रांची: झारखंड के चुनावी समर में उतरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सिमडेगा और लोहरदगा में धुआंधार चुनावी सभा कर पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों को साधने की कोशिश की है. इस दौरान राहुल गांधी ने जिस तरह से आदिवासी और वनवासी के बीच अंतर समझाने की कोशिश की है, उसपर सियासत तेज हो गई है.
राहुल गांधी ने दोनों स्थानों पर करीब 26-26 मिनट संबोधित किए. इस दौरान उन्होंने आदिवासी को एक तरफ देश का पहला मालिक बताया. वहीं संविधान में वनवासी शब्द का कहीं भी इस्तेमाल नहीं होने की बात कहकर भाजपा पर निशाना साधते नजर आए. लोहरदगा की जनसभा में राहुल गांधी वनवासी का मतलब समझाते नजर आए. उन्होंने कहा कि वनवासी का मतलब आदिवासियों को कोई अधिकार नहीं, ना जमीन का, ना जंगल का, ना ही जल का.
राहुल गांधी के अनुसार वनवासी का मतलब है कि जो आदिवासी जंगल में रहते हो उसे भाजपा वनवासी कहते हैं और वनवासी का मतलब आपको जल, जंगल और जमीन का अधिकार नहीं मिलना चाहिए, वनवासी का मतलब आपके बच्चों को शिक्षा नहीं मिलनी चाहिए, वनवासी का मतलब हिंदुस्तान को चलाने में आपको भागीदारी नहीं मिलनी चाहिए, वनवासी का मतलब मीडिया में आपके लोग नहीं होंगे, ब्यूरोक्रेसी में आपके लोग नहीं होंगे, ज्युडिशियरी में आपके लोग नहीं होंगे.
राहुल गांधी ने कहा कि हमारी जमीन, हमारा जंगल का फायदा हमारे प्रदेश को मिलना चाहिए. यही चीज भगवान बिरसा मुंडा ने कहीं. उन्होंने भी जल जंगल और जमीन के लिए लड़ाई लड़ी, वह इसके लिए अंग्रेजों से लड़े. राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी से हमारी लड़ाई विचारधारा की है. हमने कहा है कि संविधान से देश चलना चाहिए मगर बीजेपी कहती है कि संविधान को पहले खत्म करो. वह उसको फाड़ कर फेंकना चाहते हैं हम इसकी रक्षा कर रहे हैं इसकी लड़ाई है.
सोनिया जी बिना ट्रेनिंग के मत भेजिए राहुल गांधी को- हिमंता
हम आदिवासियों को आदिवासी मानते हैं और भारतीय जनता पार्टी के हमारे नेता हमारे भाषण में या शब्दकोश में हमारा यहां आदिवासी का ही प्रयोग होता है. राहुल गांधी ने जो बात बताने का कोशिश कर रहे हैं उनसे ही पता चलता है कि पहले वह देश के ओबीसी समाज को बांटने का कोशिश की अभी आदिवासी समाज को भी और बांटने का कोशिश कर रहे हैं. झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सभी सदस्य हमेशा आदिवासी-मूलबासी शब्द का ही प्रयोग करते रहे हैं अगर आप लोग कभी सुना है कि भारतीय जनता पार्टी का कोई भी विधायक या कोई भी नेता कुछ अलग शब्दावली का प्रयोग किया है तो आप बताइए.
असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी के द्वारा संविधान दिखा-दिखाकर इसे खतरे में बताए जाने की आलोचना करते हुए कहा कि जो संविधान राहुल गांधी दिखाकर बात कर रहे हैं क्या बिरसा मुंडा संविधान सभा में यह देखा था क्या. बिरसा मुंडा जो परंपराओं को जानते थे या जो परंपरा की रक्षा के लिए काम करते थे. वह आदिवासी परंपरा, आदिवासी संस्कृति लेकिन संविधान जो 1950 में आया उसे बिरसा मुंडा से जोड़ना उचित नहीं है.
