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अब सड़क पर आपस में बात करेंगी गाड़ियां, IIT जोधपुर ने विकसित की ये खास तकनीक

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 24, 2024, 7:26 PM IST

Updated : Jan 24, 2024, 7:39 PM IST

IIT Jodhpur developed technology, अब आईआईटी जोधपुर ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से वाहन चालकों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी. साथ ही सड़क की स्थिति, ट्रैफिक जाम व एक्सीडेंट की रियल टाइम डाटा शेयरिंग से बड़े हादसों को भी टाला जा सकेगा.

IIT Jodhpur developed technology
IIT Jodhpur developed technology
आईआईटी जोधपुर के प्रो. देबाशीष दास

जोधपुर. दुनिया के विकसित व तकनीकी रूप से सक्षम देशों के वाहनों में आईओबी यानी इंटरनेट ऑफ व्हीकल तकनीक का इस्तेमाल होने लगा है. इससे सड़कों पर चलते वक्त वाहन आपस में कम्युनिकेशन करते हैं. इसका लाभ यह है कि सड़क की स्थिति, ट्रैफिक जाम के साथ ही एक्सीडेंट की रियल टाइम डाटा शेयरिंग होने से बड़े हादसे टल जाते हैं. हालांकि, भारत में इस तकनीकी का अभी तक इस्तेमाल शुरू नहीं हो सका है, लेकिन भविष्य की तैयारियों के लिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सहित अन्य एजेंसियों की मदद से आईआईटी जोधपुर ने शोध किया है. इसके लिए आईआईटी जोधपुर ने एक Noval MAC Based Authentication Scheme नोमास तकनीक विकसित की है, जिसे वाहन में ऑन बोर्ड यूनिट के रूप में लगाया जाता है.

आईओबी बेस्ड होने के बावजूद इसके डाटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे. यह रिसर्च आईआईटी जोधपुर के कंप्यूटर विज्ञान व इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देबाशीष दास और पीएचडी छात्रा हिमानी सिकरवार ने की है, जो IEEE ट्रांजेक्शन इन इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में प्रकाशित हुई है.

इसे भी पढ़ें - IIT जोधपुर ने बनाया खास एयर स्टेरलाइजर, अब ऐसे शुद्ध होगी हवा

सुधारनी होगी सड़कों की स्थिति : आईआईटी के प्रोफेसर्स का कहना है कि इस तकनीक से वाहनों के बीच संचार को बेहतर बनाया जा सकता है. इससे दुर्घटनाओं को कम करने में मदद मिलती है, लेकिन ये सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने का एक मात्र तरीका नहीं है. इसके लिए सड़कों की स्थिति, यातायात प्रबंधन, वाहन चालक का आचरण, यातायात नियमों का पालन और वाहन की अपनी सुरक्षा प्रणाली समेत कई दूसरे कारणों में भी सुधार लाने की जरूरत है, क्योंकि समय के साथ सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ेगी. ऐसे में हर स्तर पर सुधार से ही सुगम सफर संभव हो पाएगा.

डीडी मॉनिटर से ड्राइवर पर नजर : प्रो. देबाशीष दास के निर्देशन में उनके स्कॉलर ने परिवहन सेवा से जुड़ी एक रिसर्च डिवाइस बनाया है. इससे वाहन चलाने वाले ड्राइवर पर नजर रखी जा सकती है. इसका नाम ड्राइवर्स ड्राइव मॉनिटर है. इस रिसर्च की मदद से चालक के गाड़ी चलाने के पैटर्न का विश्लेषण किया जा सकता है और उस आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि चालक कहीं तनाव में तो ड्राइविंग नहीं कर रहा है. ऐसे में उसे समय पर अलर्ट किया जा सकेगा. यह डिवाइस रियल टाइम में ड्राइविंग का डेटा इकट्ठा करता है. इसके विश्लेषण से चालक की गुणवत्ता का पता लग सकता है. इस रिसर्च में रिसर्च स्कॉलर जयंत व्यास की अहम भूमिका रही है.

आईआईटी जोधपुर के प्रो. देबाशीष दास

जोधपुर. दुनिया के विकसित व तकनीकी रूप से सक्षम देशों के वाहनों में आईओबी यानी इंटरनेट ऑफ व्हीकल तकनीक का इस्तेमाल होने लगा है. इससे सड़कों पर चलते वक्त वाहन आपस में कम्युनिकेशन करते हैं. इसका लाभ यह है कि सड़क की स्थिति, ट्रैफिक जाम के साथ ही एक्सीडेंट की रियल टाइम डाटा शेयरिंग होने से बड़े हादसे टल जाते हैं. हालांकि, भारत में इस तकनीकी का अभी तक इस्तेमाल शुरू नहीं हो सका है, लेकिन भविष्य की तैयारियों के लिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सहित अन्य एजेंसियों की मदद से आईआईटी जोधपुर ने शोध किया है. इसके लिए आईआईटी जोधपुर ने एक Noval MAC Based Authentication Scheme नोमास तकनीक विकसित की है, जिसे वाहन में ऑन बोर्ड यूनिट के रूप में लगाया जाता है.

आईओबी बेस्ड होने के बावजूद इसके डाटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे. यह रिसर्च आईआईटी जोधपुर के कंप्यूटर विज्ञान व इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देबाशीष दास और पीएचडी छात्रा हिमानी सिकरवार ने की है, जो IEEE ट्रांजेक्शन इन इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में प्रकाशित हुई है.

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सुधारनी होगी सड़कों की स्थिति : आईआईटी के प्रोफेसर्स का कहना है कि इस तकनीक से वाहनों के बीच संचार को बेहतर बनाया जा सकता है. इससे दुर्घटनाओं को कम करने में मदद मिलती है, लेकिन ये सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने का एक मात्र तरीका नहीं है. इसके लिए सड़कों की स्थिति, यातायात प्रबंधन, वाहन चालक का आचरण, यातायात नियमों का पालन और वाहन की अपनी सुरक्षा प्रणाली समेत कई दूसरे कारणों में भी सुधार लाने की जरूरत है, क्योंकि समय के साथ सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ेगी. ऐसे में हर स्तर पर सुधार से ही सुगम सफर संभव हो पाएगा.

डीडी मॉनिटर से ड्राइवर पर नजर : प्रो. देबाशीष दास के निर्देशन में उनके स्कॉलर ने परिवहन सेवा से जुड़ी एक रिसर्च डिवाइस बनाया है. इससे वाहन चलाने वाले ड्राइवर पर नजर रखी जा सकती है. इसका नाम ड्राइवर्स ड्राइव मॉनिटर है. इस रिसर्च की मदद से चालक के गाड़ी चलाने के पैटर्न का विश्लेषण किया जा सकता है और उस आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि चालक कहीं तनाव में तो ड्राइविंग नहीं कर रहा है. ऐसे में उसे समय पर अलर्ट किया जा सकेगा. यह डिवाइस रियल टाइम में ड्राइविंग का डेटा इकट्ठा करता है. इसके विश्लेषण से चालक की गुणवत्ता का पता लग सकता है. इस रिसर्च में रिसर्च स्कॉलर जयंत व्यास की अहम भूमिका रही है.

Last Updated : Jan 24, 2024, 7:39 PM IST
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