कोटा. जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड में ऑल इंडिया में चौथी रैंक लाने वाले रिदम केडिया ओडिशा के रहने वाले हैं. बचपन से ही उनका लक्ष्य जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड को क्रेक कर आईआईटी में दाखिला लेना था. साथ ही भाई की सफलता को देखकर परिजनों ने उन्हें भी तैयारी के लिए कोटा भेजा. बीते दो साल कोटा में रहकर रिदम ने पढ़ाई की, जिसका परिणाम अब सबके सामने है.
रिदम का कहना है कि शुरू से ही उनका गोल जेईई एडवांस्ड क्रेक करना था. वो एक सामान्य छात्र थे, जो टीचर्स को फॉलो करते रहे. साथ ही रेगुलर होमवर्क पर फोकस किया. शेष बचे टाइम के लिए प्लान बनाकर पढ़ाई की. वहीं, रिदम ने बताया कि वो केमिस्ट्री को ज्यादा समय दिए, क्योंकि उन्हें चीजों को याद रखने में दिक्कतें पेश आती थी. इसके अलावा रीक्रिएशन के लिए वो तारक मेहता प्रोग्राम को देखा करते थे. साथ ही म्यूजिक भी उनका इंटरेस्ट है, इसलिए वो अक्सर पढ़ाई के बाद गाने सुना करते थे. इसके इतर गाने और गिटार बजाने का भी शौक है. इसीलिए वो गाना एप पर अपलोड करते हैं. उनके पास फोन है. बावजूद इसके वो सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय नहीं रहते हैं.
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यहां दाखिले की है इच्छा : रिदम आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करना चाहते हैं. उसके बाद साइंस में रिसर्च करने की इच्छा है. रिदम मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रायपुर के निवासी हैं. पिता संजय केडिया बारकोड सॉल्यूशन के क्षेत्र में काम करते हैं और मां गरिमा ग्रहणी हैं. उनके बड़े भाई आरिन केडिया आईआईटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं.
अपनी गलतियों को सुधारा : रिदम ने बताया कि जब भी टेस्ट में कम नंबर आते थे, तब वो सोचते थे कि यह सबके साथ होता है. वो अपने पेरेंट्स व टीचर से बात करते थे, जो उन्हें मोटिवेट करते थे. ऐसे में उन्होंने अपनी गलतियों को सुधार कर परफॉर्मेंस को बेहतर करने पर जोर दिया. जेईई मेन का सिलेबस कंप्लीट हो जाने के बाद उसका रिवीजन किया. साथ ही बोर्ड के एग्जाम के बाद फिर रिवीजन किए और रेगुलरली पढ़ाई करते रहे. इसके अलावा क्वेश्चन की प्रैक्टिस भी खूब की. कोटा को लेकर रिदम ने कहा कि यहां हर जगह आपको छात्र मिलते हैं. सिटी का एनवायरमेंट काफी अच्छा है और यहां हेल्दी कंपटीशन रहता है. यहां लोकल लोग भी काफी फ्रेंडली हैं और बच्चों की मदद करते हैं. सबसे खास बात यह है कि यहां सबकुछ इजीली अवेलेबल है.
बेटे के सपोर्ट के लिए आई कोटा : रिदम की मां गरिमा केडिया ने बताया कि 11वीं में रिदम ने कोटा में अकेले रहकर पढ़ाई की, लेकिन रिदम को मोटिवेट करने के लिए वो 12वीं में यहां आ गईं. वहीं, जब भी रिदम का परफॉर्मेंस ऊपर नीचे होता था तो वो उसे सपोर्ट करती थीं. गरिमा ने बताया कि वो खुद वक्त की बहुत पंक्चुअल हैं. साथ ही उन्होंने कभी भी रिदम को किसी भी चीज के लिए प्रेशर नहीं दिया.
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बड़ा बेटा सफल हुआ, इसलिए छोटे को भेजा : रिदम के पिता संजय केडिया का कहना है कि 2017 में बड़े बेटे को कोटा भेजा था. वो सिलेक्ट हुआ और आईआईटी बॉम्बे से उसने पढ़ाई की है. उसे कोटा में काफी अच्छा सपोर्ट मिला और उससे आईआईटी क्रैक भी की है. उसके बाद 2022 में दूसरे बेटे को भेजा. उसका बचपन से ही साइंस में इंटरेस्ट था. उम्मीद थी कि कुछ न कुछ इसमें करेगा.
रोज करते थे चार घंटे पढ़ाई : रिदम केडिया ने कहा कि पढ़ाई की प्लानिंग ऐसी होनी चाहिए कि समय पर पूरी हो जाए. टालमटोल से बचना चाहिए. वो रोजाना चार घंटे पढ़ाई करते थे. वो रिवीजन करने में विश्वास करते हैं, क्योंकि इससे विषय पर पकड़ मजबूत होती है. रिदम ने आगे बताया कि उन्हें गणित के सवाल हल करने शौक है. मॉक टेस्ट से काफी मदद मिली. रोजाना करीब 5-6 घंटे सेल्फ स्टडी करते थे और जब क्लास नहीं होती थी तो करीब 10 घंटे सेल्फ स्टडी करते थे. जेईई की तैयारी के दौरान सात घंटे सोते थे. जेईई मेन 2024 में 295 स्कोर के साथ ही ऑल इंडिया में उनका 121 स्कोर रहा. रिदम ने इस साल कक्षा 12वीं में 97.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. वो कक्षा 11वीं से एलन में अध्ययनरत रहे. साथ ही कक्षा 11वीं में इंटरनेशनल फिजिक्स ओलंपियाड (आईपीएचओ) में सिल्वर मेडल जीता.