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खास है गढ़वाल लोकसभा सीट का सियासी गणित, यहां समझिए चुनावी समीकरण से लेकर वोटों का हिसाब किताब

Garhwal Lok Sabha Seat of Uttarakhand देशभर में जल्द ही चुनावी चकल्लस के साथ वादों और दावों का शोर शुरू होने वाला है. राजनीतिक दल चुनाव की चुनौती से निपटने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाएंगे तो वहीं शह और मात के इस खेल में हर कोई अपनी-अपनी बाजीगरी दिखा कर बहुमत का ताज अपने सिर पर सजाना चाहेगा. ऐसे में आज उत्तराखंड की सबसे हॉट सीट मानें जाने वाली गढ़वाल लोकसभा सीट से जुड़ी चुनावी समीकरणों से ईटीवी भारत आपको रूबरू करवाएगा.

Garhwal Lok Sabha Seat
गढ़वाल लोकसभा सीट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 25, 2024, 3:08 PM IST

Updated : Feb 25, 2024, 3:50 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): लोकतंत्र के सबसे बड़ा पर्व बस कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रहा है. ऐसे में तमाम राजनीतिक पार्टियां हर लोकसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज करवाना चाहेगी. कांग्रेस हो या बीजेपी या फिर अन्य राजनीतिक दल उत्तराखंड में भी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई तरह के प्रयासों में जुटे हुए हैं. उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटें हैं. सभी लोकसभा सीटों का अपना-अपना महत्व और गणित है. ऐसे में आज गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के सत्ता, सियासत और सीटों के गुणा भाग आपको बताएंगे.

गढ़वाल लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है. जिस पर सबसे ज्यादा वीआईपी नेता चुनाव लड़ना चाहते हैं. यह सीट ऐसी है, जिस पर न केवल उत्तराखंड के नेताओं की बल्कि देश के कई बड़े राजनेताओं की नजर रहती है. ऐसे में इस सीट पर होने वाला चुनाव बेहद रोचक होने वाला है. गढ़वाल संसदीय क्षेत्र को पौड़ी लोकसभा सीट से जानते हैं. यह वो सीट है, जहां से तमाम दिग्गज ताल्लुक रखते हैं. जिन्होंने देश और विदेश में नाम कमाया है.

देश में पौड़ी का है बड़ा नाम: पौड़ी का नाम आते ही उन तमाम बड़ी शख्सियतों सामने आ जाते हैं, जो यहां पैदा हुए. यहां की शख्सियत देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी उपलब्धियां के साथ बड़े पदों पर विराजमान हैं. इसके साथ ही पौड़ी ने उत्तराखंड को पांच मुख्यमंत्री भी दिए हैं. जिसमें विजय बहुगुणा, तीरथ सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और भुवन चंद्र खंडूड़ी शामिल हैं.

इसके अलावा देश के पहले सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत हो या अजीत डोभाल, वो भी पौड़ी से ताल्लुक रखते हैं. इसके अलावा भी कई बड़ी शख्सियत यहीं पर पैदा हुई. यहीं से पढ़ाई लिखाई कर देश के अलग-अलग हिस्सों में उत्तराखंड का नाम रोशन किया, लेकिन आज भी यह क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, पलायन, सड़कों की कनेक्टिविटी, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दों को लेकर चर्चा में रहती है.

मौजूदा समय में गढ़वाल लोकसभा सीट से तीरथ सिंह रावत सांसद हैं. उन्होंने साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी मनीष खंडूड़ी को भारी मतों से हराया था. जबकि, साल 2014 के चुनाव में इसी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के भुवन चंद्र खंडूड़ी ने हरक सिंह रावत को चुनावी मैदान में पटकनी दी थी. गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र काफी बढ़ा है. यह क्षेत्र अपनी सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए खास पहचान रखता है.

