हल्द्वानी (उत्तराखंड): बनभूलपुरा हिंसा के आरोपी अब्दुल मलिक को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. अब्दुल मलिक पुलिस रिमांड में है. एसएसपी नैनीताल प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि पुलिस ने बनभूलपुरा थाना क्षेत्र में हुई हिंसा के आरोपी अब्दुल मलिक और उसके बेटे पर 16 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. दोनों पर गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम (UAPA) भी लगाया गया है.
एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि अब्दुल मलिक का बेटा मोईद अभी भी फरार चल रहा है जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम दबिश दे रही है. नामजद 9 लोगों में अब्दुल मोईद के अलावा सभी लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि आरोपी अब्दुल मलिक पुलिस रिमांड पर हैं. पूछताछ जारी है. पूछताछ में जो भी साक्ष्य सामने आएंगे मुकदमे में शामिल किया जाएगा. अब्दुल मलिक और उसके बेटे मोईद के खिलाफ बनभूलपुरा थाने में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 395, 323, 332, 341, 342, 353, 427 और 436 में मुकदमा दर्ज किया गया है. इसके साथ उन पर उत्तराखंड लोक संपत्ति अधिकार अधिनियम, आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
UAPA के तहत क्या होगी कार्रवाई: यूएपीए धारा के तहत पुलिस अब्दुल मलिक को 30 दिन की हिरासत में ले सकती है. बशर्ते कोर्ट में उसे सिद्ध करना पड़ेगा कि मलिक पर UAPA क्यों लगाया गया है. यूएपीए को वर्ष 1967 में लागू किया गया था. इसे वर्ष 2004 और वर्ष 2008 में आतंकवाद विरोधी कानून के रूप में संशोधित किया गया. अगस्त 2019 में संसद ने कुछ आधारों पर व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित करने के लिए यूएपीए (संशोधन) बिल, 2019 को मंजूरी दी.
कम से कम 5 साल या आजीवन कारावास की सजा: गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपी को तीन महीने तक जमानत नहीं मिलती है. इसके बाद कोर्ट चाहे तो जमानत दे सकती है. जानकार बताते हैं कि इस कानून के तहत कम से कम पांच साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अगर आतंकी घटना में किसी की जान चली जाती है तो दोषी व्यक्ति को सजा-ए-मौत या फिर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अगर कोई भी व्यक्ति आतंक फैलाने के मकसद से देश की अखंडता, एकता, सुरक्षा और संप्रभुता को खंडित करने की कोशिश करता है या फिर देश या देश के बाहर भारतीयों के साथ आतंकी घटना करने की कोशिश करता है तो वह यूएपीए कानून के दायरे में आएगा.
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