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प्रशांत किशोर.. नाम तो सुना होगा.. कितना जानते हैं आप उनको.. जानिए बिहार के लड़के की 'चाणक्य' बनने की कहानी - PRASHANT KISHOR - PRASHANT KISHOR

PRASHANT KISHOR PARTY: 2 अक्टूर 2024 बिहार की सियासत के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण दिन साबित होनेवाला है. दरअसल इन दिनों बिहार की सियासत में छाए जन सुराज यात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर अपनी सियासी पार्टी का एलान करनेवाले हैं. ऐसे में सवाल ये है कि अपनी रणनीतियों से कई नेताओं को सत्ता से सिंहासन तक पहुंचा चुके PK बिहार की सियासी बयार बदलने में कामयाब होंगे,

प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 1, 2024, 9:37 PM IST

Updated : Oct 1, 2024, 9:47 PM IST

पटनाः वैसे तो 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के लिए प्रसिद्ध है लेकिन 2 अक्टूबर 2024 बिहार की सियासत के लिए एक बेहद ही खास दिन बनने जा रहा है. पिछले दो सालों से पूरे बिहार में जन सुराज यात्रा के जरिये पहचान बनानेवाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर, बुधवार को नयी पार्टी का गठन कर पूरी क्षमता के साथ सियासत के दंगल में उतरने वाले हैं.

1 करोड़ सदस्यों के साथ पार्टी की शुरुआतः दल बनाने से पहले प्रशांत किशोर ने कार्यकर्ताओं की विशाल फौज खड़ी कर ली है और पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित एक मेगा इवेंट में अपनी नयी सियासी पार्टी के नाम और उसकी नीतियों का एलान करेंगे. प्रशांत किशोर का दावा है कि वो अपनी पार्टी के जरिये बिहार की सियासत को नयी दिशा देंगे. जन सुराज के दावों के मुताबिक पार्टी गठन से पहले ही करीब 1 करोड़ लोग इसके सदस्य बन चुके हैं.

जनता से संवाद करते प्रशांत किशोर.
जनता से संवाद करते प्रशांत किशोर. (ETV Bharat)

गांव की गलियों से सत्ता के गलियारों तकः चुनावी रणनीतिकार के रूप में बड़ी पहचान रखनेवाले प्रशांत किशोर का जन्म 1976 में रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था. पिता श्रीकांत पांडेय पेशे से सरकारी चिकित्सक थे इसलिए जहां-जहां पिताजी की पोस्टिंग रही, प्रशांत का जीवन में उन गांवों-शहरों में गुजरा. प्राथमिक शिक्षा तो उन्होंने करहगर में पूरी की लेकिन पिताजी की पोस्टिंग बक्सर हुई तो बक्सर आ गये और एमपी हाई स्कूल से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की.

"प्रशांत किशोर का बचपन सासाराम के कोनार गांव में बीता. उसके बाद उनके पिता करहगर चले गए. वहां भी उन्होंने स्कूलिंग की बाद में उनका तबादला बक्सर हो गया. प्रशांत किशोर बचपन से ही शांत स्वभाव के थे."- रोहित पांडेय, जन सुराज कार्यकर्ता, सासाराम

प्रशांत किशोर का गांव.
प्रशांत किशोर का गांव. (ETV Bharat)

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ली उच्च शिक्षाः मैट्रिक पास करने के बाद प्रशांत किशोर ने पटना के साइंस कॉलेज से इंटरमीडिएट किया और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से पब्लिक हेल्थ से प्रोफेशनल कोर्स पूरा किया. दिल्ली यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद पीके ने विदेश का रुख किया.

बिहार की सियासत बदल पाएंगे PK ?
बिहार की सियासत बदल पाएंगे PK ? (ETV BHARAT)

संयुक्त राष्ट्र के लिए 8 साल काम कियाः विदेश में रहने के दौरान प्रशांत किशोर ने संयुक्त राष्ट संघ के लिए 8 वर्षों तक काम किया.इस दौरान उन्होंने स्विट्जरलैंड, अमेरिका और अफ्रीका में काम किया. 2013 में प्रशांत किशोर ने 2014 के आम चुनाव की तैयारी के लिए एक मीडिया और प्रचार कम्पनी, सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) का निर्माण किया.

PK:चुनावी सफलता के पर्यायः अपनी रणनीतियों से सियासी दलों को सत्ता दिलाने के प्रतीक बन चुके प्रशांत किशोर ने सबसे पहले 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी प्रबंधन की कमान संभाली थी और उन्हें फिर से गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई.

2014 में दिया नारा अबकी बार, मोदी सरकारः 2012 में पीके की चुनावी रणनीतियों के कायल हुए नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी चुनावी प्रबंधन की कमान प्रशांत किशोर को सौंप दी और फिर पीके ने देश के सामने नया नारा दिया-अबकी बार मोदी सरकार. 2014 में केंद्र में प्रचंड बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आ गयी.