Garhwal Lok Sabha Seat
गढ़वाल लोकसभा सीट का क्षेत्रफल

गढ़वाल लोकसभा में आते चार जिले और 14 विधानसभाएं: पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट उत्तराखंड के चार जिलों में फैली है. जिसमें चार जिलों की 14 विधानसभाएं आती हैं. जिसमें हिंदुओं के प्रमुख स्थलों से लेकर सिख के धार्मिक स्थल की सीटें भी मौजूद हैं. गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में बदरीनाथ, कर्णप्रयाग, थराली, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, पौड़ी, चौबट्टाखाल, कोटद्वार, श्रीनगर, नरेंद्र नगर, यमकेश्वर, देवप्रयाग, लैंसडाउन और रामनगर विधानसभा शामिल हैं.

गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में करीब 14 लाख मतदाता (2011 के जनगणना के मुताबिक) हैं. इस संसदीय क्षेत्र में बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के साथ हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा भी आता है. श्रीनगर जैसे गढ़वाल के प्रमुख शहर हों या फिर पौड़ी और कोटद्वार के साथ रामनगर तक इसी लोकसभा के हिस्सा हैं. यह सीट 1957 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का ही कब्जा रहा है.

खास बात ये है कि यह लोकसभा सीट सैनिक बाहुल्य सीट है. यही कारण है कि कांग्रेस हो या बीजेपी हमेशा से ऐसे प्रत्याशियों पर दांव लगाती आई है, जिनका ताल्लुक किसी न किसी तरीके से सैनिक से रहा हो. इस लोकसभा क्षेत्र में शहरीकरण काफी कम है. केवल कोटद्वार, रामनगर और श्रीनगर को छोड़कर अमूमन हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र का ही आता है.

कांग्रेस जीती सबसे ज्यादा चुनाव, लेकिन अब बीजेपी है भारी: गढ़वाल लोकसभा सीट कितनी अहम है ये हर एक राजनीतिक पार्टी जानती है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे नेता हो या फिर भुवन चंद्र खंडूड़ी. इसके अलावा सतपाल महाराज हों या फिर तीरथ सिंह रावत इन जैसे बड़े नेता इस सीट से सांसद रह चुके हैं.

हालांकि, पुराने आंकड़े बताते हैं कि इस लोकसभा सीट पर ज्यादातर बार जनता ने कांग्रेस को जिताया है, लेकिन बीते कुछ लोकसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी ही इस पर काबिज होती आई है. अकेले भुवन चंद खंडूड़ी ही चार बार इस लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. सतपाल महाराज भी इसी लोकसभा सीट से जीतकर दिल्ली पहुंचे थे.

क्या कहते हैं जानकार: इस लोकसभा सीट पर इस बार अलग ही समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. मौजूदा समय में स्थिति क्या है? इस पर राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत कहते हैं कि, पौड़ी का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े-बड़े नेता इस लोकसभा से चुनाव लड़े हैं. उत्तराखंड को पांच मुख्यमंत्री भी इसी जिले ने दिए हैं. बावजूद इसके आज भी समस्याओं का अंबार इस संसदीय क्षेत्र में है. केदारनाथ और बदरीनाथ धाम होने की वजह से एक इलाके की वैल्यू थोड़ी ज्यादा हो जाती है. काम भी वहां पर ही हो रहे हैं.

Garhwal Lok Sabha Seat
गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के अबतक के सांसद

जबकि, आज भी पौड़ी गढ़वाल के कई ऐसे गांव हैं. जहां तेजी से पलायन हो रहा है. जय सिंह रावत कहते हैं कि गढ़वाल संसदीय चुनाव हमेशा से नेता को देखकर होता आया है. ईमानदार छवि के बीसी खंडूड़ी रहे हों या फिर उससे पहले के हेमवती नंदन बहुगुणा, मोहन चंद्र सिंह नेगी हो या फिर दूसरे अन्य नेता उनकी व्यक्तिगत छवि के तौर पर उन्हें यहां की जनता ने जीताकर संसद भवन भेजा है.

