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बड़ा दिलचस्प है संथाल का परिवारवाद, सभी दल हैं लपेटे में, पीढ़ी दर पीढ़ी उठाया जा रहा है फायदा - Political nepotism in Santhal

Political nepotism in Santhal. लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही पूरे देश में परिवारवाद की खूब चर्चा हो रही है. जब झारखंड की बात होती है तो झामुमो और शिबू सोरेन के परिवार की चर्चा होती है, लेकिन संथाल का परिवारवाद बड़ा दिलचस्प है. इसमें कमोबेश सभी राजनीतिक दल शामिल हैं. राजनीति के जानकारों की मानें तो ये परिवारवाद या वंशवाद कम अवसरवाद ज्यादा है. दिलचस्प बात है कि लोग तीन तीन पीढ़ियों से राजनीति कर रहे हैं. दादा किसी और दल में रहे तो बेटा किसी और दल में और पोता किसी अन्य दल में.

POLITICAL NEPOTISM IN SANTHAL
POLITICAL NEPOTISM IN SANTHAL
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 23, 2024, 8:44 PM IST

गोड्डा: झारखंड में जिस राजनीतिक परिवार की सबसे अधिक चर्चा होती है, उनमें शिबू सोरेन का परिवार शामिल हैं. उनकी पहचान एक आंदोलनकारी के रूप में होती है. पैठ ऐसी कि संथाल की सबसे हॉट सीट कहे जाने वाली दुमका से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. कई बार सांसद रहें, केंद्र में मंत्री रहें. इसके अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे. इनके तीनों बेटे दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन विधायक रहे हैं.

सबसे बड़ी बहू सीता सोरेन जामा से तीन बार की विधायक हैं. हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री भी रहे हैं. फिलहाल जमीन खरीद संबंधी मामले में ईडी की गिरफ्त में हैं. वहीं झारखंड की राजनीति में फिलहाल सबसे चर्चित चेहरों में सोरेन परिवार की सबसे बड़ी बहू और दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन ने भाजपा का दामन थाम लिया है. वहीं दूसरी बहू हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय विधान सभा सीट से उपचुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर चुकी हैं. वे पार्टी में भी काफी एक्टिव रह रही हैं.

विजय हांसदा राजमहल सांसद

राजमहल के झामुमो सांसद विजय हांसदा दो बार से लगातार सांसद हैं. इनके पिता थॉमस हांसदा राजमहल लोकसभा से कांग्रेस के सांसद और विधायक रह चुके हैं. थॉमस हांसदा झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

साइमन मरांडी का परिवारवाद

साइमन मरांडी भी राजमहल से झामुमो के सांसद रहे हैं, साथ ही लिट्टीपाड़ा के विधायक रहे. वे भाजपा में रह कर अपना चुनावी भाग्य आजमा चुके हैं. लेकिन असफल रहे. फिलहाल इनके पुत्र दिनेश विलियम मरांडी लिट्टीपाड़ा से झामुमो के विधायक हैं.

मंडल परिवार का अवसरवाद

वहीं, गोड्डा से विधायक अमित मंडल की कहानी भी बड़ा दिलचस्प है. इनके दादा सुमरित मंडल जो मुखिया थे, गुरुजी के संपर्क में आये और बाद में गोड्डा से झामुमो की टिकट पर विधायक बने. बाद में उनके पुत्र रघुनंदन मंडल ने झामुमो की टिकट पर भाग्य आजमाया, लेकिन हार गए. फिर भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़े और गोड्डा से विधायक बने. लेकिन कुछ दिनों बाद उनका आकस्मिक निधन हो गया. जिसके बाद लंदन में नौकरी कर रहे उनके बड़े बेटे अमित मंडल राजनीति में आये और वर्तमान में गोड्डा से विधायक हैं.

दीपिका पांडे सिंह का परिवारवाद

गोड्डा से महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह गोड्डा के महगामा से कांग्रेस विधायक हैं. उनका परिवार शुरू से ही कांग्रेसी रहा है. उनके माता-पिता दोनों ही कांग्रेस के संगठन से लंबे समय से जुड़े रहे हैं. फिलहाल महगामा विधानसभा से दीपिका पांडेय विधायक हैं और कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय सचिव भी हैं. महागामा से पूर्व विधायक व मंत्री रहे अवध बिहारी सिंह उनके ससुर हैं, उनके बड़े बेटे रत्नेश्वर सिंह की दीपिका पत्नी हैं. दीपिका पांडे, के बारे में चर्चा है कि वे गोड्डा से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं.

अंसारी परिवार का दबदबा

गोड्डा लोकसभा के मधुपुर विधानसभा से झामुमो विधायक मंत्री हफीजुल अंसारी पूर्व मंत्री और विधायक हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र हैं. पिता के निधन के बाद पहले हफीजुल अंसारी को मंत्री बनाया गया और फिर वे उपचुनाव में जीते. वहीं, जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी के पिता फुरकान अंसारी कई बार विधायक के साथ, एक बार गोड्डा लोकसभा से सांसद भी रह चुके हैं.

इसके अलावा कई राजनीतिक दलों के नेता हैं जिनका परिवार राजनीति में सक्रिय है. लेकिन अब तक सफल नहीं हो पाए हैं. इनमें पोड़ैयाहाट के झामुमो से पूर्व विधयाक रहे प्रशांत मंडल ने बाद में भाजपा से भी भाग्य आजमाया, लेकिन असफल रहे. फिलहाल इनकी पत्नी भाजपा में हैं और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य हैं.

