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भविष्य संवारने के लिए उफनते नदी-नाले को पार कर रहे स्कूली बच्चे, जहां एक चूक पड़ सकती है जान पर भारी - People Crossing River By Trolley

People Crossing River By Trolley in Tehri उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन यापन करना आज भी मुश्किलों भरा है. ऐसे ही मुश्किलों से देहरादून से चंद किमी की दूरी पर टिहरी जिले के गांवों के लोग जूझ रहे हैं. जहां सड़कों की हालत बेहद खस्ता और पुल न होने की वजह से उन्हें ट्रॉली के सहारे आवागमन करना पड़ रहा है. ऐसे में कब कोई हादसा हो जाए और लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ जाए कहा नहीं जा सकता. वहीं, ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर ग्रामीणों की पीड़ा जानी. जहां रस्सियों पर जिंदगियां झूलती नजर आई.

People Crossing River By Trolley in Tehri
रस्सियों में झूलती जिंदगी (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 28, 2024, 6:33 AM IST

Updated : Aug 28, 2024, 4:19 PM IST

मौत से आंख मिचौली कर स्कूल पहुंच रहे बच्चे (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून: सूबे की डबल इंजन सरकार हर मंच से तमाम सुख सुविधा पहुंचाने का दावा करती है, लेकिन जब धरातल पर नजर डालते हैं तो कुछ और ही निकलकर सामने आता है. इसकी हकीकत क्या है, ये जानने के लिए पहाड़ के किसी दूरस्थ गांव जाने की जरूरत ही नहीं है. बल्कि, इसकी बानगी राजधानी देहरादून से चंद किलोमीटर दूर ही देखने को मिल जाएगी. जहां लोगों की जिंदगी एक चुनौती के साथ शुरू होती है. यानी आज भी लोगों को रस्सी-ट्रॉलियों के झंझट से मुक्ति नहीं मिल पाई है. जहां एक ओर लगातार ट्रॉलियों से हादसे होते जा रहे हैं तो दूसरी ओर तंत्र इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकाल पाया है. जिससे ग्रामीणों को उफनती नदियों को पार करने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ रही है. ऐसे में ईटीवी भारत ने मौके पर जाकर हकीकत कैमरे में कैद की.

People Crossing River By Trolley in Tehri
ट्रॉली से नदी पार करते स्कूली बच्चे (फोटो- ETV Bharat)

रस्सी और ट्रॉली के सहारे मासूम जिंदगियां: दरअसल, इन दिनों देहरादून रायपुर ब्लॉक से सटे टिहरी जिले के सकलाना क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा मुख्य धारा से कटा हुआ है. वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में यहां पर केवल एक मात्र ट्रॉली है. जिस पर सैकड़ों लोगों की आवाजाही होती है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर जाकर लोगों की समस्याएं जानी. सबसे पहले ईटीवी भारत की सोंग नदी के उन दोनों किनारों के पास पहुंची. जहां टिहरी जिले की तौला काटल पंचायत के सौंदणा गांव और देहरादून के रायपुर क्षेत्र के हिलांस गांव को एक रस्सी व लोहे की कमानी के सहारे एक ट्रॉली जोड़ती है.

फिलहाल, इन दिनों टिहरी के तौला काटल और लोअर सकलाना क्षेत्र के तकरीब 100 से ज्यादा गांव मुख्यधारा से कटे हुए हैं तो सौंदणा गांव व आसपास के लोगों के लिए यह पुराना ट्रॉली सिस्टम ही मुख्यधारा से जुड़ने का एक मात्र सहारा है. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो स्कूली बच्चे और ग्रामीण ट्रॉली से उफनती नदी को पार करते दिखे. जहां थोड़ी सी चूक या लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती थी, लेकिन ग्रामीण और बच्चे अपने गंतव्यों तक जाने के लिए जद्दोजहद करते दिखे.

People Crossing River By Trolley in Tehri
नदी पार करने के लिए ट्रॉली में बैठी स्कूली छात्रा (फोटो- ETV Bharat)

2022 की आपदा में बह गया था पुल: स्थानीय निवासी पदम सिंह पवार बताते हैं कि साल 2022 में सोंग नदी में बाढ़ आने के बाद तौला काटल क्षेत्र को जोड़ने वाले कई साल पुराने सभी पुल टूट गए थे. फिर इस पूरे क्षेत्र को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए चिफल्टी, रगड़ गांव और सौंदणा में तीन अलग-अलग जगह पर ट्रॉली सिस्टम लगाए गए, जिनमें से अब तक दो बह चुके हैं. सिर्फ हिलांस और सौंदणा गांव को जोड़ने वाला एक ट्रॉली सिस्टम ही काम कर रहा है.

