कटिहारः भारतीय संविधान की प्रस्तावना में पहली पंक्ति में लिखा है 'हम भारत के लोग' इसका तात्पर्य यह है कि हम भारत के निवासी हैं. हमें यहां की नागरिकता मिली हुई है. लेकिन भारत में कई ऐसे लोग रहते हैं जिसे नागरिकता नहीं मिली है. केंद्र सरकार ने सीएए लाकर इसी समस्या को दूर करने का काम किया है. अब वैसे लोग जो दूसरे देश से भारत में शरणार्थी बनकर आए थे अब उन्हें नागरिकता मिल जाएगी. अब वे भी गर्व से कह सकेंगे 'हम भारत के लोग'.
बिहार में ऐसे कई शरणार्थी रह रहे हैं. कटिहार जिले में एक बर्मा कॉलोनी है. इस कॉलोनी में पाकिस्तान, बाग्लादेश, बर्मा से आए शरणार्थी रहते हैं. 1956 के आसपास अपना देश छोड़कर भारत आ गए थे. शरणार्थियों ने बताया कि 'उस समय दंगा भड़कने से गैर मुस्लिमों को मारा जा रहा था. इसलिए हमलोग भागकर अपने पुराने देश भारत आ गए. इस दौरान सरकार ने काफी मदद की थी.' अब सीएए लागू होने के बाद इन शरणार्थियों में खुशी का माहौल है.
कटिहार में 164 परिवार शरणार्थीः भारत के विभिन्न राज्यों में दूसरे देश से आए शरणार्थियों को सरकार ने जमीन देकर बसाने का काम किया. बिहार के मुजफ्फरपुर, कटिहार, किशनगंज आदि जगहों पर लोग बसे हैं. कटिहार के बर्मा कॉलोनी में ऐसे 164 परिवार रहते हैं जो किसी न किसी देश से भारत में शरण लिए थे. अब भारत सरकार ने सीएए लागू कर दिया है. अब इन्हे भारत की नागरिकता मिल जाएगी.
'गैर हिन्दुओं को किया गया था टार्गेट': बर्मा कॉलोनी के रहने वाले चंदेश्वर दिवान में बताया कि भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद 1956 ई. में पाकिस्तान में धार्मिक दंगा भड़क गया था. गैर मुस्लिमों को टार्गेट कर मारा जा रहा था. इसलिए हमलोगों को अपना घर वार छोड़कर वहां से भागना पड़ा. जिस समय भारत आए सरकार की ओर से काफी मदद की गई. सरकार ने हमलोगों को जमीन देकर बसाने का काम किया.
"1956 में हिंसा के समय हमलोग पूर्वी पाकिस्तान से आए थे. कुछ दिनों तक हमलोगों को बेतिया में रखा गया था. इसके बाद 1982 में सरकार ने हमलोगों को कटिहार लाया. यहीं बर्मा कॉलोनी में हमलोगों को जमीन देकर बसाया गया. उस समय रोजगार करने के लिए हमलोगों को 12 हजार रुपए दिया गया था. सीएए आने से सरकारी काम और बच्चों की नौकरी में परेशानी नहीं होगी. गर्व से बोल सकते हैं कि हम भारत के नागरिक हैं. -चन्देश्वर दिवान, पाकिस्तान से आए शरणार्थी
'भारत सरकार ने बसाने का काम किया': पाकिस्तान के अलावे बर्मा से भी कई लोग भारत आए थे. 1937 में भारत से बर्मा अलग होने के बाद वहां भी दंगा भड़की थी. कई शरणार्थी को भारत आना पड़ा था. इसमें लक्ष्मण बर्मा भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हमलोगों से पहले से यहां पाकिस्तान से लोग आए हुए थे. सरकार ने सभी लोगों को बसाने का काम किया. लक्ष्मण बर्मा ने कहा कि अब सीएए लागू होने के बाद से लोगों में खुशी का माहौल है.
"मैं बर्मा से लौटा था. यहां 1970 से कई लोग पूर्वी पाकिस्तान से आए थे. भारत सरकार की ओर से काफी सहयोग किया गया और हमलोगों को बसाया गया. सीएए लागू होने से लोग काफी खुश हैं. पहले जो नागरिक सुविधा मिल रही थी इससे बेहतर उपलब्ध होगी." -लक्ष्मण बर्मा, बर्मा से आए शरणार्थी
'अब पूर्ण नागरिक्ता मिल जाएगी': पाकिस्तान से आए शरणार्थी सुकुमार बर्मन ने कहा कि सीएए लागू होने से अब हमलोगों को पूर्ण नागरिकता मिल जाएगी. सुकुमार ने बताया कि जब वे लोग पाकिस्तान से आए थे उस वक्त उनलोगों को बेतिया में रखा गया था. 1964 के आसपास पाकिस्तान से आए थे. यहां बेतिया, पूर्णिया सहित कई जिलों से शरणार्थी को बसाया गया था. सरकार ने काफी मदद की थी.
"हम 1964 ई. में पाकिस्तान से आए थे. हमलोगों को सरकार की ओर से बसाया गया. सीएए आने से हमलोग काफी खुश हैं. इससे हमलोगों को पूर्ण नागरिकता मिल जाएगी. हमलोगों का आने वाला परिवार को इससे काफी फायदा मिलेगा. अभी हमलोग बर्मा कॉलोनी में ऐसे 164 परिवार हैं जो पाकिस्तान से आए थे. बेतिया, पूर्णिया सहित कई जगह से लाकर लोगों को यहां बसाया गया है." -सुकुमार बर्मन, पाकिस्तान से आए शरणार्थी
'सौ फीसदी गारंटी मिल गयी': कटिहार नगर थाना क्षेत्र के बर्मा कॉलोनी 164 परिवारों को बसाया गया है. भारत सरकार ने नियम बनाकर इस परिवारों को बसने और कारोबार कर जिन्दगी बसर करने की अनुमति दी थी. 1982 ई. में उनके परिवारों को मताधिकार का मौका मिला. आम आदमी की तरह वे सभी जिन्दगी बसर कर रहें है. स्थानीय आनन्द पॉल भी बताते हैं कि सीएए कानून लागू होने से अब सौ फीसदी गारंटी मिल गयी.
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