वहीं, यहां प्रमुख मुद्दों पर जय सिंह रावत कहते हैं कि यहां पर पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा बेरोजगारी भी अहम मुद्दा है, जिस पर कोई भी सरकार आज तक काम नहीं कर पाई है. पौड़ी में पलायन आयोग का दफ्तर तो खुला, लेकिन उसमें आज तक कोई बैठकर सही से काम नहीं कर पाया. इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

कांग्रेस किस पर खेलेगी दांव? राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत बताते हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पास इतने नाम पहुंच गए हैं कि पार्टी भी काफी कश्मकश में है. क्योंकि, सभी नेता धुरंधर हैं और सभी पार्टी की आंखों के तारे हैं. बीजेपी के पास बड़ी चुनौती है कि वो किसको चुनावी मैदान में उतारे.

जय सिंह रावत आगे कहते हैं कि अगर बात कांग्रेस की जाए तो कांग्रेस में कोई बड़ा नेता ऐसा दिखाई नहीं देता. अगर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की बात करें तो उनकी छवि केदारनाथ से लेकर पौड़ी तक सही मानी जा रही है, लेकिन पार्टी किस पर विश्वास करेगी यह बड़ा सवाल है?

Pauri City
पौड़ी शहर

इस बार लिस्ट में हैं बड़े नाम: इस बार बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती है. क्योंकि, राज्यसभा सीट से अपना कार्यकाल पूरा कर चुके अनिल बलूनी भी इस सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं. इसके अलावा मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत भी दोबारा से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस लोकसभा सीट पर अपनी ताल ठोक चुके हैं तो वहीं भारत सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल भी समय-समय पर पौड़ी में अपनी सक्रियता दिखा चुके हैं.

माना तो यह भी जा रहा है कि अगर कांग्रेस पहले की तरह ही मनीष खंडूड़ी को इस बार भी टिकट देती है तो उसके सामने ऋतु खंडूड़ी को बीजेपी टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार सकती है. हालांकि, अभी यह सिर्फ कयासबाजी है. पार्टी किसको टिकट देगी? यह तो आने वाले समय में ही तय होगा.

उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक सिर्फ एक बार जीती कांग्रेस: बीजेपी के लिए गढ़वाल लोकसभा सीट इसलिए भी अहम है. क्योंकि, राज्य गठन के बाद से आज तक जितने भी चुनाव लोकसभा के हुए हैं. उसमें केवल एक बार ही कांग्रेस जीत दर्ज की है. जबकि, बीजेपी लगातार जीत दर्ज करवाती आ रही है.

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देहरादून (उत्तराखंड): लोकतंत्र के सबसे बड़ा पर्व बस कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रहा है. ऐसे में तमाम राजनीतिक पार्टियां हर लोकसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज करवाना चाहेगी. कांग्रेस हो या बीजेपी या फिर अन्य राजनीतिक दल उत्तराखंड में भी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई तरह के प्रयासों में जुटे हुए हैं. उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटें हैं. सभी लोकसभा सीटों का अपना-अपना महत्व और गणित है. ऐसे में आज गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के सत्ता, सियासत और सीटों के गुणा भाग आपको बताएंगे.

गढ़वाल लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है. जिस पर सबसे ज्यादा वीआईपी नेता चुनाव लड़ना चाहते हैं. यह सीट ऐसी है, जिस पर न केवल उत्तराखंड के नेताओं की बल्कि देश के कई बड़े राजनेताओं की नजर रहती है. ऐसे में इस सीट पर होने वाला चुनाव बेहद रोचक होने वाला है. गढ़वाल संसदीय क्षेत्र को पौड़ी लोकसभा सीट से जानते हैं. यह वो सीट है, जहां से तमाम दिग्गज ताल्लुक रखते हैं. जिन्होंने देश और विदेश में नाम कमाया है.