सौंदणा गांव से जोड़ने वाले ट्रॉली पर बढ़ा दबाव: इस ट्रॉली सिस्टम पर सौंदणा गांव और आसपास के दर्जनों गांव के लोग नदी को पार कर रोजाना इस ओर आते हैं. क्योंकि, टिहरी के तौला काटल पंचायत को जोड़ने वाले सभी संपर्क मार्ग टूटे हुए और सैकड़ों गांवों वाला यह पूरा इलाका भी भी मुख्यधारा से कटा हुआ है. इसलिए सौंदणा गांव से जोड़ने वाली इस ट्रॉली पर इन दिनों काफी दबाव है.

खासकर स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे जान जोखिम में डालकर इस ट्रॉली से नदी पार करते हैं. सौंदणा गांव से हिलांस गांव में मौजूद स्कूल में पढ़ने के लिए आने वाली तीसरी कक्षा की प्रियल, कक्षा 11 वीं की दीक्षा और कक्षा 5 में पढ़ने वाले शुभम ने अपनी समस्या बताई. इसके अलावा इसी गांव के निवासी पदम सिंह पंवार ने यहां रोजाना आने वाली समस्याओं के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि कब उनके साथ हादसा हो जाए कहा नहीं जा सकता.

People Crossing River By Trolley in Tehri
ट्रॉली से नदी पार करता ग्रामीण (फोटो- ETV Bharat)

लोअर सकलाना क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़क बोर्ड पर चमकदार: इन दिनों मुख्य धारा से कटे लोअर सकलाना और तौला काटल कैटल क्षेत्र की इन समस्याओं को बारीकी से जानने के ईटीवी भारत की टीम ने तकरीबन 30 किलोमीटर वापस आकर दूसरे सड़क मार्ग से इस इलाके की तरफ रुख किया. दरअसल, इस पूरे इलाके के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत आरकेके से रगड़ गांव तक 15 किलोमीटर का मोटर मार्ग बनाया गया है. जिसकी जमीनी हकीकत भी देखने को मिली.

रगड़ गांव तक बनी है पीएमजीएसवाई सड़क: सड़क की शुरुआत पर लगे बोर्ड के अनुसार, इस पीएमजीएसवाई सड़क का निर्माण रगड़ गांव तक किया गया है, जिसकी लागत 6 करोड़ 57 लाख के करीब है और इसको साल 2021 में शुरू किया गया. बोर्ड के अनुसार साल 2022 में यह बनकर तैयार हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत नजर आई.

People Crossing River By Trolley in Tehri
ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस तरह पार की नदी (फोटो- ETV Bharat)

स्थानीय निवासी दीपेंद्र कोठारी ने बताते हैं कि शुरुआत में सड़क चमकदार दिखेगी, लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे तो हकीकत के बारे में पता लगता है. दीपेंद्र कोठारी बताते हैं कि सोंग नदी से जोड़ने वाली चिफल्लटी नदी इन दोनों के बीच में बसे पूरे क्षेत्र में कई गांव इस पीएमजीएसवाई की सड़क पर निर्भर करते हैं. यह एक तरह से इन गांवों के लिए लाइफ लाइन का काम करती है.

बोर्ड पर निर्माण कार्य पूरा, लेकिन जमीन पर स्थिति नजर आई उलट: सकलाना क्षेत्र को जोड़ने वाली इस सड़क की पोल तब खुली, जब चिफल्लटी नदी पर टीम पहुंची. जहां सड़क के हालात कच्चे मार्ग से बदतर नजर आए. वहीं, नदी के थोड़ा और करीब जाने पर इस सड़क पर प्रस्तावित एक पुल की जानकारी भी बोर्ड पर नजर आई. नदी के पास लगे बोर्ड की जानकारी के अनुसार, पीएमजीएसवाई की इस सड़क के 8.55 किलोमीटर पर पड़ने वाली चिफल्लटी नदी पर 48 मीटर स्पान का स्टील गार्डन सेतु निर्माण किया गया है.

People Crossing River By Trolley in Tehri
बरसात से बदली सूरत (फोटो- ETV Bharat)

पुल निर्माण की लागत 1.93 करोड़ के करीब है. बोर्ड पर दी गई जानकारी के अनुसार स्कूल के निर्माण की शुरुआत 8 जनवरी 2022 को हुई थी. जबकि, कार्य समाप्ति की तिथि इस पर 7 जुलाई 2022 लिखी गई थी, लेकिन चिफल्लटी नदी पर पुल नजर नहीं आया. केवल नदी के एक तरफ एक अधूरा पिलर दिखाई दिया. वहीं, लोगों की सहायता के लिए नदी किनारे एक जेसीबी भी रखा नजर आया.

