रामनगर: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मोहन क्षेत्र में IMPCL(indian medical pharmacutical corporation limited) नाम की कंपनी है. इसकी स्थापना 1978 में केंद्र सरकार ने की. आईएमपीसीएल केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अधीन आता है. आईएमपीसीएल भारत सरकार का आयुर्वेदिक और यूनानी दवाईयों के निर्माण का एक मात्र संस्थान है. अब IMPCL को निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी की जा रही है. जिसका यहां के कर्मचारी विरोध कर रहे हैं.
तेज हुआ IMPCL के निजीकरण का विरोध: IMPCLमोहान, अल्मोड़ा का विनिवेश का विरोध होने लगा है. कर्मचारियों ने इसको निजी हाथ में दिए जाने का विरोध शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा अगर सरकार ने इसे निजी हाथों में दिया गया तो कर्मचारी प्रदर्शन करने के साथ ही आत्मदाह जैसे कदम उठाने भी को मजबूर होंगे.
केंद्र सरकार के लाभ देने वाला संस्थानों IMPCL: आईएमपीसीएल कर्मचारी संघ अध्यक्ष जयपाल सिंह रावत ने कहा निगम अपने स्थापना काल से निरंतर लाभ दे रहा है. आईएमपीसीएल भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र की लाभ देने वाले संस्थानों की सूची में शामिल है. आईएमपीसीएल को उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण से निगम को मिनी रत्न श्रेणी से भी अलंकृत किया गया है.जयपाल रावत ने बताया तीन वित्तीय वर्षों से निगम द्वारा 164 करोड़, 260 करोड़, 223 करोड़ की औषधियों की आपूर्ति कर सरकार को 15 करोड़, 45 करोड़, 29 करोड़ का लाभ पहुंचाया है. उन्होंने कहा अगले 2 वर्षों में 500 करोड़ की औषधि आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है.
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IMPCL से जुड़ा हजारों लोगों का रोजगार: जयपाल सिंह रावत ने आरोप लगाते हुए कहा यह क्षेत्र कॉर्बेट पार्क से लगा क्षेत्र है, इसको जमीन निजी हाथों में देकर यहां पर रिजॉर्ट्स वगैरा बनाये जाने हैं. जिसके कारण इसे निजी हाथों में सौंपा जा रहा है. कर्मचारियों ने कहा अगर आईएमपीसीएल का निजीकरण किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तरीके से यहां पर हजारों लोग इस कंपनी से जुड़े हुए हैं. जिसमें पहाड़ों से भी जड़ी बूटियां लाकर कई गरीब परिवार इस कंपनी से जुड़े हैं. अगर इसे निजी हाथों में दिया गया तो कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे.
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कर्मचारियों ने 10 अक्टूबर तक की डेडलाइन दी: उन्होंने कहा कर्मचारी संघ सरकार से अनुरोध करता है कि निगम की वर्तमान स्थिति, पिछड़े क्षेत्र में गरीब एवं कमजोर वर्गों के रोजगार तथा उत्तराखण्ड राज्य में पहाड़ों से पलायन की गम्भीर समस्या को देखते हुये सहानुभूतिपूर्वक विचार कर निगम में चल रही विनिवेश प्रक्रिया को निरस्त कराने को कार्यवाही करें. उन्होंने कहा अगर 10 अक्टूबर तक कोई निर्णय नहीं लिया गया 10 के बाद अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा.
कांग्रेस करेगी निजीकरण का विरोध, सरकार हित में लेगी फैसला: वहीं, इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने कहा आईएमपीसीएल का निजीकरण किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा अगर सरकार आईएमपीसीएल का निजीकरण करेगा तो कांग्रेस इसका पूर्ण विरोध करेगी. वहीं, इस मामले पर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा सरकार जनभावनाओं के अनुरूप व जनहित में कार्य करने की पूरी कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा युवाओं के हितों में कार्य, रोजगार को देखते हुए ही निर्णय लिये जाएंगे.
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आईएमपीसीएल के बारे में जानें: बता दें IMPCL की स्थापना मोहान, अल्मोड़ा की स्थापना वर्ष 1978 में हुई. यह आयुष मंत्रालय के अधीन शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधियों के निर्माण का भारत सरकार का एकमात्र प्रतिष्ठान है. वर्तमान समय में विनिवेश मंत्रालय (DIPAM) द्वारा निगम की विनिवेश प्रक्रिया की जा रही है.
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आईएमपीसीएल के पास 1200 प्रकार की शास्त्रीय औषधि (Classical medicine) निर्माण का लाईसेंस है. वर्तमान में निगम द्वारा लगभग 350 प्रकार की उच्च गुणवत्ता युक्त आयुर्वेदिक एवं 125 प्रकार की यूनानी औषधियों का निर्माण कर देश के केन्द्रीय अस्पतालों, रिसर्च संस्थानों एवं राज्य सरकार के अस्पतालों में इनकी आपूर्ति की जाती है. जैम पोर्टल (Government e market portal) पर भी यह उपलब्ध है. आईएमपीसीएल द्वारा रिसर्च संस्थानों सीसीआरएएस एवं सीसीआरयूएम के लिये ट्रायल ड्रग्स भी बनाये जाते हैं. आईएमपीसीएल द्वारा निर्मित इम्यूनिटी बूस्टर 'आयुष रक्षा किट' कोरोना महामारी के दौरान प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने एवं संक्रमण का प्रसार रोकने में बेहद लाभकारी सिद्ध हुई थी. इसके साथ ही आईएमपीसीएल छोटे एवं मंझोले उद्योगों से प्राथमिकता के आधार पर सामग्री क्रय कर नये स्टार्टअप को प्रोत्साहित करता है.
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IMPCL से जुड़ी खबरों पर एक नजर
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