पटना: बिहार की राजनीति में इन दिनों रिसॉर्ट पॉलिटिक्स देखी जा रही है. कांग्रेस ने अपने विधायकों को हैदराबाद से शिफ्ट कर दिया है. 19 में से 16 विधायक हैदराबाद में हैं. तीन विधायक विजय शंकर दुबे, सिद्धार्थ सिंह और अबिदुर रहमान नहीं गए हैं और उन्होंने इसके पीछे पारिवारिक कारण बताया है.
बिहार कांग्रेस के 16 विधायक तेलंगाना शिफ्ट: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर रंगारेड्डी जिले के कागजघाट में 'सिरी नेचर वैली रिसॉर्ट' में कांग्रेस के विधायकों को रखा गया है. आसपास कड़ी निगरानी रखी जा रही है, वाहनों की आवाजाही की जांच की जा रही है. 11 फरवरी तक विधायक इसी होटल में ठहरेंगे.
12 फरवरी को नीतीश कुमार का फ्लोर टेस्ट: 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है. ऐसे में कहीं ना कहीं कांग्रेस को अपने विधायकों के टूट का डर स्पष्ट दिख रहा है. पार्टी सूत्रों की मानें तो अगले एक सप्ताह तक सभी विधायक हैदराबाद के रिसॉर्ट में ही रहेंगे और फ्लोर टेस्ट के दिन सीधे बिहार पहुंचेंगे. वहीं कांग्रेस विधायक फिलहाल हैदराबाद घूम रहे हैं. सभी श्रीशैलम जाने वाले हैं.
'कांग्रेस को अपने विधायकों पर नहीं है विश्वास'- बीजेपी: विधायकों के मोबाइल भी जब्त कर लिए गए हैं और पार्टी अपने विधायकों की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है. इन सब स्थितियों पर बिहार भाजपा के मुख्य प्रवक्ता जनक राम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बिहार में अपना जनाधार खो चुकी है और पार्टी को अपने विधायकों की निष्ठा पर ही विश्वास नहीं है.
"कांग्रेस अपने विधायकों के साथ बंधुआ मजदूर जैसा बर्ताव कर रही है. यह लोकतंत्र का अपमान है. जनता ने अपने विधायक को जनादेश दिया था कि जनता की बातों को सदन में मजबूती से उनके विधायक रखेंगे. फ्लोर टेस्ट में मजबूती से यह विधायक अपनी बातों को रखते, लेकिन कांग्रेस ने अपने विधायकों को क्षेत्र से बाहर बुलाकर हैदराबाद के रिसोर्ट में बंद कर दिया है."- जनक राम, मुख्य प्रवक्ता, बिहार भाजपा
'अपने सामान की रक्षा स्वयं करनी होती है'- कांग्रेस: वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि जब चौकीदार चोर हो तो अपने सामान की रक्षा स्वयं करनी होती है और इसी कारण से विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट किया गया है. जिस प्रकार नीतीश कुमार 3 घंटे के अंदर गठबंधन बदल के इस्तीफा और फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लेते हैं, उसको देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
"पूर्णिया विधायक दल की बैठक में पार्टी ने स्पष्ट किया था कि कांग्रेस विधायक एकजुट है. लेकिन मीडिया में बार-बार खबर चलाई जा रही थी कि कांग्रेस में टूट होगी. जदयू की कांग्रेस पर नजर है. बार-बार खंडन के बावजूद ऐसी खबरें चल रही थी. इसी कारण हैदराबाद में विधायकों को बुलाकर बताया जा रहा है कि सभी विधायक एकजुट हैं और पार्टी मजबूत है."- राजेश राठौर,प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
वहीं कांग्रेस की राजनीति को दो दशक से अधिक समय से कवर करने वाले दैनिक अखबार के वरिष्ठ पत्रकार इंद्रभूषण ने बताया कि रिजॉर्ट पॉलिटिक्स बिहार में पहली बार नहीं है. साल 2005 में जब हंग असेंबली हुई थी, उस समय रामविलास पासवान ने लोजपा के अपने विधायकों को झारखंड के एक होटल में शिफ्ट किया था. हालांकि बहुत समय के बाद बिहार में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स देखने को मिल रही है.
"कांग्रेस को पार्टी में टूट कर डर है, इसी कारण से अपने विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट किए हुए है. महागठबंधन सरकार में भी मंत्रिमंडल में कांग्रेस को उसके मांग के अनुसार भागीदारी नहीं मिली. उस सरकार में आयोग और समितियों के गठन में भी कांग्रेसियों को तरजीह नहीं मिली. इससे कई कांग्रेसी महागठबंधन से भी नाराज हैं."- इंद्रभूषण,वरिष्ठ पत्रकार
'पाला बदलने के मूड में दर्जन भर कांग्रेस विधायक'-वरिष्ठ पत्रकार: इंद्रभूषण ने बताया कि जदयू के अशोक चौधरी कांग्रेस के 13 विधायकों से संपर्क में थे और यह विधायक भी जदयू में आना चाहते हैं. विधायकों को यह अंदेशा है कि यदि जदयू या भाजपा के साथ नहीं गए तो विधानसभा सीट बचा पाना अगले चुनाव में मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने बताया कि कांग्रेस का जनाधार प्रदेश में खत्म हो गया है. बिहार में उच्च जाति और पिछड़ी जाति का वोट बैंक जो कांग्रेस के पास था वह भाजपा की ओर शिफ्ट हो गया है. इसी कारण अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए दर्जन भर के करीब विधायक पाला बदलने के मूड में है.
लालू और अखिलेश सिंह की नजर: इंद्र भूषण ने बताया कि अशोक चौधरी के कांग्रेस विधायकों से संपर्क में होने की खबर को लालू यादव ने मल्लिकार्जुन खरगे को बढ़िया से समझाया. इसके बाद कांग्रेसी विधायकों को हैदराबाद में शिफ्ट किया गया. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह लालू फोल्डर के नेता माने जाते हैं.
फंस सकती है राज्यसभा सीट: इस राजनीतिक परिदृश्य में यदि कांग्रेस के 12 से 15 विधायक जदयू में शिफ्ट कर जाते हैं तो अखिलेश सिंह को बड़ी हानि होगी. अखिलेश सिंह की राज्यसभा सीट खाली हो रही है जिस पर चुनाव होना है. अपने 19 विधायकों के बल पर अखिलेश राजद से राज्यसभा में अपने लिए समर्थन मांग सकते हैं, लेकिन यदि उनके विधायक टूट गए तो राज्यसभा जाने का उनका सपना भी टूट जाएगा.
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