4 महीने से परेशानी में तौला काटल पंचायत के लोग, बच्चे भी नहीं जा पा रहे स्कूल: बेहद जोखिम के साथ स्थानीय लोगों की मदद से ईटीवी भारत की टीम ने चिफल्लटी नदी पार किया. जिसके बाद नदी के उस पार मौजूद परिवारों से बातचीत की. सड़क किनारे मौजूद कुछ घरों के लोगों से शामिल योगेंद्र पंवार ने बताया कि साल 2022 की आपदा में 1986-87 का एक पुराना पुल टूट गया था. जिसके बाद पीएमजीएसवाई (PMGSY) की सड़क के तहत पुल प्रस्तावित हुआ, लेकिन धरातल पर नहीं बन पाया.

उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में तकरीबन 12 से 15 ग्राम पंचायते हैं, जिनमें करीब 30 से ज्यादा राजस्व ग्राम मौजूद हैं. वो पूरी तरह से नदी पर पुल न होने की वजह से प्रभावित हैं. इससे आगे भी एक बड़ा इलाका इस सड़क पर निर्भर है. वो भी इन दिनों मुख्य धारा से कटा हुआ है. इसी तरह उच्च शिक्षा के लिए देहरादून जाने वाली अंजलि ने बताया कि वो भी पिछले कई महीनों से यहीं फंसी हुई है. वो कॉलेज नहीं जा पा रही हैं.

People Crossing River By Trolley in Tehri
महिला ने बताई अपनी पीड़ा (फोटो- ETV Bharat)

वहीं, गांव की आंगनबाड़ी वर्कर उषा ने बताया कि गांव में कई समस्याएं हैं. बरसात के मौसम में लोग चार-पांच महीने का राशन इकट्ठा कर लेते हैं. इस बीच कोई इमरजेंसी होती है तो काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बच्चे दो- दो महीने तक स्कूल नहीं जा पाते हैं. इसी तरह से स्कूली छात्र सचिन और काजल ने बताया कि नदी पर पुल न होने और पानी बढ़ने की वजह से वो स्कूल नहीं जा रहे हैं. वो पिछले दो महीने से स्कूल नहीं गए हैं.

बरहाल, सूबे की राजधानी देहरादून से सटे टिहरी जिले के सकलाना क्षेत्र के कई गांवों के लोगों का संपर्क अभी भी टूटा हुआ है. जिनमें रगड़ गांव, शेरा, कुंड, पसनी, एरल के अलावा कई गांव मुख्य धारा से कटे हुए हैं. वहीं, तौलिया काटल ग्राम पंचायत के अंतर्गत पुल न बनने से सोदणा, चीफल्डी, तौलिया काटल, गवाली डांडा, मुडिया गांव, रंगड़ गांव, देव घाटी, बडद, सेरा, ऐरल गांव, पस्याल्टा, कुण्ड गांव, बगन्वाल गांव, दगंल्डा, पसनी, गंधक पानी आदि गांव में बाहरी क्षेत्र से किसी भी तरह की आवाजाही बंद हैं.

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मौत से आंख मिचौली कर स्कूल पहुंच रहे बच्चे (वीडियो- ETV Bharat)

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People Crossing River By Trolley in Tehri
ट्रॉली से नदी पार करते स्कूली बच्चे (फोटो- ETV Bharat)

रस्सी और ट्रॉली के सहारे मासूम जिंदगियां: दरअसल, इन दिनों देहरादून रायपुर ब्लॉक से सटे टिहरी जिले के सकलाना क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा मुख्य धारा से कटा हुआ है. वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में यहां पर केवल एक मात्र ट्रॉली है. जिस पर सैकड़ों लोगों की आवाजाही होती है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर जाकर लोगों की समस्याएं जानी. सबसे पहले ईटीवी भारत की सोंग नदी के उन दोनों किनारों के पास पहुंची. जहां टिहरी जिले की तौला काटल पंचायत के सौंदणा गांव और देहरादून के रायपुर क्षेत्र के हिलांस गांव को एक रस्सी व लोहे की कमानी के सहारे एक ट्रॉली जोड़ती है.

