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अनूठा है दूधिया मालदह का स्वाद, सात समंदर पार भी हैं इसके कद्रदान - mango crop

आम का नाम सुनते ही मुंह में मिठास भर आती है. शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे आम का स्वाद रास नहीं आता हो और फिर बात जब दूधिया मालदह की तो कहना ही क्या, आखिर ये आम क्यों हैं इतना खास कि इसके कद्रदान दुनिया भर में फैले हैं, आप भी जान लीजिए,

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 30, 2024, 8:20 PM IST

अनूठा है दूधिया मालदह का स्वाद

पटनाः आम की चर्चा हो और पटना के दीघा की बात न आए. ये हो नहीं सकता, क्योंकि आमों में बेहद ही खास दूधिया मालदह दीघा में ही तो पैदा होता है. दूधिया मालदह की खुशबू देश की सीमाओं को महकाती हुई सात समंदर पार भी अपना जलवा बिखेरती है.सभी को इंतजार रहता है आम के मौसम का ताकि इस खास स्वाद का लुत्फ उठा सकें.

पतली त्वचा और गूदे से भरपूरः वैसे तो आम को फलों का राजा कहा जाता है लेकिन दूधिया मालदह का जो स्वाद है इसे आमों का राजा बनाता है. हरे रंग की पतली त्वचा, गूदेदार, मीठी सुगंध और अनोखा स्वाद- दूधिया मालदह खाना अपने आप में एक दैवीय पदार्थ की अनुभूति दिलाता है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजे जाते हैं दूधिया मालदहः दूधिया मालदह का अनोखा स्वाद देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास तक अपनी जगह बना चुका है. तभी तो हर साल उपहार के तौर पर बिहार सरकार की ओर से दूधिया मालदह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे जाते हैं. इसके अलावा कई मशहूर अभिनेता भी बड़े शौक से दूधिया मालदह ले जाते हैं और मंगवाते हैं.

सात समंदर पार भी दूधिया मालदह के कद्रदानः हिंदुस्तान की सीमाओं को अपनी सुगंध से तरबतर करता हुआ दूधिया मालदह सात समंदर पार भी पहुंचता है. विदेशों में भी बैठे लोगों को हर साल आम के मौसम का इंतजार रहता है ताकि वो दीघा के दूधिया मालदह के अनूठे स्वाद का आनंद ले सकें.

पेड़ में लगा दूधिया मालदह
पेड़ में लगा दूधिया मालदह

पाकिस्तान के मुल्तान से आया था मालदहः कहा जाता है कि दीघा में दूधिया मालदह का पहला पेड़ पाकिस्तान के मुल्तान से लाया गया था और पेड़ की सिंचाई पानी के साथ-साथ दूध से भी की गयी थी. दूध से सिंचाई के कारण ही इसका नाम दूधिया मालदह पड़ा. दीघा इलाके के बिहार विद्यापीठ में 200 साल से ज्यादा पुराना पेड़ आज भी मौजूद है.

सिंगापुर की प्रदर्शनी में पहला स्थान मिला थाः अपने अनूठे स्वाद के लिए मशहूर दीघा के दूधिया मालदह के बागान अब धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं.दीघा इलाके में बचे-खुचे बागान की देखरेख करनेवाले मनु साव बताते हैं कि "देश-दुनिया में इस आम की खास पहचान है. वा बताते हैं कि 1997 में तो सिंगापुर में आयोजित प्रदर्शनी में दीघा के दूधिया मालदह ने प्रथम स्थान हासिल किया था."

अनूठा है दूधिया मालदह का स्वाद
दूधिया मालदह

धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं दूधिया मालदह के पेड़ः ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बागवानी प्रबंधक प्रमोद कुमार ने बताया कि "एक समय था जब पूरा इलाका दूधिया मालदह आम के बगीचे से भरा था. लेकिन बदलते समय के साथ नयी इमारतें, नयी कॉलोनियां बनती गईं और आम के पेड़ खत्म होते गये. अब मुश्किल से इलाके में 500 के करीब पेड़ बचे हुए हैं."

पछुआ के कारण इस साल आम को भारी नुकसानः प्रमोद कुमार ने बताया कि "इस साल तेज गर्मी और पछुआ हवा के कारण आम के फलों को काफी नुकसान हुआ है. पहले मंजर गिरे और अब तेज गर्मी के कारण तैयार होने से पहले ही फल गिर रहे हैं. इस साल करीब 75 फीसदी आम गिर चुके हैं."

अनूठा है दूधिया मालदह का स्वाद
दूधिया मालदह को दिखाते मनु साव

जून में होता है तैयारः वैसे तो बाजार में अब कई किस्म के आम बिकने लगे हैं, लेकिन दूधिया मालदह सामान्य तौर पर जून महीने में तैयार होता है और बाजार में आता है. मूल रूप से बिहार में ही पैदा होनेवाले आम देश के अलग-अलग राज्यों के साथ ही विदेशोंं में भी भेजे जाते हैं. पिछले सीजन में भी करीब 33 देशों में दूधिया मालदह आम भेजे गये थे. इसकी कीमत करीब 100 रुपये प्रति किलो के आसपास होती है.

