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PCI ने पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पर जताई चिंता, प्रेस काउंसिल से की हस्तक्षेप की मांग

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 9, 2024, 10:10 AM IST

Press Club of India worried about arrest of Ashutosh Negi प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने उत्तराखंड के पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पर गंभीर चिंता जताई है. PCI ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है कि बेबुनियाद आरोप लगाकर पत्रकार आशुतोष नेगी को गिरफ्तार किया गया है.

Press Club of India
आशुतोष नेगी समाचार

देहरादून: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया राज्य के पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पर चिंतित है. पीसीआई ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि निराधार आरोप लगाकर आशुतोष नेगी को गिरफ्तार किया गया है. पीसीआई की विज्ञप्ति में कहा गया है कि रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की कथित हत्या के संबंध में रिसॉर्ट का स्वामित्व तत्कालीन बीजेपी मंत्री विनोद आर्य के बेटे के पास था.

PCI ने आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पर चिंता जताई: उत्तराखंड पुलिस ने बिना आरोपों की पुष्टि के आशुतोष नेगी पर राज्य सरकार और पुलिस के खिलाफ अविश्वास पैदा करने का आरोप लगाया है. रिपोर्टों के अनुसार आशुतोष नेगी ने एक नागरिक पत्रकार के रूप में अंकिता भंडारी के परिवार के लिए जल्द न्याय की चिंता जताई है, जिसकी कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी. पुलिस प्राथमिक अपराध की जांच पर काम करने के बजाय, आशुतोष नेगी के साथ एक सामान्य अपराधी की तरह व्यवहार कर रही है.

पुलिस के रुख से पीसीआई नाराज: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा कि उत्तराखंड सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना प्रत्येक नागरिक का जरूरी अधिकार है. पत्रकारों तो सवाल उठाने के साथ ही अपने कर्तव्यों का पालन कर लोकतंत्र को जीवित और जीवंत बनाए रखने के लिए सत्ता के सामने सच बोलते हैं. पीसीआई के अनुसार उत्तराखंड पुलिस ने कहा है- आशुतोष नेगी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं पर संदेह है. हम अशुतोष नेगी की गतिविधियों की जांच कर रहे हैं, जो एक साजिश का हिस्सा और कठोर कार्रवाई मालूम पड़ती है.

पीसीआई ने ये भी जोड़ा कि पुलिस कहती है- अगर हमें कोई सबूत मिलता है तो कार्रवाई की जाएगी. इस तरह के बयान की टोन प्रतिशोध का साफ संकेत देती है और अपराध बोध का अहसास कराती है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से आशुतोष नेगी के मामले को उठाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता है कि इस पत्रकार की गिरफ्तारी की स्वतंत्र जांच की जाए, ताकि उनके साथ कोई अन्याय न हो.

ये है आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी का मामला: आशुतोष नेगी को पौड़ी पुलिस ने 5 मार्च को 2022 के पुराने मामले में एससी एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था. आशुतोष नेगी से पहले एक और पत्रकार की गिरफ्तारी भी हो चुकी है, जो फिलहाल पौड़ी जेल में बंद है. दरअसल पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक के पयासू गांव निवासी राजेश सिंह कोली राजा ने मई 2022 में एसपी और डीएम पौड़ी को एक शिकायत भेजी थी. इसमें शिकायतकर्ता ने 4 लोगों पर मारपीट, गाली गलौज, जान से मारने की धमकी और सोशल मीडिया में जाति सूचक शब्दों के उपयोग का आरोप लगाया था. पुलिस ने इसी मामले में आशुतोष नेगी को गिरफ्तार किया है. लेकिन आशुतोष की गिरफ्तारी की टाइमिंग विवादों में है. क्योंकि वो लगातार अंकिता भंडारी मर्डर मामले में उसके परिवार के साथ न्याय की मांग कर रहे थे.