फिलहाल, इन दिनों टिहरी के तौला काटल और लोअर सकलाना क्षेत्र के तकरीब 100 से ज्यादा गांव मुख्यधारा से कटे हुए हैं तो सौंदणा गांव व आसपास के लोगों के लिए यह पुराना ट्रॉली सिस्टम ही मुख्यधारा से जुड़ने का एक मात्र सहारा है. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो स्कूली बच्चे और ग्रामीण ट्रॉली से उफनती नदी को पार करते दिखे. जहां थोड़ी सी चूक या लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती थी, लेकिन ग्रामीण और बच्चे अपने गंतव्यों तक जाने के लिए जद्दोजहद करते दिखे.

People Crossing River By Trolley in Tehri
नदी पार करने के लिए ट्रॉली में बैठी स्कूली छात्रा (फोटो- ETV Bharat)

2022 की आपदा में बह गया था पुल: स्थानीय निवासी पदम सिंह पवार बताते हैं कि साल 2022 में सोंग नदी में बाढ़ आने के बाद तौला काटल क्षेत्र को जोड़ने वाले कई साल पुराने सभी पुल टूट गए थे. फिर इस पूरे क्षेत्र को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए चिफल्टी, रगड़ गांव और सौंदणा में तीन अलग-अलग जगह पर ट्रॉली सिस्टम लगाए गए, जिनमें से अब तक दो बह चुके हैं. सिर्फ हिलांस और सौंदणा गांव को जोड़ने वाला एक ट्रॉली सिस्टम ही काम कर रहा है.

सौंदणा गांव से जोड़ने वाले ट्रॉली पर बढ़ा दबाव: इस ट्रॉली सिस्टम पर सौंदणा गांव और आसपास के दर्जनों गांव के लोग नदी को पार कर रोजाना इस ओर आते हैं. क्योंकि, टिहरी के तौला काटल पंचायत को जोड़ने वाले सभी संपर्क मार्ग टूटे हुए और सैकड़ों गांवों वाला यह पूरा इलाका भी भी मुख्यधारा से कटा हुआ है. इसलिए सौंदणा गांव से जोड़ने वाली इस ट्रॉली पर इन दिनों काफी दबाव है.

खासकर स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे जान जोखिम में डालकर इस ट्रॉली से नदी पार करते हैं. सौंदणा गांव से हिलांस गांव में मौजूद स्कूल में पढ़ने के लिए आने वाली तीसरी कक्षा की प्रियल, कक्षा 11 वीं की दीक्षा और कक्षा 5 में पढ़ने वाले शुभम ने अपनी समस्या बताई. इसके अलावा इसी गांव के निवासी पदम सिंह पंवार ने यहां रोजाना आने वाली समस्याओं के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि कब उनके साथ हादसा हो जाए कहा नहीं जा सकता.

People Crossing River By Trolley in Tehri
ट्रॉली से नदी पार करता ग्रामीण (फोटो- ETV Bharat)

लोअर सकलाना क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़क बोर्ड पर चमकदार: इन दिनों मुख्य धारा से कटे लोअर सकलाना और तौला काटल कैटल क्षेत्र की इन समस्याओं को बारीकी से जानने के ईटीवी भारत की टीम ने तकरीबन 30 किलोमीटर वापस आकर दूसरे सड़क मार्ग से इस इलाके की तरफ रुख किया. दरअसल, इस पूरे इलाके के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत आरकेके से रगड़ गांव तक 15 किलोमीटर का मोटर मार्ग बनाया गया है. जिसकी जमीनी हकीकत भी देखने को मिली.

रगड़ गांव तक बनी है पीएमजीएसवाई सड़क: सड़क की शुरुआत पर लगे बोर्ड के अनुसार, इस पीएमजीएसवाई सड़क का निर्माण रगड़ गांव तक किया गया है, जिसकी लागत 6 करोड़ 57 लाख के करीब है और इसको साल 2021 में शुरू किया गया. बोर्ड के अनुसार साल 2022 में यह बनकर तैयार हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत नजर आई.

People Crossing River By Trolley in Tehri
ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस तरह पार की नदी (फोटो- ETV Bharat)

स्थानीय निवासी दीपेंद्र कोठारी ने बताते हैं कि शुरुआत में सड़क चमकदार दिखेगी, लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे तो हकीकत के बारे में पता लगता है. दीपेंद्र कोठारी बताते हैं कि सोंग नदी से जोड़ने वाली चिफल्लटी नदी इन दोनों के बीच में बसे पूरे क्षेत्र में कई गांव इस पीएमजीएसवाई की सड़क पर निर्भर करते हैं. यह एक तरह से इन गांवों के लिए लाइफ लाइन का काम करती है.