कई दलों की चुनावी कमान संभाली
कई दलों की चुनावी कमान संभाली (ETV BHARAT)

2015 में महागठबंधन को दिलाई जीतः हालांकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पीके ने बीजेपी की जगह लालू-नीतीश-कांग्रेस के महागठबंधन के चुनावी प्रबंधन की कमान संभाली और बिहार में महागठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की. इस दौरान प्रशांत किशोर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और जेडीयू के नीतीश कुमार के काफी नजदीक रहे.

नीतीश ने बनाया जेडीयू का उपाध्यक्षः 2015 में महागठबंधन की शानदार जीत के बाद प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खासमखास बन गये. नीतीश कुमार ने पहले उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया और फिर बाद में उन्हें अपनी पार्टी जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया.

2017 में पंजाब में पास, यूपी में फेलः 2017 में प्रशांत किशोर ने पंजाब के तत्कालीन कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक सलाहकार के रूप में चुनावी कमान संभाली और 10 साल बाद पंजाब की सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई. हांलाकि 2017 में ही यूपी में प्रशांत किशोर कांग्रेस और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के गठबंधन को जीत नहीं दिला सके.

2019 में दक्षिण में ली एंट्रीः 2019 में दो राज्यों में चुनाव का काम प्रशांत किशोर को मिला.आंध्र प्रदेश में प्रशांत किशोर ने YSRCP के जगनमोहन रेड्डी को जीत दिलाने के लिए प्रबंधन का काम किया. पीके ने YSRCP के लिए समराला संवरवरम , अन्ना पिलुपु और प्रजा संकल्प यात्रा जैसे कई चुनावी अभियानों के जरिये छवि बदल डाली और पार्टी को 175 में से 151 सीट मिली.

2020 में केजरीवाल के लिए किया कामः 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने अरविंद केजरीवाल के लिए चुनाव प्रबंधन का काम किया और यहां भी बेहतर नतीजे आए. 2021 में प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में एंट्री ली और वहां ममता बनर्जी के लिए चुनाव प्रबंधन का काम किया.

2022 में शुरू की जन सुराज यात्राः अपनी बेहतर रणनीति और प्रबंधन से कई दलों को सत्ता-सिंहासन तक पहुंचानेवाले प्रशांत किशार ने आखिरकार खुद ही सियासत में उतरने का फैसला किया, लेकिन इससे पहले उन्होंने जनता की नब्ज टटोलने के लिए 2022 में जन सुराज यात्रा शुरू की. इन दो सालों के दौरान प्रशांत किशोर ने बिहार के करीब सभी इलाकों का दौरा किया और अपने नीतियों-सिद्धांतो को लोगों तक पहुंचाया और अब 2 अक्टूबर को 1 करोड़ सदस्यों के साथ नयी पार्टी का गठन कर बिहार की सियासी दलों के सामने कड़ी चुनौती पेश करने जा रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः'2 अक्टूबर को बिहार के 1 करोड़ संस्थापक सदस्य मिलकर जन सुराज अभियान को दल बनाएंगे' - Prashant Kishor

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1 करोड़ सदस्यों के साथ पार्टी की शुरुआतः दल बनाने से पहले प्रशांत किशोर ने कार्यकर्ताओं की विशाल फौज खड़ी कर ली है और पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित एक मेगा इवेंट में अपनी नयी सियासी पार्टी के नाम और उसकी नीतियों का एलान करेंगे. प्रशांत किशोर का दावा है कि वो अपनी पार्टी के जरिये बिहार की सियासत को नयी दिशा देंगे. जन सुराज के दावों के मुताबिक पार्टी गठन से पहले ही करीब 1 करोड़ लोग इसके सदस्य बन चुके हैं.

जनता से संवाद करते प्रशांत किशोर.
जनता से संवाद करते प्रशांत किशोर. (ETV Bharat)

गांव की गलियों से सत्ता के गलियारों तकः चुनावी रणनीतिकार के रूप में बड़ी पहचान रखनेवाले प्रशांत किशोर का जन्म 1976 में रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था. पिता श्रीकांत पांडेय पेशे से सरकारी चिकित्सक थे इसलिए जहां-जहां पिताजी की पोस्टिंग रही, प्रशांत का जीवन में उन गांवों-शहरों में गुजरा. प्राथमिक शिक्षा तो उन्होंने करहगर में पूरी की लेकिन पिताजी की पोस्टिंग बक्सर हुई तो बक्सर आ गये और एमपी हाई स्कूल से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की.