ये भी पढ़ेंःदेशभर में मशहूर है मुंगेर का दूधिया मालदह आम, खाते ही कह उठेंगे 'वन मैंगो मोर'

ये भी पढ़ेंःकहीं जहरीली तो नहीं है आपके आम की मिठास! जानें कैसे बचा जाए इससे

ये भी पढ़ेंःआम खाने के शौकीन हैं तो जानें गर्मियों में सेवन के तरीके, अब खाने से पहले सोचने की जरूरत नहीं - Utility News

अनूठा है दूधिया मालदह का स्वाद

पटनाः आम की चर्चा हो और पटना के दीघा की बात न आए. ये हो नहीं सकता, क्योंकि आमों में बेहद ही खास दूधिया मालदह दीघा में ही तो पैदा होता है. दूधिया मालदह की खुशबू देश की सीमाओं को महकाती हुई सात समंदर पार भी अपना जलवा बिखेरती है.सभी को इंतजार रहता है आम के मौसम का ताकि इस खास स्वाद का लुत्फ उठा सकें.

पतली त्वचा और गूदे से भरपूरः वैसे तो आम को फलों का राजा कहा जाता है लेकिन दूधिया मालदह का जो स्वाद है इसे आमों का राजा बनाता है. हरे रंग की पतली त्वचा, गूदेदार, मीठी सुगंध और अनोखा स्वाद- दूधिया मालदह खाना अपने आप में एक दैवीय पदार्थ की अनुभूति दिलाता है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजे जाते हैं दूधिया मालदहः दूधिया मालदह का अनोखा स्वाद देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास तक अपनी जगह बना चुका है. तभी तो हर साल उपहार के तौर पर बिहार सरकार की ओर से दूधिया मालदह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे जाते हैं. इसके अलावा कई मशहूर अभिनेता भी बड़े शौक से दूधिया मालदह ले जाते हैं और मंगवाते हैं.

सात समंदर पार भी दूधिया मालदह के कद्रदानः हिंदुस्तान की सीमाओं को अपनी सुगंध से तरबतर करता हुआ दूधिया मालदह सात समंदर पार भी पहुंचता है. विदेशों में भी बैठे लोगों को हर साल आम के मौसम का इंतजार रहता है ताकि वो दीघा के दूधिया मालदह के अनूठे स्वाद का आनंद ले सकें.

पेड़ में लगा दूधिया मालदह
पेड़ में लगा दूधिया मालदह

पाकिस्तान के मुल्तान से आया था मालदहः कहा जाता है कि दीघा में दूधिया मालदह का पहला पेड़ पाकिस्तान के मुल्तान से लाया गया था और पेड़ की सिंचाई पानी के साथ-साथ दूध से भी की गयी थी. दूध से सिंचाई के कारण ही इसका नाम दूधिया मालदह पड़ा. दीघा इलाके के बिहार विद्यापीठ में 200 साल से ज्यादा पुराना पेड़ आज भी मौजूद है.

सिंगापुर की प्रदर्शनी में पहला स्थान मिला थाः अपने अनूठे स्वाद के लिए मशहूर दीघा के दूधिया मालदह के बागान अब धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं.दीघा इलाके में बचे-खुचे बागान की देखरेख करनेवाले मनु साव बताते हैं कि "देश-दुनिया में इस आम की खास पहचान है. वा बताते हैं कि 1997 में तो सिंगापुर में आयोजित प्रदर्शनी में दीघा के दूधिया मालदह ने प्रथम स्थान हासिल किया था."

अनूठा है दूधिया मालदह का स्वाद
दूधिया मालदह

धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं दूधिया मालदह के पेड़ः ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बागवानी प्रबंधक प्रमोद कुमार ने बताया कि "एक समय था जब पूरा इलाका दूधिया मालदह आम के बगीचे से भरा था. लेकिन बदलते समय के साथ नयी इमारतें, नयी कॉलोनियां बनती गईं और आम के पेड़ खत्म होते गये. अब मुश्किल से इलाके में 500 के करीब पेड़ बचे हुए हैं."

पछुआ के कारण इस साल आम को भारी नुकसानः प्रमोद कुमार ने बताया कि "इस साल तेज गर्मी और पछुआ हवा के कारण आम के फलों को काफी नुकसान हुआ है. पहले मंजर गिरे और अब तेज गर्मी के कारण तैयार होने से पहले ही फल गिर रहे हैं. इस साल करीब 75 फीसदी आम गिर चुके हैं."

अनूठा है दूधिया मालदह का स्वाद
दूधिया मालदह को दिखाते मनु साव

जून में होता है तैयारः वैसे तो बाजार में अब कई किस्म के आम बिकने लगे हैं, लेकिन दूधिया मालदह सामान्य तौर पर जून महीने में तैयार होता है और बाजार में आता है. मूल रूप से बिहार में ही पैदा होनेवाले आम देश के अलग-अलग राज्यों के साथ ही विदेशोंं में भी भेजे जाते हैं. पिछले सीजन में भी करीब 33 देशों में दूधिया मालदह आम भेजे गये थे. इसकी कीमत करीब 100 रुपये प्रति किलो के आसपास होती है.

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