देश में पौड़ी का है बड़ा नाम: पौड़ी का नाम आते ही उन तमाम बड़ी शख्सियतों सामने आ जाते हैं, जो यहां पैदा हुए. यहां की शख्सियत देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी उपलब्धियां के साथ बड़े पदों पर विराजमान हैं. इसके साथ ही पौड़ी ने उत्तराखंड को पांच मुख्यमंत्री भी दिए हैं. जिसमें विजय बहुगुणा, तीरथ सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और भुवन चंद्र खंडूड़ी शामिल हैं.

इसके अलावा देश के पहले सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत हो या अजीत डोभाल, वो भी पौड़ी से ताल्लुक रखते हैं. इसके अलावा भी कई बड़ी शख्सियत यहीं पर पैदा हुई. यहीं से पढ़ाई लिखाई कर देश के अलग-अलग हिस्सों में उत्तराखंड का नाम रोशन किया, लेकिन आज भी यह क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, पलायन, सड़कों की कनेक्टिविटी, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दों को लेकर चर्चा में रहती है.

मौजूदा समय में गढ़वाल लोकसभा सीट से तीरथ सिंह रावत सांसद हैं. उन्होंने साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी मनीष खंडूड़ी को भारी मतों से हराया था. जबकि, साल 2014 के चुनाव में इसी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के भुवन चंद्र खंडूड़ी ने हरक सिंह रावत को चुनावी मैदान में पटकनी दी थी. गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र काफी बढ़ा है. यह क्षेत्र अपनी सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए खास पहचान रखता है.

Garhwal Lok Sabha Seat
गढ़वाल लोकसभा सीट का क्षेत्रफल

गढ़वाल लोकसभा में आते चार जिले और 14 विधानसभाएं: पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट उत्तराखंड के चार जिलों में फैली है. जिसमें चार जिलों की 14 विधानसभाएं आती हैं. जिसमें हिंदुओं के प्रमुख स्थलों से लेकर सिख के धार्मिक स्थल की सीटें भी मौजूद हैं. गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में बदरीनाथ, कर्णप्रयाग, थराली, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, पौड़ी, चौबट्टाखाल, कोटद्वार, श्रीनगर, नरेंद्र नगर, यमकेश्वर, देवप्रयाग, लैंसडाउन और रामनगर विधानसभा शामिल हैं.

गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में करीब 14 लाख मतदाता (2011 के जनगणना के मुताबिक) हैं. इस संसदीय क्षेत्र में बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के साथ हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा भी आता है. श्रीनगर जैसे गढ़वाल के प्रमुख शहर हों या फिर पौड़ी और कोटद्वार के साथ रामनगर तक इसी लोकसभा के हिस्सा हैं. यह सीट 1957 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का ही कब्जा रहा है.

खास बात ये है कि यह लोकसभा सीट सैनिक बाहुल्य सीट है. यही कारण है कि कांग्रेस हो या बीजेपी हमेशा से ऐसे प्रत्याशियों पर दांव लगाती आई है, जिनका ताल्लुक किसी न किसी तरीके से सैनिक से रहा हो. इस लोकसभा क्षेत्र में शहरीकरण काफी कम है. केवल कोटद्वार, रामनगर और श्रीनगर को छोड़कर अमूमन हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र का ही आता है.

कांग्रेस जीती सबसे ज्यादा चुनाव, लेकिन अब बीजेपी है भारी: गढ़वाल लोकसभा सीट कितनी अहम है ये हर एक राजनीतिक पार्टी जानती है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे नेता हो या फिर भुवन चंद्र खंडूड़ी. इसके अलावा सतपाल महाराज हों या फिर तीरथ सिंह रावत इन जैसे बड़े नेता इस सीट से सांसद रह चुके हैं.

हालांकि, पुराने आंकड़े बताते हैं कि इस लोकसभा सीट पर ज्यादातर बार जनता ने कांग्रेस को जिताया है, लेकिन बीते कुछ लोकसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी ही इस पर काबिज होती आई है. अकेले भुवन चंद खंडूड़ी ही चार बार इस लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. सतपाल महाराज भी इसी लोकसभा सीट से जीतकर दिल्ली पहुंचे थे.

