई गमछा तकनीक से की गई. गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपियों में आत्माराम सिंधी, राकेश कुमार, समर्पण जैन, आशीष जैन और विजय कुमार खिलानी शामिल हैं. इन पांचों को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. जिन वन्यजीवों के अंग मिले हैं, उनमें से अधिकांश शेड्यूल वन के जानवर हैं.

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इस पूरे मामले में उपवन संरक्षक वन्यजीव कोटा अनुराग भटनागर ने कहा कि दिल्ली से आई टीम के सदस्यों के साथ कोटा में कार्रवाई को अंजाम दिया गया. इसमें चार कार्रवाई घंटाघर एरिया में की गई है. जबकि एक कार्रवाई गुमानपुरा में हुई है. इसमें पांच मुकदमे दर्ज कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है. टीम को वन्यजीव के शरीर के 80 अंग मौके पर मिले हैं. मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट 40, बिल्ली प्रजाति के पंजे 6, हिरण की कस्तूरी 17, गीदड़ के शरीर की हड्डी व अन्य 17 अंग हैं.

इस मामले में कैट फैमिली के 6 पंजे मिले हैं, जिसमें ये बिल्ली के हो सकते हैं या फिर पैंथर के भी हो सकते हैं. जांच के लिए सैंपल को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून भेजा जाएगा. वहीं, अब डीएनए जांच में ही सामने आ पाएगा कि कैट फैमिली के कौन से जानवर के ये पंजे हैं.

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गमछा तकनीक से कार्रवाई : उपवन संरक्षक वन्यजीव कोटा अनुराग भटनागर ने बताया कि दिल्ली की टीम के दो सदस्य आए थे. इसके अलावा मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और वन विभाग की टेरिटोरियल से भी टीम सादे वर्दी में बुलाई गई थी. उसके बाद पूरी रणनीति बनाकर छापेमारी की कार्रवाई की गई. इसमें गमछा तकनीक को अपनाया गया. इसमें टीम का एक सदस्य पहले कंधे पर गमछा रखकर अंदर गया. उसने पहले ही आगाह कर दिया था कि जैसे ही कंधे से गमछा हटेगा टीम छापा मार देगी. इसी तरह से एक के बाद एक पांच जगहों पर कार्रवाई की गई.

डीसीएफ की चेतावनी : डीसीएफ भटनागर ने कहा कि शिकार कोई दूसरा व्यक्ति किया है. उसने बड़ी संख्या में वन्यजीव को मारा है. ऐसे में इन आरोपियों के जरिए उसे माल खरीद कर भेजा जा रहा था. प्रारंभिक तौर पर ये बातें में पूछताछ में सामने आई हैं. ऐसे में अन्य कोई अगर व्यक्ति भी इस तरह से अवैध रूप से वन्यजीव के अंगों की तस्करी या बेचान कर रहा है तो वो विभाग में आकर अंगों को जमा कर सकता है.

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फिलहाल उसके अंग को जमा कर लिया जाएगा, जबकि अगर वन विभाग की टीम छापेमारी की कार्रवाई करती है तो उसके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ लोग हैं, जिन्होंने अपने घरों में अब भी वन्यजीव के अंगों को रखा. हमारी उनसे अपील है कि वो भी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को वन्यजीवों के अंगों को जमा करा दें.

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