हिमंता बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि अनाप-शनाप बोलना इनकी आदत है. मैं तो सोनिया गांधी से कहूंगा कि कम से कम ट्रेनिंग देकर भेजिए. ऐसे बिना ट्रेनिंग के क्यों भेज देते हो इन्हें. बिना ट्रेनिंग और बिना कंट्रोल के मिसाइल अनगाइडेड हो जाता है.
देश विरोधी ताकतों के साथ है कांग्रेस- गौरव वल्लभ
जम्मू कश्मीर से चलकर झारखंडी की सियासी जमीन पर धारा 370 की गर्माहट पहुंच गई है. बीजेपी ने सत्तारूढ़ जेएमएम-कांग्रेस पर आतंकवाद और अलगाववाद का दौर लाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा है. बीजेपी के राष्ट्रीय नेता और प्रखर वक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने बीजेपी प्रदेश कार्यालय में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन और कांग्रेस के लोग जो यहां घूम रहे हैं, उन्हें इस बात का सीधा जवाब देना होगा कि वे धारा 370 और 35ए हटाने के पक्ष में हैं या विरोध में हैं.
उन्होंने कहा कि 5 अगस्त, 2019 को इसे जम्मू कश्मीर से हटाया गया. उसके बाद 5 सालों में जम्मू कश्मीर ने विकास की यात्रा देखी है. वहां आतंकवाद की घटनाओं में 70 फीसदी की कमी आई है. नागरिकों की मृत्यु में 80% की कमी आई. पर्यटकों में 300% की वृद्धि हुई. जम्मू कश्मीर का बजट 17 फ़ीसदी बढ़ गया. पत्थरबाजी की घटना बिल्कुल बंद हो गई.
प्रो. वल्लभ ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस ने अपने घोषणा पत्र में आरक्षण को समाप्त करने की बात कही थी और कांग्रेस ने उसका समर्थन किया था. राहुल गांधी अमेरिका में बोल ही चुके हैं कि वे आरक्षण को खत्म करने का प्लान बनाना चाहते हैं. हेमंत सोरेन को इस बात का जवाब देना होगा कि उनकी पार्टी के बैनर में जिस नेता की तस्वीर लगी हुई है. वह आरक्षण को क्यों खत्म करना चाहते हैं. धारा 370 की बहाली क्यों करना चाहते हैं.
रांची में मीडिया के साथ बात करते हुए भाजपा नेता प्रो. गौरव वल्लभ ने भी कांग्रेस पर जमकर प्रहार किया. उन्होंने कहा है कि हेमंत सोरेन कांग्रेस के भ्रष्टाचार के साथ खड़े रहे हैं. आज देश विरोधी ताकतों के साथ कांग्रेस पार्टी, जो हेमंत सोरेन की एलाइंस है, साथ में खड़ी है. जम्मू कश्मीर विधानसभा में जो प्रस्ताव पारित हुआ, उससे यह साबित होता है. कल वहां के विधानसभा में जो भी कुछ हुआ, वह पाकिस्तान और देश विरोधी लोगों को खुश करने के लिए किया गया.
जम्मू-कश्मीर की जनता को गुमराह करने के लिए किया गया. आज जो देश की एकता के लिए खड़े हैं. जम्मू-कश्मीर वे विकास और शांति के पक्ष में खड़े हैं, उन्हें मार्शल के जरिये बेरहमी से जम्मू-कश्मीर विधानसभा से बाहर निकाला जा रहा है. कांग्रेस-एनसी, पीडीपी-ये सब जम्मू-कश्मीर में फिर से आतंकवाद को लाना चाहते हैं. उन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर कांग्रेस विधायक दल के नेता और झारखंड के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को कम करने और विभाजन के खिलाफ लोगों की नाराजगी का समर्थन किया था और किया है. गुलाम अहमद मीर ने एक तरह से प्रस्ताव का समर्थन किया, कांग्रेस विधानसभा में इस प्रस्ताव के समर्थन में खड़ी नजर आई. राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अनुच्छेद 370 को हटाने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. इतना ही नहीं कांग्रेस के एक और पुराने नेता सैफुद्दीन सोज ने प्रेस रिलीज करके इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.
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