इस पूरे मामले पर राजनीति के जानकार पत्रकार हेमचंद्र कहते है परिवारवाद से कोई दल अछूता नहीं है. दरअसल ये परिवारवाद कम है और अवसरवाद ज्यादा है. इससे कोई अछूता नहीं है, जिसको जब मौका मिला उसने सुविधा से दल बदल लिया और आज राजनीति में सफल हैं.

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गोड्डा: झारखंड में जिस राजनीतिक परिवार की सबसे अधिक चर्चा होती है, उनमें शिबू सोरेन का परिवार शामिल हैं. उनकी पहचान एक आंदोलनकारी के रूप में होती है. पैठ ऐसी कि संथाल की सबसे हॉट सीट कहे जाने वाली दुमका से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. कई बार सांसद रहें, केंद्र में मंत्री रहें. इसके अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे. इनके तीनों बेटे दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन विधायक रहे हैं.

सबसे बड़ी बहू सीता सोरेन जामा से तीन बार की विधायक हैं. हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री भी रहे हैं. फिलहाल जमीन खरीद संबंधी मामले में ईडी की गिरफ्त में हैं. वहीं झारखंड की राजनीति में फिलहाल सबसे चर्चित चेहरों में सोरेन परिवार की सबसे बड़ी बहू और दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन ने भाजपा का दामन थाम लिया है. वहीं दूसरी बहू हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय विधान सभा सीट से उपचुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर चुकी हैं. वे पार्टी में भी काफी एक्टिव रह रही हैं.

विजय हांसदा राजमहल सांसद

राजमहल के झामुमो सांसद विजय हांसदा दो बार से लगातार सांसद हैं. इनके पिता थॉमस हांसदा राजमहल लोकसभा से कांग्रेस के सांसद और विधायक रह चुके हैं. थॉमस हांसदा झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

साइमन मरांडी का परिवारवाद

साइमन मरांडी भी राजमहल से झामुमो के सांसद रहे हैं, साथ ही लिट्टीपाड़ा के विधायक रहे. वे भाजपा में रह कर अपना चुनावी भाग्य आजमा चुके हैं. लेकिन असफल रहे. फिलहाल इनके पुत्र दिनेश विलियम मरांडी लिट्टीपाड़ा से झामुमो के विधायक हैं.

मंडल परिवार का अवसरवाद

वहीं, गोड्डा से विधायक अमित मंडल की कहानी भी बड़ा दिलचस्प है. इनके दादा सुमरित मंडल जो मुखिया थे, गुरुजी के संपर्क में आये और बाद में गोड्डा से झामुमो की टिकट पर विधायक बने. बाद में उनके पुत्र रघुनंदन मंडल ने झामुमो की टिकट पर भाग्य आजमाया, लेकिन हार गए. फिर भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़े और गोड्डा से विधायक बने. लेकिन कुछ दिनों बाद उनका आकस्मिक निधन हो गया. जिसके बाद लंदन में नौकरी कर रहे उनके बड़े बेटे अमित मंडल राजनीति में आये और वर्तमान में गोड्डा से विधायक हैं.

दीपिका पांडे सिंह का परिवारवाद

गोड्डा से महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह गोड्डा के महगामा से कांग्रेस विधायक हैं. उनका परिवार शुरू से ही कांग्रेसी रहा है. उनके माता-पिता दोनों ही कांग्रेस के संगठन से लंबे समय से जुड़े रहे हैं. फिलहाल महगामा विधानसभा से दीपिका पांडेय विधायक हैं और कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय सचिव भी हैं. महागामा से पूर्व विधायक व मंत्री रहे अवध बिहारी सिंह उनके ससुर हैं, उनके बड़े बेटे रत्नेश्वर सिंह की दीपिका पत्नी हैं. दीपिका पांडे, के बारे में चर्चा है कि वे गोड्डा से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं.

अंसारी परिवार का दबदबा

गोड्डा लोकसभा के मधुपुर विधानसभा से झामुमो विधायक मंत्री हफीजुल अंसारी पूर्व मंत्री और विधायक हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र हैं. पिता के निधन के बाद पहले हफीजुल अंसारी को मंत्री बनाया गया और फिर वे उपचुनाव में जीते. वहीं, जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी के पिता फुरकान अंसारी कई बार विधायक के साथ, एक बार गोड्डा लोकसभा से सांसद भी रह चुके हैं.

इसके अलावा कई राजनीतिक दलों के नेता हैं जिनका परिवार राजनीति में सक्रिय है. लेकिन अब तक सफल नहीं हो पाए हैं. इनमें पोड़ैयाहाट के झामुमो से पूर्व विधयाक रहे प्रशांत मंडल ने बाद में भाजपा से भी भाग्य आजमाया, लेकिन असफल रहे. फिलहाल इनकी पत्नी भाजपा में हैं और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य हैं.

इस पूरे मामले पर राजनीति के जानकार पत्रकार हेमचंद्र कहते है परिवारवाद से कोई दल अछूता नहीं है. दरअसल ये परिवारवाद कम है और अवसरवाद ज्यादा है. इससे कोई अछूता नहीं है, जिसको जब मौका मिला उसने सुविधा से दल बदल लिया और आज राजनीति में सफल हैं.

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