क्या कहते हैं जानकार: इस लोकसभा सीट पर इस बार अलग ही समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. मौजूदा समय में स्थिति क्या है? इस पर राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत कहते हैं कि, पौड़ी का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े-बड़े नेता इस लोकसभा से चुनाव लड़े हैं. उत्तराखंड को पांच मुख्यमंत्री भी इसी जिले ने दिए हैं. बावजूद इसके आज भी समस्याओं का अंबार इस संसदीय क्षेत्र में है. केदारनाथ और बदरीनाथ धाम होने की वजह से एक इलाके की वैल्यू थोड़ी ज्यादा हो जाती है. काम भी वहां पर ही हो रहे हैं.

Garhwal Lok Sabha Seat
गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के अबतक के सांसद

जबकि, आज भी पौड़ी गढ़वाल के कई ऐसे गांव हैं. जहां तेजी से पलायन हो रहा है. जय सिंह रावत कहते हैं कि गढ़वाल संसदीय चुनाव हमेशा से नेता को देखकर होता आया है. ईमानदार छवि के बीसी खंडूड़ी रहे हों या फिर उससे पहले के हेमवती नंदन बहुगुणा, मोहन चंद्र सिंह नेगी हो या फिर दूसरे अन्य नेता उनकी व्यक्तिगत छवि के तौर पर उन्हें यहां की जनता ने जीताकर संसद भवन भेजा है.

वहीं, यहां प्रमुख मुद्दों पर जय सिंह रावत कहते हैं कि यहां पर पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा बेरोजगारी भी अहम मुद्दा है, जिस पर कोई भी सरकार आज तक काम नहीं कर पाई है. पौड़ी में पलायन आयोग का दफ्तर तो खुला, लेकिन उसमें आज तक कोई बैठकर सही से काम नहीं कर पाया. इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

कांग्रेस किस पर खेलेगी दांव? राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत बताते हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पास इतने नाम पहुंच गए हैं कि पार्टी भी काफी कश्मकश में है. क्योंकि, सभी नेता धुरंधर हैं और सभी पार्टी की आंखों के तारे हैं. बीजेपी के पास बड़ी चुनौती है कि वो किसको चुनावी मैदान में उतारे.

जय सिंह रावत आगे कहते हैं कि अगर बात कांग्रेस की जाए तो कांग्रेस में कोई बड़ा नेता ऐसा दिखाई नहीं देता. अगर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की बात करें तो उनकी छवि केदारनाथ से लेकर पौड़ी तक सही मानी जा रही है, लेकिन पार्टी किस पर विश्वास करेगी यह बड़ा सवाल है?

Pauri City
पौड़ी शहर

इस बार लिस्ट में हैं बड़े नाम: इस बार बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती है. क्योंकि, राज्यसभा सीट से अपना कार्यकाल पूरा कर चुके अनिल बलूनी भी इस सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं. इसके अलावा मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत भी दोबारा से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस लोकसभा सीट पर अपनी ताल ठोक चुके हैं तो वहीं भारत सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल भी समय-समय पर पौड़ी में अपनी सक्रियता दिखा चुके हैं.

माना तो यह भी जा रहा है कि अगर कांग्रेस पहले की तरह ही मनीष खंडूड़ी को इस बार भी टिकट देती है तो उसके सामने ऋतु खंडूड़ी को बीजेपी टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार सकती है. हालांकि, अभी यह सिर्फ कयासबाजी है. पार्टी किसको टिकट देगी? यह तो आने वाले समय में ही तय होगा.

उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक सिर्फ एक बार जीती कांग्रेस: बीजेपी के लिए गढ़वाल लोकसभा सीट इसलिए भी अहम है. क्योंकि, राज्य गठन के बाद से आज तक जितने भी चुनाव लोकसभा के हुए हैं. उसमें केवल एक बार ही कांग्रेस जीत दर्ज की है. जबकि, बीजेपी लगातार जीत दर्ज करवाती आ रही है.

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Last Updated : Feb 25, 2024, 3:50 PM IST
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