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आने वाली है सैलाना की बालम ककड़ी, स्वाद ऐसा कि बड़े शहरों में भी है जमकर डिमांड - Ratlam Sailana Balam Kakdi

पहली नजर में देखकर हर कोई इसे कह देगा यह तो लौकी है लेकिन लौकी जैसी दिखने वाली यह बालम ककड़ी है. रतलाम के सैलाना में मिलने वाली इस ककड़ी की बहुत डिमांड हैं. बाजार में यह सिर्फ एक महीने ही मिलती है. यह ककड़ी औषधीय गुणों से भी भरपूर है.

RATLAM SAILANA BALAM KAKDI
रतलाम के सैलाना की बालम ककड़ी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 7, 2024, 8:18 PM IST

Balam Kheera Benefits: आमतौर पर हम ककड़ी को सलाद के तौर पर भोजन के दौरान इस्तेमाल करते हैं लेकिन रतलाम के सैलाना में उगने वाली जंबो बालम ककड़ी को लोग नाश्ते और फल की तरह खाना पसंद करते है. इसका कारण है इस ककड़ी का खास स्वाद जो लोगों को बारिश के मौसम में केवल एक महीने तक चखने को मिलता है. स्वाद में यह ककड़ी मीठी लगती है. बालम ककड़ी का खास स्वाद लेने के लिए लोग विशेष तौर पर सैलाना क्षेत्र में इसे खरीदने पहुंचते हैं. बालम ककड़ी औषधीय गुणों से भी भरपूर है.

Sailana Balam Kakdi
सैलाना की बालम ककड़ी दिखती है लौकी जैसी (ETV Bharat)

सऊदी अरब तक है डिमांड

पहली नजर में इसे देखने पर लोग लौकी ही समझते हैं लेकिन जब इसे काटा जाता है तो अंदर से यह हरी और केसरिया रंग की दिखाई देती है. इसके स्वाद से अनजान लोग इसे लौकी ही समझते हैं. बारिश के मौसम में मिलने वाली यह खास ककड़ी 80 से 100 रुपए किलो तक बिकती है. सैलाना के वाली गांव की यह बालम ककड़ी इतनी प्रसिद्ध है कि देश के बड़े शहरों से लेकर कुवैत और सऊदी अरब में भी इसकी डिमांड है.

balam kheera benefits
स्वाद में लाजवाब है बालम ककड़ी (ETV Bharat)

सिर्फ एक महीने रहता है ककड़ी का सीजन

यह खास तरह की ककड़ी बेल वर्गीय फसलों की श्रेणी में आती है. आमतौर पर मालवा के पहाड़ी क्षेत्र में यह उगाई जाती है. लेकिन सैलाना क्षेत्र में उत्पादन की जाने वाली बालम ककड़ी का साइज और स्वाद सबसे अच्छा होता है. वैसे तो धार , झाबुआ और राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के गोकुंदा, भीम एवं देवगढ़ में भी इसकी खेती होती है. लेकिन सैलाना के वाली गांव की मिट्टी का जादू ही कुछ ऐसा है की यहां की बालम ककड़ी का स्वाद सब में सर्वश्रेष्ठ है. बालम ककड़ी को मिश्रित खेती के तौर पर आदिवासी किसान उगाते हैं. जहां वह अपनी मक्का और कपास की फसल के बीच में इस ककड़ी के बीज लगाते हैं. खेत में फैली बेल के ऊपर यह ककड़ी लगती है जो दिखने में लौकी की तरह होती है. अगस्त महीने के मध्य से लेकर 15 सितंबर तक इस ककड़ी का सीजन रहता है.

balam kheera
बालम ककड़ी की खेती (ETV Bharat)
Cucumber demand Saudi Arabia
विदेशों में है बालम ककड़ी की डिमांड (ETV Bharat)

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औषधीय गुणों से भरपूर और 100 प्रतिशत आर्गेनिक

बालम ककड़ी स्वाद के मामले में तो अव्वल है ही लेकिन इसके औषधीय गुण भी लाजवाब हैं. अमरगढ़ के रहने वाले संदीप पवार बताते हैं कि "हमारे आदिवासी किसान इसकी खेती पूर्ण रूप से जैविक तरीके से करते हैं. बारिश के मौसम में आदिवासी किसानों के लिए यह कैश क्रॉप की तरह है. बालम ककड़ी की बढ़ती डिमांड से आदिवासी किसानों की आय में धीरे-धीरे वृद्धि भी हो रही है. ककड़ी में प्रचुर मात्रा में मिनरल्स और आयरन होता है. जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी रहता है." अब सैलाना और रतलाम में बालम ककड़ी की बहार आने ही वाली है. रतलाम के आसपास के शहरों और विदेश में इसकी बढ़ती डिमांड की वजह से अब इसका स्वाद चखने के लिए लोगों को थोड़े ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे.

