नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में मतदान करने से कोई भी मतदाता वंचित न रह जाए इसके लिए चुनाव आयोग के द्वारा कवायद की जा रही है. भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के आंकड़ों के मुताबिक इस बार 90 लाख 7 हजार 755 दिव्यांग मतदाता वोट डालेंगे, जो पिछले चुनाव की तुलना में 44 प्रतिशत अधिक है. बता दें कि 2019 में 62 लाख 63 हजार 701 मतदाता थे.
ईसीआई के अनुसार 53 लाख 64 हजार 676 पुरुष और 36 लाख 42 हजार 637 महिलाएं और 442 तीसरे लिंग के पंजीकृत दिव्यांग मतदाता हैं. इनमें 12 लाख 60 हजार 161 के साथ उत्तर प्रदेश सबसे अधिक पंजीकृत दिव्यांग मतदाताओं के साथ शीर्ष स्थान पर है. इसके बाद बिहार में 7 लाख 45 हजार 937, कर्नाटक में 6 लाख 19 हजार 69, महाराष्ट्र में 6 लाख 4 हजार 288, मध्य प्रदेश में 5 लाख 79 हजार 500, राजस्थान में 74 हजार 79, तेलंगाना में 5 लाख 26 हजार 709 और ओडिशा में 5 लाख 22 हजार 805 मतदाता हैं.
वहीं सबसे अधिक पंजीकृत महिला दिव्यांग मतदाताओं वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उत्तर प्रदेश 4,51,613 के साथ शीर्ष पर है. इसके बाद बिहार में 2,94,255, कर्नाटक में 2,60,633, मध्य प्रदेश में 2,44,118, महाराष्ट्र में 2,28,343 हैं. इसमें कुल 442 तीसरे लिंग के पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश 68 मतदाताओं के साथ फिर से शीर्ष पर है. इसके बाद कर्नाटक में 53, तमिलनाडु में 50, ओडिशा में 49, बिहार में 39 और अन्य हैं. इस बारे में पोल पैनल ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा चुनाव में पहली बार देश भर में वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग व्यक्तियों के लिए होम वोटिंग की सुविधा प्रदान की जा रही है. बता दें कि पोल पैनल की होम वोटिंग सुविधा का उद्देश्य उन मतदाताओं को मजबूत बनाना है जो मतदान केंद्रों पर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने में बाधाओं का सामना करते हैं. यह सुविधा 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को दी गई है.
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