बोर्ड पर निर्माण कार्य पूरा, लेकिन जमीन पर स्थिति नजर आई उलट: सकलाना क्षेत्र को जोड़ने वाली इस सड़क की पोल तब खुली, जब चिफल्लटी नदी पर टीम पहुंची. जहां सड़क के हालात कच्चे मार्ग से बदतर नजर आए. वहीं, नदी के थोड़ा और करीब जाने पर इस सड़क पर प्रस्तावित एक पुल की जानकारी भी बोर्ड पर नजर आई. नदी के पास लगे बोर्ड की जानकारी के अनुसार, पीएमजीएसवाई की इस सड़क के 8.55 किलोमीटर पर पड़ने वाली चिफल्लटी नदी पर 48 मीटर स्पान का स्टील गार्डन सेतु निर्माण किया गया है.

People Crossing River By Trolley in Tehri
बरसात से बदली सूरत (फोटो- ETV Bharat)

पुल निर्माण की लागत 1.93 करोड़ के करीब है. बोर्ड पर दी गई जानकारी के अनुसार स्कूल के निर्माण की शुरुआत 8 जनवरी 2022 को हुई थी. जबकि, कार्य समाप्ति की तिथि इस पर 7 जुलाई 2022 लिखी गई थी, लेकिन चिफल्लटी नदी पर पुल नजर नहीं आया. केवल नदी के एक तरफ एक अधूरा पिलर दिखाई दिया. वहीं, लोगों की सहायता के लिए नदी किनारे एक जेसीबी भी रखा नजर आया.

4 महीने से परेशानी में तौला काटल पंचायत के लोग, बच्चे भी नहीं जा पा रहे स्कूल: बेहद जोखिम के साथ स्थानीय लोगों की मदद से ईटीवी भारत की टीम ने चिफल्लटी नदी पार किया. जिसके बाद नदी के उस पार मौजूद परिवारों से बातचीत की. सड़क किनारे मौजूद कुछ घरों के लोगों से शामिल योगेंद्र पंवार ने बताया कि साल 2022 की आपदा में 1986-87 का एक पुराना पुल टूट गया था. जिसके बाद पीएमजीएसवाई (PMGSY) की सड़क के तहत पुल प्रस्तावित हुआ, लेकिन धरातल पर नहीं बन पाया.

उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में तकरीबन 12 से 15 ग्राम पंचायते हैं, जिनमें करीब 30 से ज्यादा राजस्व ग्राम मौजूद हैं. वो पूरी तरह से नदी पर पुल न होने की वजह से प्रभावित हैं. इससे आगे भी एक बड़ा इलाका इस सड़क पर निर्भर है. वो भी इन दिनों मुख्य धारा से कटा हुआ है. इसी तरह उच्च शिक्षा के लिए देहरादून जाने वाली अंजलि ने बताया कि वो भी पिछले कई महीनों से यहीं फंसी हुई है. वो कॉलेज नहीं जा पा रही हैं.

People Crossing River By Trolley in Tehri
महिला ने बताई अपनी पीड़ा (फोटो- ETV Bharat)

वहीं, गांव की आंगनबाड़ी वर्कर उषा ने बताया कि गांव में कई समस्याएं हैं. बरसात के मौसम में लोग चार-पांच महीने का राशन इकट्ठा कर लेते हैं. इस बीच कोई इमरजेंसी होती है तो काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बच्चे दो- दो महीने तक स्कूल नहीं जा पाते हैं. इसी तरह से स्कूली छात्र सचिन और काजल ने बताया कि नदी पर पुल न होने और पानी बढ़ने की वजह से वो स्कूल नहीं जा रहे हैं. वो पिछले दो महीने से स्कूल नहीं गए हैं.

बरहाल, सूबे की राजधानी देहरादून से सटे टिहरी जिले के सकलाना क्षेत्र के कई गांवों के लोगों का संपर्क अभी भी टूटा हुआ है. जिनमें रगड़ गांव, शेरा, कुंड, पसनी, एरल के अलावा कई गांव मुख्य धारा से कटे हुए हैं. वहीं, तौलिया काटल ग्राम पंचायत के अंतर्गत पुल न बनने से सोदणा, चीफल्डी, तौलिया काटल, गवाली डांडा, मुडिया गांव, रंगड़ गांव, देव घाटी, बडद, सेरा, ऐरल गांव, पस्याल्टा, कुण्ड गांव, बगन्वाल गांव, दगंल्डा, पसनी, गंधक पानी आदि गांव में बाहरी क्षेत्र से किसी भी तरह की आवाजाही बंद हैं.

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Last Updated : Aug 28, 2024, 4:19 PM IST
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