नई दिल्ली: चंडीगढ़ मेयर चुनाव के पूर्व पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी. मसीह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है. मेरी उनसे लंबी बातचीत हुई. वह पहला हलफनामा वापस ले लेंगे और इस अदालत की उदारता के सामने आत्मसमर्पण कर देंगे.
दूसरी ओर, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ से वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने कहा कि वह माफी मांगकर नहीं बच सकते. अब इस मामले की सुनवाई 23 जुलाई को होगी.
इससे पहले, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल को शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि वह अनिल मसीह को कारण बताओ जारी करें और बताएं कि सीआरपीसी की धारा 340 के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. ऐसा तब किया गया जब कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा घोषित चुनाव परिणामों को रद्द कर दिया था और आम आदमी पार्टी के पार्षद कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव के लिए वैध रूप से निर्वाचित उम्मीदवार माना था.
अदालत ने कहा कि पीठासीन अधिकारी के आचरण की दो स्तरों पर निंदा की जानी चाहिए, पहला, उसने अवैध रूप से मेयर चुनाव के पाठ्यक्रम को बदल दिया है और दूसरा, इस अदालत के समक्ष एक गंभीर बयान देकर, उसने झूठ बोला है जिसके लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर पद के लिए चुनाव कराने की कार्यवाही का वीडियो देखने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर को कड़ी फटकार लगाई थी.
स्थिति को 'लोकतंत्र की हत्या' बताते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जो कुछ हुआ उससे वह स्तब्ध है. कथित तौर पर, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कांग्रेस-आप गठबंधन के 8 पार्षदों के वोट अवैध घोषित किए जाने के बाद भाजपा उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया गया था.