चेन्नई: पांच साल से दिल की बीमारी से जूझ रही पाकिस्तान की 19 वर्षीय आयशा का डॉ के आर बालाकृष्णन के मार्गदर्शन में चेन्नई स्थित MGM हेल्थकेयर अस्पताल हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था. उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल से लाए गए 69 साल के ब्रेन-डेड मरीज का दिल मिल गया. आयशा पहली बार 2014 में इलाज के लिए भारत आईं थीं.
आयशा को डॉ. केआर बालाकृष्णन और टीम के मार्गदर्शन में परामर्श के लिए भारत लाया गया था. उस समय आयशा की उम्र महज 14 साल थी. उनके दिल को ठीक रखने के लिए एक डिवाइस लगाया गया था. 2024 में उनके डिवाइस में कुछ समस्या आ गई. इसलिए परिजन बच्ची को इलाज के लिए फिर से भारत ले आए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी.
मुफ्त में की गई सर्जरी: इसके बाद परिवार ने डॉक्टरों को बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और वह हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं करवा सकते. इसके बाद डॉक्टरों ने तुरंत ऐश्वर्यम ट्रस्ट नाम के एक एनजीओ को सूचित किया. इसके बाद ऐश्वर्यम ट्रस्ट और एमजीएम हेल्थकेयर की मदद से मरीज की सर्जरी मुफ्त में की गई.
18 महीने से भारत में रह रहा परिवार: गौरतलब है कि मरीज का परिवार हेल्छ चेकअप के लिए पिछले 18 महीने से भारत में रह रहा है और वह स्टेट ओर्गन रजिस्ट्री पर वेटिंग लिस्ट में शामिल था. सितंबर 2023 में डॉ बालाकृष्णन की टीम ने उन्हें बताया कि आयशा का इलाज केवल हार्ट ट्रांसप्लांट से हो सकता है. इस बीच 31 जनवरी को आयशा के परिवार को अस्पताल से फोन आया और उन्हें 69 साल के शख्स का दिल मिल गया.
ट्रस्ट ने किया भुगतान: इसके बाद डॉक्टरों ने आयशा की सफलतापूर्वक सर्जरी की और कुछ दिनों बाद उसे लाइफ सपोर्ट से भी हटा दिया. इस सर्जरी का पूरा भुगतान एनजीओ ऐश्वर्या ट्रस्ट ने किया और 17 अप्रैल को आयशा को अस्पताल से छुट्टी मिलने मिल गई.
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