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सीतारमण ने राहुल के बयानों पर किया पलटवार, कहा- UPA के पूजीपतियों के लिए ATM थे सार्वजनिक बैंक

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के सार्वजनिक बैंक को लेकर दिए गए बयानों पर हमला किया.

Nirmala Sitharaman
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि यूपीए के कार्यकाल में सार्वजनिक बैंक पूजीपतियों के लिए एटीएम के समान थे. इससे पहले राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार सार्वजनिक बैंक के जरिए बड़े कॉर्पोरेट्स और अमीर लोगों को लाभ पहुंचा रही है.

मोदी सरकार के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी के 'निराधार बयानों' की आलोचना करते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उनपर जमकर निशाना साधा.

इससे पहले बुधवार को एक एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने केंद्र पर सार्वजनिक बैंकों को 'केवल अमीर और शक्तिशाली निगमों के लिए निजी वित्तपोषक' में बदलने का आरोप लगाया था. उन्होंने आरोप लगाया, 'सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को हर भारतीय को ऋण तक पहुंच प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था.

मोदी सरकार ने जनता की इन जीवन रेखाओं को केवल अमीर और शक्तिशाली निगमों के लिए निजी वित्तपोषक में बदल दिया है.' उनकी टिप्पणियों का जवाब देते हुए, सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पीएसबी ने 'उल्लेखनीय बदलाव' देखा है.

क्या विपक्ष के नेता से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि यूपीए कार्यकाल के दौरान कॉर्पोरेट ऋण के हाई कॉन्सेंट्रेशन और अंधाधुंध ऋण देने के कारण पीएसबी की सेहत में काफी गिरावट आई थी?'

वित्त मंत्री ने कहा कि वास्तव में कांग्रेस नीत सरकार के दौरान सार्वजनिक बैंकों को 'एटीएम' की तरह माना जाता था और बैंकों को तत्कालीन कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के पदाधिकारियों द्वारा 'फोन बैंकिंग' के माध्यम से 'मित्रों' को ऋण देने के लिए 'मजबूर' किया जाता था. उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक बैंकों को उनके मित्रों और संदिग्ध कारोबारियों के लिए 'एटीएम' की तरह माना जाता था.

उन्होंने कहा, 'वास्तव में यह यूपीए सरकार के दौरान हुआ था, जब बैंक कर्मचारियों को परेशान किया गया था और तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पदाधिकारियों द्वारा 'फोन बैंकिंग' के माध्यम से अपने मित्रों को ऋण देने के लिए मजबूर किया गया था. मोदी सरकार ने 2015 में एसेट क्वालिटी रिव्यू शुरू किया था. इस दौरान यूपीए सरकार की 'फोन बैंकिंग' प्रथा का खुलासा हुआ.'

उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 3.26 लाख करोड़ रुपये के पुनर्पूंजीकरण के माध्यम से समर्थन दिया गया. साथ ही 54 करोड़ जन धन योजना खातों, प्रधानमंत्री मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया, प्रधानमंत्री स्वनिधि जैसी योजनाओं को बढ़ाया दिया गया. इससे जरूरतमंद लोगों को 52 करोड़ रुपये का जमानत-मुक्त ऋण लाभ मिला.

सीतारमण ने पोस्ट में कहा, 'राहुल गांधी द्वारा तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना पीएसबी के मेहनती कर्मचारियों और नागरिकों का अपमान है. अब समय आ गया है कि कांग्रेस नेता विपक्ष की शासन संबंधी समझ को बेहतर बनाए.'

ये भी पढ़ें- आज लोकसभा में पेश किया गया बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024, जानें आपको क्या होगा फायदा

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि यूपीए के कार्यकाल में सार्वजनिक बैंक पूजीपतियों के लिए एटीएम के समान थे. इससे पहले राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार सार्वजनिक बैंक के जरिए बड़े कॉर्पोरेट्स और अमीर लोगों को लाभ पहुंचा रही है.

मोदी सरकार के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी के 'निराधार बयानों' की आलोचना करते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उनपर जमकर निशाना साधा.

इससे पहले बुधवार को एक एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने केंद्र पर सार्वजनिक बैंकों को 'केवल अमीर और शक्तिशाली निगमों के लिए निजी वित्तपोषक' में बदलने का आरोप लगाया था. उन्होंने आरोप लगाया, 'सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को हर भारतीय को ऋण तक पहुंच प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था.

मोदी सरकार ने जनता की इन जीवन रेखाओं को केवल अमीर और शक्तिशाली निगमों के लिए निजी वित्तपोषक में बदल दिया है.' उनकी टिप्पणियों का जवाब देते हुए, सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पीएसबी ने 'उल्लेखनीय बदलाव' देखा है.

क्या विपक्ष के नेता से मिलने वाले लोगों ने उन्हें यह नहीं बताया कि यूपीए कार्यकाल के दौरान कॉर्पोरेट ऋण के हाई कॉन्सेंट्रेशन और अंधाधुंध ऋण देने के कारण पीएसबी की सेहत में काफी गिरावट आई थी?'

वित्त मंत्री ने कहा कि वास्तव में कांग्रेस नीत सरकार के दौरान सार्वजनिक बैंकों को 'एटीएम' की तरह माना जाता था और बैंकों को तत्कालीन कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के पदाधिकारियों द्वारा 'फोन बैंकिंग' के माध्यम से 'मित्रों' को ऋण देने के लिए 'मजबूर' किया जाता था. उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक बैंकों को उनके मित्रों और संदिग्ध कारोबारियों के लिए 'एटीएम' की तरह माना जाता था.

उन्होंने कहा, 'वास्तव में यह यूपीए सरकार के दौरान हुआ था, जब बैंक कर्मचारियों को परेशान किया गया था और तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पदाधिकारियों द्वारा 'फोन बैंकिंग' के माध्यम से अपने मित्रों को ऋण देने के लिए मजबूर किया गया था. मोदी सरकार ने 2015 में एसेट क्वालिटी रिव्यू शुरू किया था. इस दौरान यूपीए सरकार की 'फोन बैंकिंग' प्रथा का खुलासा हुआ.'

उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 3.26 लाख करोड़ रुपये के पुनर्पूंजीकरण के माध्यम से समर्थन दिया गया. साथ ही 54 करोड़ जन धन योजना खातों, प्रधानमंत्री मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया, प्रधानमंत्री स्वनिधि जैसी योजनाओं को बढ़ाया दिया गया. इससे जरूरतमंद लोगों को 52 करोड़ रुपये का जमानत-मुक्त ऋण लाभ मिला.

सीतारमण ने पोस्ट में कहा, 'राहुल गांधी द्वारा तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना पीएसबी के मेहनती कर्मचारियों और नागरिकों का अपमान है. अब समय आ गया है कि कांग्रेस नेता विपक्ष की शासन संबंधी समझ को बेहतर बनाए.'

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