भुवनेश्वर/नई दिल्ली: 59वें डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के रोडमैप पर चर्चा की. इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण घटकों की चर्चा की गई. इसके अलावा आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, तटीय सुरक्षा, नए आपराधिक कानून के अलावा नारकोटिक्स विषय पर विचार-विमर्श किया गया.
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. बता दें सम्मेलन में गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी मौजूद हैं. सम्मेलन में देश भर के पुलिस महानिदेशक (DGP) और पुलिस महानिरीक्षक (IGP) के अलावा गृह मंत्रालय, खुफिया ब्यूरो और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग ले रहे हैं.
Had a productive first day at the DGP/IGP Conference in Bhubaneswar. Discussed various subjects on policing and security. pic.twitter.com/D6slaFM5vu
— Narendra Modi (@narendramodi) November 30, 2024
सूत्रों ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य सहयोग को बढ़ावा देना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और उभरती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति विकसित करना है. साथ ही देशभर से अनेक पुलिस अधिकारी वर्चुअल तौर पर इस सम्मेलन से जुड़ रहे हैं. इस दौरान तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की प्रगति तथा पुलिसिंग से जुड़ी बैस्ट प्रैक्टिसिस की भी समीक्षा की जाएगी.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के 59वें अखिल भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन किया था. इस दौरान 2024 के आम चुनावों को शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न कराने और तीन नए आपराधिक कानूनों को निर्बाध रूप से लागू करने के लिए पुलिस नेतृत्व को बधाई दी थी. साथ ही उन्होंने कहा था कि तीन नए आपराधिक कानूनों से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली, जो पहले दंड-केंद्रित थी, न्याय केंद्रित हो गई है.
डीजीपी, आईजीपी सम्मेलन में भारत की पूर्वी सीमा पर जोर दिया गया
राज्यों, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित इस सम्मेलन में वामपंथी उग्रवाद, तटीय सुरक्षा, मादक पदार्थ, साइबर अपराध और आर्थिक सुरक्षा सहित राष्ट्रीय सुरक्षा के पांच महत्वपूर्ण घटकों को वर्गीकृत किया गया है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, बैठक में भारत की पूर्वी सीमा पर उभरती सुरक्षा चुनौतियों, आव्रजन और शहरी पुलिसिंग के रुझानों पर भी गहन चर्चा की जा रही है. गौरतलब है कि 59वें डीजीपी, आईजीपी सम्मेलन ने रणनीतिक रूप से भारत की पश्चिमी सीमा से देश की पूर्वी सीमा की ओर अपना महत्व बढ़ाया है. अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा हमेशा से हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. हालांकि, बांग्लादेश और म्यांमार सहित हमारे पूर्व में पड़ोस में मौजूदा उथल-पुथल ने सुरक्षा एजेंसियों को पश्चिम से पूर्व की ओर रणनीतिक बदलाव करने के लिए मजबूर किया है."
भारत की पूर्वी सीमा
भारत पूर्व में बांग्लादेश और म्यांमार के साथ अपनी भूमि सीमा साझा करता है. सरकार के बदलाव के बाद बांग्लादेश में कट्टरपंथी गतिविधियों के उभार ने नई दिल्ली को पड़ोसी देश में विकास से निपटने के लिए अपनी सुरक्षा रणनीतियों पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर किया है. कई एजेंसियों की रिपोर्ट पहले ही संकेत दे चुकी हैं कि भारत की सुरक्षा के लिए हानिकारक ताकतें बांग्लादेश से भारत के पूर्वोत्तर में अशांति पैदा करने की कोशिश कर सकती हैं. मणिपुर में मौजूदा अशांति के बाद म्यांमार मोर्चे पर भी भारत को सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति को और खराब करने वाली बात यह है कि मणिपुर में मौजूदा अशांति में म्यांमार से संचालित विद्रोही संगठनों का हाथ पाया गया है.
वामपंथी उग्रवाद
चूंकि सरकार ने देश से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए मार्च 2026 की समयसीमा तय की है, इसलिए बैठक में इस खतरे से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिए नई रणनीति अपनाने की संभावना है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नक्सलवाद के कारण 8 करोड़ से अधिक लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.
तटीय सुरक्षा
भारत की तटरेखा 7,516.6 किमी है जो मुख्य भूमि और द्वीपों से पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में हिंद महासागर और पश्चिम में अरब सागर से लगती है. गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित नौ राज्य और दमन और दीव, लक्षद्वीप, पुडुचेरी और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे चार केंद्र शासित प्रदेश तट पर स्थित हैं, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और खाड़ी देशों के साथ ऐसी तटीय सीमाओं की भौतिक निकटता इसकी भेद्यता को बढ़ाती है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों से समुद्री मार्गों के माध्यम से मादक पदार्थों के साथ-साथ हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी ने भारत की तटीय सुरक्षा की भेद्यता को बढ़ा दिया है.
नारकोटिक्स
विदेशी धरती से मादक पदार्थों की तस्करी ने भी कानून लागू करने वाली एजेंसियों के बीच गंभीर चिंता पैदा कर दी है. वहीं मादक पदार्थों के कारोबार में अपराधियों और गैंगस्टरों की संलिप्तता ने स्थिति को और खराब कर दिया है.
साइबर अपराध
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल 1 जनवरी से 11 नवंबर तक पूरे भारत में 14,41,717 से अधिक साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने साइबर अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस अपनाया है, लेकिन निवेश घोटाला, अंशकालिक नौकरी घोटाला, तत्काल ऋण, डिजिटल गिरफ्तारी, डेटिंग घोटाला, रिफंड घोटाला, फर्जी गेमिंग ऐप, साइबर गुलामी, सेक्सटॉर्शन समेत विभिन्न ट्रेंडिंग साइबर अपराध ने स्थिति को और खराब कर दिया है.
आर्थिक सुरक्षा
नकली मुद्रा का प्रसार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, क्योंकि इसका इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों को वित्तपोषित करने और देश की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए किया जा सकता है. हालांकि, बैंकिंग प्रणाली में पहचाने गए और रिपोर्ट किए गए सभी मूल्यवर्ग के नकली नोटों की कुल संख्या में कमी देखी गई है, जो वर्ष 2018-19 में 3,17,384 मिलियन पीस (एमपीसी) से घटकर वर्ष 2023-24 में 2,22,639 एमपीसी हो गई है, लेकिन बेरोकटोक प्रचलन अभी भी एक बड़ी चिंता का विषय है.
इस बीच, खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने शनिवार को बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को निशाना बनाते हुए एक और धमकी जारी की. पन्नू ने 59 सेकंड के वीडियो संदेश में लोगों से 1 दिसंबर को बीजू पटनायक हवाई अड्डे पर आने-जाने के लिए कहा. पन्नू ने खालिस्तानी झंडा फहराने के लिए 25 लाख रुपये के इनाम की भी घोषणा की है.
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