"प्रशांत किशोर का बचपन सासाराम के कोनार गांव में बीता. उसके बाद उनके पिता करहगर चले गए. वहां भी उन्होंने स्कूलिंग की बाद में उनका तबादला बक्सर हो गया. प्रशांत किशोर बचपन से ही शांत स्वभाव के थे."- रोहित पांडेय, जन सुराज कार्यकर्ता, सासाराम

प्रशांत किशोर का गांव.
प्रशांत किशोर का गांव. (ETV Bharat)

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ली उच्च शिक्षाः मैट्रिक पास करने के बाद प्रशांत किशोर ने पटना के साइंस कॉलेज से इंटरमीडिएट किया और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से पब्लिक हेल्थ से प्रोफेशनल कोर्स पूरा किया. दिल्ली यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद पीके ने विदेश का रुख किया.

बिहार की सियासत बदल पाएंगे PK ?
बिहार की सियासत बदल पाएंगे PK ? (ETV BHARAT)

संयुक्त राष्ट्र के लिए 8 साल काम कियाः विदेश में रहने के दौरान प्रशांत किशोर ने संयुक्त राष्ट संघ के लिए 8 वर्षों तक काम किया.इस दौरान उन्होंने स्विट्जरलैंड, अमेरिका और अफ्रीका में काम किया. 2013 में प्रशांत किशोर ने 2014 के आम चुनाव की तैयारी के लिए एक मीडिया और प्रचार कम्पनी, सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) का निर्माण किया.

PK:चुनावी सफलता के पर्यायः अपनी रणनीतियों से सियासी दलों को सत्ता दिलाने के प्रतीक बन चुके प्रशांत किशोर ने सबसे पहले 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी प्रबंधन की कमान संभाली थी और उन्हें फिर से गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई.

2014 में दिया नारा अबकी बार, मोदी सरकारः 2012 में पीके की चुनावी रणनीतियों के कायल हुए नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी चुनावी प्रबंधन की कमान प्रशांत किशोर को सौंप दी और फिर पीके ने देश के सामने नया नारा दिया-अबकी बार मोदी सरकार. 2014 में केंद्र में प्रचंड बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आ गयी.

कई दलों की चुनावी कमान संभाली
कई दलों की चुनावी कमान संभाली (ETV BHARAT)

2015 में महागठबंधन को दिलाई जीतः हालांकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पीके ने बीजेपी की जगह लालू-नीतीश-कांग्रेस के महागठबंधन के चुनावी प्रबंधन की कमान संभाली और बिहार में महागठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की. इस दौरान प्रशांत किशोर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और जेडीयू के नीतीश कुमार के काफी नजदीक रहे.

नीतीश ने बनाया जेडीयू का उपाध्यक्षः 2015 में महागठबंधन की शानदार जीत के बाद प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खासमखास बन गये. नीतीश कुमार ने पहले उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया और फिर बाद में उन्हें अपनी पार्टी जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया.

2017 में पंजाब में पास, यूपी में फेलः 2017 में प्रशांत किशोर ने पंजाब के तत्कालीन कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक सलाहकार के रूप में चुनावी कमान संभाली और 10 साल बाद पंजाब की सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई. हांलाकि 2017 में ही यूपी में प्रशांत किशोर कांग्रेस और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के गठबंधन को जीत नहीं दिला सके.

2019 में दक्षिण में ली एंट्रीः 2019 में दो राज्यों में चुनाव का काम प्रशांत किशोर को मिला.आंध्र प्रदेश में प्रशांत किशोर ने YSRCP के जगनमोहन रेड्डी को जीत दिलाने के लिए प्रबंधन का काम किया. पीके ने YSRCP के लिए समराला संवरवरम , अन्ना पिलुपु और प्रजा संकल्प यात्रा जैसे कई चुनावी अभियानों के जरिये छवि बदल डाली और पार्टी को 175 में से 151 सीट मिली.

2020 में केजरीवाल के लिए किया कामः 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने अरविंद केजरीवाल के लिए चुनाव प्रबंधन का काम किया और यहां भी बेहतर नतीजे आए. 2021 में प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में एंट्री ली और वहां ममता बनर्जी के लिए चुनाव प्रबंधन का काम किया.

2022 में शुरू की जन सुराज यात्राः अपनी बेहतर रणनीति और प्रबंधन से कई दलों को सत्ता-सिंहासन तक पहुंचानेवाले प्रशांत किशार ने आखिरकार खुद ही सियासत में उतरने का फैसला किया, लेकिन इससे पहले उन्होंने जनता की नब्ज टटोलने के लिए 2022 में जन सुराज यात्रा शुरू की. इन दो सालों के दौरान प्रशांत किशोर ने बिहार के करीब सभी इलाकों का दौरा किया और अपने नीतियों-सिद्धांतो को लोगों तक पहुंचाया और अब 2 अक्टूबर को 1 करोड़ सदस्यों के साथ नयी पार्टी का गठन कर बिहार की सियासी दलों के सामने कड़ी चुनौती पेश करने जा रहे हैं.

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Last Updated : Oct 1, 2024, 9:47 PM IST
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