देहरादून (धीरज सजवाण): जोशीमठ (ज्योतिर्मठ), उत्तराखंड का एक पैराणिक शहर. ये शहर प्राकृतिक सौंदर्य, शानदार लैंडस्कैप, लोक संस्कृति के साथ ही अपने अध्यात्म के लिए जाना जाता है, जिसका असर साल दर साल इस शहर की बसावट पर भी देखने को मिला. हिमालयी पहाड़ी पर बसे इस शहर का आकार साल दर साल बढ़ता चला गया. बिना वैज्ञानिक परीक्षण के इस शहर में जमकर निर्माण कार्य होते चले गये जिसका नतीजा बीते साल (2023) जोशीमठ को भू-धंसाव जैसी आपदा को झेलना पड़ा.
वैसे तो जोशीमठ में भू-धंसाव 70 के दशक से ही हो रहा है, मगर तब यह उतना गंभीर नहीं था जितना इस बार हुआ. इस बार जोशीमठ में हुई भू-धंसाव की घटनाओं ने इस पैराणिक शहर से अस्तित्व को ही संकट में डाल दिया. भू-धंसाव के कारण यहां के कई इलाके खाली करवाए गए. सरकार ने जोशीमठ शहर को बचाने के लिए विस्थापन, पुनर्निर्माण के तरीके अपनाए जिस पर तेजी से काम हुआ. अब जोशीमठ पुनर्निमाण का फुलप्रूफ प्लान तैयार हो गया है. क्या है ये फुलप्रूफ प्लान आपको बताते हैं.
जोशीमठ में भू-धंसाव के कारणों का पता लगाने के लिए देश की कई टॉप टेक्निकल एजेंसियों को लगाया गया. इन सभी टॉप टेक्निकल एजेंसियों ने जोशीमठ शहर का बारीकी से सर्वे किया. अंडर ग्राउंड इस सर्वे में धरती के नीचे हो रहे बदलावों का गहन अध्ययन किया गया. साथ ही इसके निस्तारण को एक रिपोर्ट तैयार की है. जिसके आधार पर आपदा प्रबंधन विभाग ने जोशीमठ शहर के लिए करीब 875 करोड़ की लागत से पुनर्निमाण का फुलप्रूफ तैयार किया. अब इस प्लान को केंद्र के पास भेजा गया है.
साल 2023 में जोशीमठ से दरारें आई थी: साल 2023 में जोशीमठ शहर से जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें आने की सूचनाएं मिली. ये दरारें अचानक इतनी ज्यादा बढ़ गईं कि शासन के साथ ही सरकार को भी ग्राउंड पर उतरना पड़ा. सबसे पहले तत्काल प्रभाव से 600 भवनों को खाली करवाया गया. इसके बाद नीदरलैंड की फुगरो कंपनी को भू-गर्भीय सर्वे का जिम्मा सौंपा गया. फिर जोशीमठ के रिकवरी और रिकंस्ट्रक्शन के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन हुआ.
जोशीमठ में दरार और भू-धंसाव का मामला अंतरराष्ट्रीय मामला बना. जोशीमठ शहर में भू धंसाव की घटनाओं से निपटने के लिए सेना को भी लगाना पड़ा. इसके साथ ही इन घटनाओं की जांच के लिए कई एजेंसियां भी जोशीमठ में उतारी गई. कई महीनों तक चले अध्ययन के बाद उत्तराखंड सरकार और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने प्रदेश और केंद्र के संयुक्त अभियान के तहत देश की तमाम टॉप टेक्निकल एजेंसियों को जोशीमठ शहर के इन भौगोलिक बदलावों पर जांच करने के निर्देश दिए. टॉप टेक्निकल एजेंसियों में वाडिया हिमालय संस्थान, सीबीआरआई रुड़की, आईआईआरएस और ULMMC समेत कई तकनीकी एजेंसियां शामिल हैं.
भारत सरकार को भेजी गई रिपोर्ट: आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया जोशीमठ शहर के ट्रीटमेंट को लेकर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली गई है. उन्होंने बताया इस रिपोर्ट को भारत सरकार को भेज दिया गया है. भारत सरकार इस रिपोर्ट का परीक्षण कर रही है. केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद युद्धस्तर पर जोशीमठ शहर में रिहैबिलिटेशन और रिकंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर दिया जाएगा.
जोशीमठ पुनर्निर्माण की रिपोर्ट: इसके बारे में अधिक जानकारी देते हुए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि जोशीमठ में स्लोप स्टेबलाइजेशन के लिए 516 करोड़ रुपए की डीपीआर बनाई गई है. रूट प्रोडक्शन के काम के लिए ₹100 करोड़, ड्रेनेज प्लान के लिए ₹100 करोड़, सीवरेज और एसपी के लिए ₹159 करोड़ की डीपीआर तैयार गई है. इस तरह से जोशीमठ शहर के पुनर्निर्माण कार्यों के लिए कुल 875 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार की गई है.
टाइमलाइन होगी सुनिश्चित: आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया, अगर भारत सरकार को लगता है कि रिपोर्ट में संशोधन करना है, तो संशोधन के बाद राज्य को जो भी दिशा निर्देश प्राप्त होंगे, उन निर्देशों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, जिस समय कार्य अलॉट किए जाएंगे उस समय उनकी टाइमलाइन भी सुनिश्चित की जाएगी.
टेक्निकल एजेंसियों की स्टडी रिपोर्ट में खुलासा-
- केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI), रुड़की ने जोशीमठ के नौ प्रशासनिक क्षेत्रों में फैले 2,364 भवनों का व्यापक भौतिक क्षति सर्वेक्षण किया. अपनी 324 पन्नों की रिपोर्ट में, CBRI ने 20% घरों को अनुपयोगी, 42% को और मूल्यांकन की आवश्यकता वाला, और 38% को सुरक्षित घोषित किया.
- राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (NIH), रुड़की ने जोशीमठ में जल रिसाव का अध्ययन किया. जोशीमठ में जल रिसाव की घटनाओं का विश्लेषण किया. 6 जनवरी 2023 को पानी का रिसाव 540 लीटर प्रति मिनट (LPM) था, जो बाद में घटकर 100 LPM हो गया. NIH की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, पानी के नमूनों में किसी बाहरी स्रोत का संकेत नहीं मिला. जिससे यह संकेत मिलता है कि यह पानी स्थानीय भूजल स्रोतों से संबंधित हो सकता है.
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (PDNA) रिपोर्ट में जोशीमठ में जल निकासी की खराब स्थिति, अनियंत्रित निर्माण, और भवन उपनियमों की अनदेखी को भू-धंसाव के प्रमुख कारणों में शामिल किया. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि मॉनसून सीजन समाप्त होने तक नए निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए. टाउन प्लानिंग का अभाव दूर किया जाए.
- जोशीमठ में अध्ययन कर रहे सभी 8 तकनीकी संस्थानों ने अपनी प्राथमिक रिपोर्टें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को सौंप दी है. इन रिपोर्टों में जल निकासी, भूगर्भीय संरचना, और निर्माण संबंधी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी शामिल है.
जोशीमठ शहर में 70 के दशक में इस तरह की घटनाएं सामने आई थी. तब यूपी सरकार ने इन घटनाओं की जांच के लिए मिश्रा कमेटी गठित की. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कुछ बताया, आपको बताते हैं-
जोशीमठ में 800 से ज्यादा मकानों में आई थी दरारें, कई को तोड़ा गया: जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद, जनवरी 2023 में कई मकानों और होटलों में दरारें आईं. जिसके कारण उन्हें असुरक्षित घोषित किया गया. जनवरी 2023 तक, 800 से अधिक मकानों में दरारें पाई गईं, जिनमें से 165 मकान डेंजर जोन में थे. इन असुरक्षित भवनों में से कुछ को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई. जनवरी 2023 में, लोक निर्माण विभाग का निरीक्षण भवन ध्वस्त किया गया. दो होटलों मलारी इन और माउंट व्यू को गिराने की प्रक्रिया पूरी की गई. इसके अलावा, दिसंबर 2023 में एक रिपोर्ट आई. जिसमें जोशीमठ में 1,000 से अधिक मकानों को ध्वस्त करने की बात कही गई. ये सभी मकाम हाई रिस्क जोन में स्थित हैं
जोशीमठ भू-धंसाव से प्रभावित कई परिवार: जनवरी 2023 में उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भू-धंसाव के कारण लगभग 700 मकानों में दरारें आईं, जिससे 15,000 से 20,000 लोग प्रभावित हुए. प्रशासन ने 81 लोगों को अस्थायी ठिकानों में स्थानांतरित किया. लगभग 4,000 लोगों के लिए जोशीमठ और पास के पीपलकोटी में रहने की व्यवस्था की. हालांकि, इसके कई महीनों बाद भी पुनर्वास नीति नहीं बन पाई है. भू धंसाव से प्रभावित लोग अपने टूटे हुए घरों में लौटने को मजबूर हैं.
जोशीमठ में पुनर्वास के लिए किए गए राहत कार्य: जोशीमठ आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार एक्शन में आई. सरकार ने तुरंत आपदा प्रभावित परिवारों के लिए राहत शिविर स्थापित किए. जहां उन्हें आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गईं. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने जोशीमठ में 2,364 भवनों का सर्वेक्षण किया. जिसमें 1,200 घरों को उच्च जोखिम क्षेत्र में पाया गया. जिसके हाद ध्वस्तीकरण कार्य का भी शुरू किया गया, जिसमें असुरक्षित भवनों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई, ताकि भविष्य में किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके. प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए भूमि अधिग्रहण और नए आवासों के निर्माण की योजना बनाई गई है.
जोशीमठ में बनाए गए अलग अलग रिस्क जोन: भू-धंसाव की घटनाओं के बाद जोशीमठ को संवेदनशीलता के आधार पर तीन जोन में विभाजित किया गया. हाई रिस्क जोन जो लगभग 35% क्षेत्र इस जोन में आता है, जहां से सभी लोगों को विस्थापित किया जाएगा. इसके बाद मीडियम रिस्क जोन, इस क्षेत्र में इमारतों को चार श्रेणियों में बांटा गया. इसमें आवश्यकतानुसार कार्रवाई की जाएगी. आखिर में लो रिस्क जोन आता है. इस क्षेत्र में स्थित इमारतों की निगरानी जारी है. यहां आवश्यकतानुसार मरम्मत कार्य किए जाएंगे.
जोशीमठ हादसे के लिए दी गई मुवावजा धनराशि: जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित लोगों के लिए उत्तराखंड सरकार ने पुनर्वास नीति के तहत मुआवजा वितरण शुरू की. पहले दिन तीन प्रभावितों को 63 लाख रुपये से अधिक की राशि प्रदान की गई. केंद्र सरकार ने भी जोशीमठ के पुनर्निर्माण के लिए 1,658.17 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी. जिसमें से 1,079.96 करोड़ रुपये तीन किस्तों में जारी किए जाएंगे. इस वर्ष के भीतर 500.73 करोड़ रुपये की पहली किस्त राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग को सौंपी गई. इस प्रकार, प्रभावित लोगों को राहत राशि के रूप में राज्य और केंद्र सरकारों से सहायता मिल रही है. पुनर्निर्माण कार्यों के लिए धनराशि जारी की जा रही है.
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