नई दिल्ली : पांच दिग्गज दिग्गजों को भारत रत्न से सम्मानित करने के फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ केंद्र की भाजपा-एनडीए सरकार की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है. इन दिग्गजों को यह सम्मान मिलने से भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान की प्रतिष्ठा कई गुना बढ़ गई है.
दिवंगत पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव, भाजपा के दिग्गज और पूर्व उप प्रधान मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भारत की हरित क्रांति के अग्रदूत, एमएस स्वामीनाथन, और दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे और सामाजिक न्याय के चैंपियन, डॉ कर्पूरी ठाकुर को इस वर्ष के अंत में देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में धनखड़ ने इस फैसले पर अपनी खुशी का इजहार किया. इन दिग्गज नेताओं और हस्तियों को देश का सर्वोच्च पुरस्कार देने में हुई देरी से संबंधित सवाल के जवाब में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि उन्हें पुरस्कार देने में देरी से जो दर्द हुआ था, वह अब दूर हो गया है. उन्होंने कहा कि यह काम पूर्ववर्ती सरकारों को ही करना चाहिए था. अब इस सरकार ने किया है. इसके लिए सरकार और प्रधान मंत्री को धन्यवाद दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन दिग्गजों को सम्मानित करने से भारत रत्न पुरस्कार का सम्मान भी बढ़ा है. भारत रत्न का महत्व और बढ़ गया है.
उन्होंने पद्म पुरस्कारों का जिक्र करते हुए कहा कि पहले पद्म पुरस्कार को किस नजर से देखा जाता था. आज जब पद्म पुरस्कार दिये जाते हैं तो लोग एक स्वर में कहते हैं कि सही मिला... चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने पर उन्होंने कहा कि जब ऐसे व्यक्तित्व को इतनी देरी से पुरस्कार मिलता है तो दुख तो होता है. लेकिन आज वह दर्द कम हो गया है. आज चौधरी साहब को भारत रत्न मिला और आप कल्पना कर सकते हैं कि करोड़ों किसानों, ग्रामीणों को अच्छी नींद आएगी.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि किसी को भी इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि क्या इन पांच प्रमुख दिग्गजों को देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए. इन रत्नों को देखें, धरती के गौरवान्वित पुत्र. उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह, एमएस स्वामीनाथन, डॉ. कर्पूरी ठाकुर, और पीवी नरसिम्हा राव को यह सम्मान बहुत पहले मिल सकता था. जो भी हो, सरकार के आज के फैसले ने इस पुरस्कार की प्रतिष्ठा को और बढ़ा दिया है.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि चौधरी चरण सिंह एक जन नेता थे. जिन्होंने अपना जीवन किसानों के हितों और कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने कभी भी मौलिकता से नाता नहीं खोया और अपने नैतिक मानकों और सिद्धांतों को सर्वोपरि रखा.