Balam Kheera Benefits: आमतौर पर हम ककड़ी को सलाद के तौर पर भोजन के दौरान इस्तेमाल करते हैं लेकिन रतलाम के सैलाना में उगने वाली जंबो बालम ककड़ी को लोग नाश्ते और फल की तरह खाना पसंद करते है. इसका कारण है इस ककड़ी का खास स्वाद जो लोगों को बारिश के मौसम में केवल एक महीने तक चखने को मिलता है. स्वाद में यह ककड़ी मीठी लगती है. बालम ककड़ी का खास स्वाद लेने के लिए लोग विशेष तौर पर सैलाना क्षेत्र में इसे खरीदने पहुंचते हैं. बालम ककड़ी औषधीय गुणों से भी भरपूर है.

Sailana Balam Kakdi
सैलाना की बालम ककड़ी दिखती है लौकी जैसी (ETV Bharat)

सऊदी अरब तक है डिमांड

पहली नजर में इसे देखने पर लोग लौकी ही समझते हैं लेकिन जब इसे काटा जाता है तो अंदर से यह हरी और केसरिया रंग की दिखाई देती है. इसके स्वाद से अनजान लोग इसे लौकी ही समझते हैं. बारिश के मौसम में मिलने वाली यह खास ककड़ी 80 से 100 रुपए किलो तक बिकती है. सैलाना के वाली गांव की यह बालम ककड़ी इतनी प्रसिद्ध है कि देश के बड़े शहरों से लेकर कुवैत और सऊदी अरब में भी इसकी डिमांड है.

balam kheera benefits
स्वाद में लाजवाब है बालम ककड़ी (ETV Bharat)

सिर्फ एक महीने रहता है ककड़ी का सीजन

यह खास तरह की ककड़ी बेल वर्गीय फसलों की श्रेणी में आती है. आमतौर पर मालवा के पहाड़ी क्षेत्र में यह उगाई जाती है. लेकिन सैलाना क्षेत्र में उत्पादन की जाने वाली बालम ककड़ी का साइज और स्वाद सबसे अच्छा होता है. वैसे तो धार , झाबुआ और राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के गोकुंदा, भीम एवं देवगढ़ में भी इसकी खेती होती है. लेकिन सैलाना के वाली गांव की मिट्टी का जादू ही कुछ ऐसा है की यहां की बालम ककड़ी का स्वाद सब में सर्वश्रेष्ठ है. बालम ककड़ी को मिश्रित खेती के तौर पर आदिवासी किसान उगाते हैं. जहां वह अपनी मक्का और कपास की फसल के बीच में इस ककड़ी के बीज लगाते हैं. खेत में फैली बेल के ऊपर यह ककड़ी लगती है जो दिखने में लौकी की तरह होती है. अगस्त महीने के मध्य से लेकर 15 सितंबर तक इस ककड़ी का सीजन रहता है.

balam kheera
बालम ककड़ी की खेती (ETV Bharat)
Cucumber demand Saudi Arabia
विदेशों में है बालम ककड़ी की डिमांड (ETV Bharat)

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औषधीय गुणों से भरपूर और 100 प्रतिशत आर्गेनिक

बालम ककड़ी स्वाद के मामले में तो अव्वल है ही लेकिन इसके औषधीय गुण भी लाजवाब हैं. अमरगढ़ के रहने वाले संदीप पवार बताते हैं कि "हमारे आदिवासी किसान इसकी खेती पूर्ण रूप से जैविक तरीके से करते हैं. बारिश के मौसम में आदिवासी किसानों के लिए यह कैश क्रॉप की तरह है. बालम ककड़ी की बढ़ती डिमांड से आदिवासी किसानों की आय में धीरे-धीरे वृद्धि भी हो रही है. ककड़ी में प्रचुर मात्रा में मिनरल्स और आयरन होता है. जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी रहता है." अब सैलाना और रतलाम में बालम ककड़ी की बहार आने ही वाली है. रतलाम के आसपास के शहरों और विदेश में इसकी बढ़ती डिमांड की वजह से अब इसका स्वाद चखने के लिए लोगों को थोड़े ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे.

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