क्या है प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई)? प्रेस क्लब ऑफ इंडिया यानी पीसीआई जर्नलिस्ट और मीडिया प्रोफेशनल्स का एक संगठन है. इसकी स्थापना 1957 में दुर्गा दास द्वारा की गई थी. पीसीआई का नेतृत्व एक सालाना निर्वाचित कार्यकारी निकाय के द्वारा होता है. इसमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष के साथ ही प्रबंध समिति के 16 सदस्य निर्वाचित होते हैं. पीसीआई देश में जर्नलिस्ट का सबसे बड़े संगठनों में से है.
ये भी पढ़ें: आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी के विरोध को डीजीपी ने बताया निजी एजेंडा, अंकिता के परिजनों का फूटा गुस्सा

ये भी पढ़ें: 'अंकिता के परिजनों की हिम्मत तोड़ने, आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश', आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पर बोले गणेश गोदियाल

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PCI ने आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पर चिंता जताई: उत्तराखंड पुलिस ने बिना आरोपों की पुष्टि के आशुतोष नेगी पर राज्य सरकार और पुलिस के खिलाफ अविश्वास पैदा करने का आरोप लगाया है. रिपोर्टों के अनुसार आशुतोष नेगी ने एक नागरिक पत्रकार के रूप में अंकिता भंडारी के परिवार के लिए जल्द न्याय की चिंता जताई है, जिसकी कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी. पुलिस प्राथमिक अपराध की जांच पर काम करने के बजाय, आशुतोष नेगी के साथ एक सामान्य अपराधी की तरह व्यवहार कर रही है.

पुलिस के रुख से पीसीआई नाराज: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा कि उत्तराखंड सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना प्रत्येक नागरिक का जरूरी अधिकार है. पत्रकारों तो सवाल उठाने के साथ ही अपने कर्तव्यों का पालन कर लोकतंत्र को जीवित और जीवंत बनाए रखने के लिए सत्ता के सामने सच बोलते हैं. पीसीआई के अनुसार उत्तराखंड पुलिस ने कहा है- आशुतोष नेगी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं पर संदेह है. हम अशुतोष नेगी की गतिविधियों की जांच कर रहे हैं, जो एक साजिश का हिस्सा और कठोर कार्रवाई मालूम पड़ती है.

पीसीआई ने ये भी जोड़ा कि पुलिस कहती है- अगर हमें कोई सबूत मिलता है तो कार्रवाई की जाएगी. इस तरह के बयान की टोन प्रतिशोध का साफ संकेत देती है और अपराध बोध का अहसास कराती है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से आशुतोष नेगी के मामले को उठाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता है कि इस पत्रकार की गिरफ्तारी की स्वतंत्र जांच की जाए, ताकि उनके साथ कोई अन्याय न हो.

ये है आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी का मामला: आशुतोष नेगी को पौड़ी पुलिस ने 5 मार्च को 2022 के पुराने मामले में एससी एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था. आशुतोष नेगी से पहले एक और पत्रकार की गिरफ्तारी भी हो चुकी है, जो फिलहाल पौड़ी जेल में बंद है. दरअसल पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक के पयासू गांव निवासी राजेश सिंह कोली राजा ने मई 2022 में एसपी और डीएम पौड़ी को एक शिकायत भेजी थी. इसमें शिकायतकर्ता ने 4 लोगों पर मारपीट, गाली गलौज, जान से मारने की धमकी और सोशल मीडिया में जाति सूचक शब्दों के उपयोग का आरोप लगाया था. पुलिस ने इसी मामले में आशुतोष नेगी को गिरफ्तार किया है. लेकिन आशुतोष की गिरफ्तारी की टाइमिंग विवादों में है. क्योंकि वो लगातार अंकिता भंडारी मर्डर मामले में उसके परिवार के साथ न्याय की मांग कर रहे थे.

क्या है प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई)? प्रेस क्लब ऑफ इंडिया यानी पीसीआई जर्नलिस्ट और मीडिया प्रोफेशनल्स का एक संगठन है. इसकी स्थापना 1957 में दुर्गा दास द्वारा की गई थी. पीसीआई का नेतृत्व एक सालाना निर्वाचित कार्यकारी निकाय के द्वारा होता है. इसमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष के साथ ही प्रबंध समिति के 16 सदस्य निर्वाचित होते हैं. पीसीआई देश में जर्नलिस्ट का सबसे बड़े संगठनों में से है.
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