पटनाः प्रशांत किशोर की नवगठित जन सुराज पार्टी का पहला कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज भारती को बनाया गया है. मनोज भारती बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले हैं और दलित जाति से आते हैं. जैसा कि प्रशांत किशोर ने घोषणा किया था कि उनकी पार्टी का पहला अध्यक्ष दलित चेहरा होगा, उसके अनुरूप ही मनोज भारती को अध्यक्ष बनाया गया है. पार्टी के गठन के साथ ही इस नियुक्ति से राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गई है.
कौन हैं मनोज भारतीः मनोज भारती आईआईटी कानपुर से पासआउट हैं. भारतीय विदेश सेवा (IFS) में अधिकारी रहे हैं. विदेश सेवा के दौरान वह चार देशों में भारत के राजदूत रहे हैं. वह यूक्रेन और बेलारूस जैसे देशों के राजदूत भी रहे हैं. मनोज भारती ने जमुई जिले के एक सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की. उसके बाद अविभाजित बिहार के नेतरहाट स्कूल में पढ़ाई की. उसके बाद आईआईटी कानपुर के लिए चयन हुआ. फिर उनका चयन सिविल सेवा में हो गया और वे भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुन लिए गए.
IIT से पढ़ाई, फिर 4 देशों में रहे भारत के राजदूत, आखिर कितने योग्य हैं जन सुराज के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज भारती ? pic.twitter.com/YALoKNSppW
— Baat Bihar Ki (@BaatBiharKii) October 2, 2024
क्यों चुने गये मनोजः मनोज भारती एक अनुभवी और जमीनी स्तर के नेता माने जाते हैं, जो वर्षों से सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं. वे बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों पर काम करते रहे हैं. उनके नेतृत्व में विभिन्न सामाजिक आंदोलनों और सुधार अभियानों का संचालन हुआ, जिसने उन्हें क्षेत्रीय स्तर पर एक मजबूत पहचान दिलाई. माना जा रहा है कि उनके जमीनी अनुभव और सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए उपयुक्त बनाया.
मनोज भारती जी चुने गए जन सुराज के कार्यवाहक अध्यक्ष। pic.twitter.com/cUZo0X0ePk
— Jan Suraaj (@jansuraajonline) October 2, 2024
मनोज भारती की नियुक्ति का महत्वः मनोज भारती को पार्टी का पहला कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए जाने का मुख्य कारण उनके राजनीतिक अनुभव और सामाजिक मुद्दों की गहरी समझ मानी जा रही है. मनोज भारती और उनकी टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को बिहार में और मजबूत करना है. इसके लिए उन्हें प्रशांत किशोर के नेतृत्व में रणनीतिक रूप से कार्य करना होगा. पार्टी का उद्देश्य आगामी चुनावों में एक वैकल्पिक राजनीतिक ताकत के रूप में उभरना है, जो जमीनी मुद्दों को केंद्र में रखकर राजनीति करेगी.
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