वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंच चुके हैं. अपने इस दौरे के मद्देनजर वो तमाम कार्यक्रमों में भाग लेने के साथ संत रविदास के दरबार में भी शिरकत करेंगे. यहां वह तमाम योजनाओं की सौगात देने के साथ संत शिरोमणि के दरबार में लंगर भी छकेंगे. उनका आशीर्वाद लेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीर गोवर्धन दौरे के अलग-अलग सियासी मायने भी देखे जा रहे हैं. माना जा रहा है कि संत रविदास के दरबार में जाने से प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि गंगा से लेकर के सिंध तक की राजनीति को साधने का काम करेंगे. यही वजह है कि सीर गोवर्धन में उनके दौरे और सौगातों को लेकर के सियासी चर्चा तेजी से हो रही है. दरअसल, सीर गोवर्धन को लेकर कहा जाता है कि जिस भी राजनीतिक दल को संत रविदास के आशीर्वाद के साथ रैदासियों का साथ मिलता है, वह हमेशा जीत की भूमिका में होता है.
बनारस में मौजूद लाखों की संख्या में रैदासी : हर राजनीतिक दल का नेता संत रविदास के दरबार में जाकर शीश जरूर नवाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संत रविदास के दरबार में मत्था टेकने के साथ एक खास वोट बैंक के बीच एक महत्वपूर्ण संदेश भी पहुंचाने का काम करेंगे. इस दौरान लाखों की संख्या में रैदासी बनारस में मौजूद रहेंगे. सीर गोवर्धनपुर जाने के राजनीतिक मायने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी कहते हैं कि, यहां से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी से लेकर हरियाणा, पंजाब से लेकर जम्मू कश्मीर और अलग-अलग राज्य को साधा जा सकता है. इसका संदेश हर उस जगह जाता है जहां रैदासी समाज के लोग रहते हैं. यही नहीं यह समाज हमेशा से बसपा का कोर वोट बैंक रहा है, जिसके साथ मिलकर मायावती ने प्रदेश में सरकार बनाई है. इन्हीं लोगों के आशीर्वाद से समाजवादी पार्टी और बीजेपी भी सत्ता में रही. यहीं नही इनके साथ आप और कांग्रेस ने भी इन्हें साधने की पूरी कोशिशें की हैं.
इससे पहले भी यहां आ चुके हैं पीएम मोदी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संत रविदास के अनुयायियों के बीच करीब दो घंटे का समय बिताएंगे. इसके सियासी मायने इसलिए भी निकाले जा रहे हैं कि रविदास मंदिर से हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के अनुयायियों की आस्था जुड़ी हुई है. यही वजह है कि सियासत के गलियारे में संत रविदास को पूजने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है. प्रधानमंत्री का यहां आना कोई पहला मौका नहीं है. इससे पहले भी पीएम मोदी 2016 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीर गोवर्धनपुर पहुंचे थे. इसके साथ ही लंगर छककर एक खास वोटबैंक के बीच खास संदेश पहुंचाया था. इसके बाद साल 2019 में लोकसभा चुनाव के पहले पीएम मोदी यहां पर पहुंचे थे.
बसपा के वोट बैंक में भाजपा की सेंधमारी : राजनीतिक विश्लेषक रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि, संत सिरोमणि रविदास के अनुयायियों में रामदासिया समाज की संख्या बहुत बड़ी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, पंजाब और जम्मू तक इस समाज की भूमिका सियासत में भी निर्णायक है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ये बसपा के बड़े वोट बैंक के रूप में जाने जाते हैं. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी रामदासिया समाज से थे. उनके ही चेहरे पर कांग्रेस ने दांव खेला था. लेकिन, पंजाब में कांग्रेस इस दांव को चलाकर भी असफल रही. वहीं, भाजपा का ग्राफ बसपा के कोर बैंक पर कब्जा करने में काफी तेजी से बढ़ा है. उत्तर प्रदेश में भाजपा का वोट प्रतिशत अगर देखा जाए तो इसमें दलित और पिछड़ा समाज के वोट भी काफी बड़ी मात्रा में बढ़े हैं.
पीएम का लाखों रैदासियों से मानसिक जुड़ाव : रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि, आज की तारीख में करोड़ों की संख्या में रैदासी पूरी दुनिया में फैले हैं. संत रविदास जयंती के अवसर में जो काशी में मेला लगता है. उसमें लाखों रैदासी आते हैं. ऐसे में पीएम मोदी के आने से उनका लाखों रैदायसियों से मानसिक जुड़ाव और संवाद होगा. साथ ही वह काशी से सांसद हैं. ऐसे में अपने क्षेत्र के मंदिर में जाना उनका कर्तव्य भी बन जाता है. वहीं, अगर बात करें कि इसका फायदा भाजपा को कितना मिलेगा तो ऐसा कह सकते हैं कि बसपा का कैडर काफी कम काम कर रहा है. इनकी पकड़ से यह वोट बैंक काफी दूर चला गया है. वहीं, बसपा एक्टिव भी नहीं दिख रही. ऐसे में भाजपा इसका पूरा फायदा उठाने जा रही है. भाजपा इस बार बसपा के वोट बैंक में जरूर सेंधमारी करेगी.
लोकसभा की 80 सीटों पर नजर : उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले हर पार्टी का ध्यान उत्तर प्रदेश पर ही रहता है. क्योंकि यहां पर लोकसभा की 80 सीटें हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने खास वोटरों को लुभाने की कोशिश करती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले संत रविदास की आस्था के साथ बनारस पहुंचे हैं. उन्होंने देश ही नहीं विदेश में भी मंदिरों का लोकर्पण किया है, लेकिन उनका सीर गोवर्धनपुर आना लोकसभा चुनाव की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पीएम मोदी संत रविदास की जयंती के अवसर पर उनकी सबसे बड़ी प्रतिमा का लोकार्पण करेंगे. इसके साथ ही वहां पर 100 करोड़ की विकास कार्यों का उद्घाटन भी करेंगे.
इन राज्यों में दलितों-रैदासियों की अच्छी संख्या : अगर बात करें अलग-अलग राज्यों में दलित और रैदासियों की संख्या की तो कुछ ऐसा आंकड़ा निकलकर आता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, दलितों का अनुपात कर्नाटक में 17 और मध्य प्रदेश 16 प्रतिशत है. अनुसूचित जाति में पंजाब की आबादी का लगभग 32 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश का लगभग 20 प्रतिशत शामिल है. संत रविदास के भक्त सबसे ज्यादा पंजाब में हैं. दोआबा इलाके में रैदासियों की बड़ी संख्या है. उनके लगभग 40 पद सिख धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल किए गए हैं. अगर पंजाब की बात करें तो 117 सीटों में से 98 विधानसभा क्षेत्रों में 20 प्रतिशत से 49 प्रतिशत तक दलित मतदाता हैं. आरक्षित सीटों में 8 सीटें ऐसी हैं, जहां पर 40 प्रतिशत से अधिक दलित मतदाता हैं.
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