मुंबई : एनसीपी (शरद पवार गुट) ने गुरुवार को महाराष्ट्र में भाजपा के संबंध में शरद पवार के रुख पर राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल के दावों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया. प्रफुल्ल पटेल ने एक निजी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि जुलाई 2023 में अजीत पवार द्वारा सत्तारूढ़ महायुति सरकार में शामिल होने के लिए पार्टी को विभाजित करने के बाद, एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार ने भाजपा को "50 प्रतिशत" समर्थन देने का मन बना लिया था.
पटेल ने कहा, आखिरी समय में शरद पवार ने अपना मन बदल लिया और ऐसा नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि अजित पवार के दो जुलाई, 2023 को डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने एक पखवाड़े बाद अलग हुए गुट के नेताओं ने मुंबई और पुणे में शरद पवार से मुलाकात की, लेकिन आखिरी समय में शरद पवार अपने रुख से विचलित हो गए.
उधर, पटेल के बयानों को "सरासर झूठ" बताकर खारिज करते हुए राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि राकांपा नेता द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले लोगों के मन में भ्रम पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है. तापसे ने बताया,“शरद पवार कई बार भाजपा को समर्थन देने से इनकार कर चुके हैं. यह राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है.”
तापसे ने कहा कि शरद पवार ने उनके कथित प्रस्ताव को अस्वीकार कर अजीत पवार, पटेल और राकांपा के अन्य नेताओं को निराश कर दिया. अब वे महाराष्ट्र की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए शरद पवार का नाम ले रहे हैं. तपासे ने तंज करते हुए बताया कि हाल ही में अजीत पवार के खिलाफ कुछ गंभीर मामलों को बंद करने से उनके समूह की भाजपा के प्रति निष्ठा का कारण सामने आ गया है.
राकांपा (सपा) के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि अजित पवार के पास राकांपा नाम और 'घड़ी' चुनाव चिह्न पर नियंत्रण का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. तापसे ने कहा कि चुनाव नजदीक आने के साथ ही लोगों का राकांपा (सपा) के शरद पवार साहब के नेतृत्व में विश्चास बढ़ता जा रहा है.
ये भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव 2024: महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे शरद पवार, उद्धव ठाकरे