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'पत्नी को भूत पिशाच कहना क्रूरता नहीं' कहकर हाईकोर्ट ने रद्द की पति की सजा - Patna High Court - PATNA HIGH COURT

पटना हाईकोर्ट ने पति-पत्नी में होने वाले विवाद को लेकर बड़ा ही गंभीर फैसला सुनाया है. कोर्ट ने न सिर्फ निचली अदालत द्वारा पति को दी गई सजा को रद्द कर दिया बल्कि अदालत ने कहा भी कि 'पत्नी को भूत पिशाच कहना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता'- पढ़ें पूरी खबर-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 30, 2024, 5:23 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने अभी हाल में ही एक निर्णय में स्पष्ट किया कि पति द्वारा पत्नी को भूत पिशाच कहना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है. जस्टिस विवेक चौधरी ने पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंधों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई की और निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए पति की सजा को रद्द कर दिया.

'पत्नी को भूत पिशाच कहना क्रूरता नहीं' : पटना हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच झगड़े और दहेज उत्पीड़न से जुड़े मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक संबंधों, ख़ासकर असफल वैवाहिक संबंधों में ऐसी घटनाएं होती हैं. कोर्ट ने कहा कि ऐसे माहौल में पति पत्नी आपस में गंदी भाषाओं का प्रयोग करते हैं, ऐसे आरोप को क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है.

निचली अदालत के फैसले को किया रद्द : कोर्ट ने 498 ए और दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 के तहत एक पति को निचली अदालत द्वारा सुनाई गयी सजा को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने प्रतिवादी पत्नी के उन आरोपों को ख़ारिज कर दिया, जिसमें पत्नी ने अपने पिता को पत्र लिख कर अपने पति द्वारा दी जा रही यातनाओं के सम्बन्ध में लिखा था.

कोर्ट में सबूत नहीं दे पाई पत्नी : जब हाईकोर्ट ने प्रतिवादी पत्नी से इस सम्बन्ध में सबूत मांगे, तो वह सबूत नहीं दे पायी. कोर्ट में दहेज़ मांगने के मामले में कार मांगने के सम्बन्ध में भी सबूत नहीं प्रस्तुत कर पायी. कोर्ट ने निचली अदालतों द्वारा पति को विभिन्न कानूनों के तहत दी गयी सजा को रद्द कर दिया.

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पटना : पटना हाईकोर्ट ने अभी हाल में ही एक निर्णय में स्पष्ट किया कि पति द्वारा पत्नी को भूत पिशाच कहना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है. जस्टिस विवेक चौधरी ने पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंधों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई की और निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए पति की सजा को रद्द कर दिया.

'पत्नी को भूत पिशाच कहना क्रूरता नहीं' : पटना हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच झगड़े और दहेज उत्पीड़न से जुड़े मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक संबंधों, ख़ासकर असफल वैवाहिक संबंधों में ऐसी घटनाएं होती हैं. कोर्ट ने कहा कि ऐसे माहौल में पति पत्नी आपस में गंदी भाषाओं का प्रयोग करते हैं, ऐसे आरोप को क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है.

निचली अदालत के फैसले को किया रद्द : कोर्ट ने 498 ए और दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 के तहत एक पति को निचली अदालत द्वारा सुनाई गयी सजा को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने प्रतिवादी पत्नी के उन आरोपों को ख़ारिज कर दिया, जिसमें पत्नी ने अपने पिता को पत्र लिख कर अपने पति द्वारा दी जा रही यातनाओं के सम्बन्ध में लिखा था.

कोर्ट में सबूत नहीं दे पाई पत्नी : जब हाईकोर्ट ने प्रतिवादी पत्नी से इस सम्बन्ध में सबूत मांगे, तो वह सबूत नहीं दे पायी. कोर्ट में दहेज़ मांगने के मामले में कार मांगने के सम्बन्ध में भी सबूत नहीं प्रस्तुत कर पायी. कोर्ट ने निचली अदालतों द्वारा पति को विभिन्न कानूनों के तहत दी गयी सजा को रद्द कर दिया.

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