नवीन उनियाल, देहरादून: देहरादून चिड़ियाघर में दो बाघों के आने के बाद अन्य वन्यजीव दहशत में हैं. देहरादून चिड़ियाघर में दो बाघों के आने के बाद अन्यजीव पास भी नहीं फटक रहे हैं. आमतौर पर इस क्षेत्र में खुले रूप से चीतल, सांभर और बारहसिंगा जैसे वन्यजीव घूमते थे. इसी तरह यहां मौजूद पेड़ों में बड़ी संख्या में बंदर भी दिखाई देते थे. लेकिन पिछले कुछ वक्त से यहां का इको सिस्टम बदल गया है. चिड़ियाघर में पशुओं की देखभाल करने वाले पशु चिकित्सक प्रदीप मिश्रा ने इस बात की जानकारी दी और बताया कि आखिर इस तरह का बदलाव क्यों देखने को मिल रहा है.
पास भी नहीं फटक रहे वन्यजीव: बीते कुछ समय से देहरादून चिड़ियाघर के कई वन्यजीवों ने अपनी गतिविधियों को बदल दिया है. चीतल, सांभर जैसे वन्यजीवों हों या चिड़ियाघर के पेड़ों पर मौजूद बड़ी संख्या में बंदर. ये सभी वन्यजीव अब एक खास क्षेत्र में जाने से परहेज करते हैं. दरअसल, हाल ही में देहरादून चिड़ियाघर में दो बाघों को दो अलग-अलग बाड़ों में रखा गया है. आमतौर पर इस क्षेत्र में चीतल, सांभर और बारहसिंगा जैसे वन्य जीव खुले रूप से घूमते थे. इसी तरह यहां मौजूद पेड़ों में बड़ी संख्या में बंदर भी दिखाई देते थे. लेकिन टाइगर्स के बाड़ों में आने के बाद यहां का इको सिस्टम बदल गया है.
क्या कह रहे पशु चिकित्सक: चिड़ियाघर में बाघों के बाड़ों के आसपास तमाम वन्यजीव खौफ से नजर तक नहीं आ रहे हैं. इसकी वजह ये है कि टाइगर्स के यहां दिखाई देने से वन्यजीव सहमे हुए हैं. पशु चिकित्सक प्रदीप मिश्रा ने बताया कि टाइगर्स की गंध या उसके यूरिन की गंध हवा के साथ जिस तरफ बहती है उस तरफ मौजूद वन्यजीव टाइगर्स की मौजूदगी को भांप लेते हैं और इसके चलते ये वन्यजीव इस क्षेत्र से दूरी बना लेते हैं. यही नहीं, चिड़ियाघर में इन बाड़ों के आसपास बंदर भी नहीं फटक रहे.
बाघों की दहाड़ से खौफ: बताते चलें कि, जिन पेड़ों पर अब तक बंदर बड़ी संख्या में चहलकदमी करते दिखते थे वहां सन्नाटा दिखाई देता है. पशु चिकित्सा प्रदीप मिश्रा कहते हैं कि इसकी वजह बाघों का वन्यजीवों में डर है. इन बाड़ों में टाइगर्स अक्सर अपनी दहाड़ के जरिए भी पूरे चिड़ियाघर को अपनी मौजूदगी का एहसास कराता है. इससे भी वन्यजीव सहम रहे हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अब तक चिड़ियाघर में बाघ नहीं थे लेकिन अचानक इस तरह बाघ की दहाड़ इन्हें डरा रही है और इसलिए यह वन्य जीव सतर्कता बरतते हुए इन बाड़ों से दूरी बना रहे हैं.
बाघों की दिलचस्प बनी गतिविधियां: चिड़ियाघर में बाघों के आने से जहां दूसरे वन्यजीव प्रभावित हुए हैं तो वहीं दोनों बाघों की गतिविधियां भी बेहद दिलचस्प हो गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह दोनों बाघ भी अलग अलग बाड़ों में होने के बावजूद विशेष तरह की एक्टिविटी कर रहे हैं. दरअसल दोनों बाघ खुद के वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, हालांकि D5 (D यानि ढेला) बाघ D2 बाघ से 2 साल छोटा है और D2 बाघ आकार में भी दूसरे से बड़ा है. ऐसे में D2 ने शुरू में D5 बाघ को सरेंडर करवा दिया था. लेकिन वक्त बीतने के साथ अब D5 बाघ भी अपनी दहाड़ और बाड़े में फुर्तीले अंदाज के साथ खुद को मजबूत बना रहा है. इस तरह चिड़ियाघर में दो बाघों के बीच की ये गतिविधि भी दिलचस्प बनी हुई है.
इलाका तय कर रहे दोनों बाघ: देहरादून चिड़ियाघर में दोनों नर बाघों को D2 और D5 बाड़े में रखा गया है. बीते दिनों भी दोनों टाइगर अपनी टेरिटरी यानी इलाका तय करते दिखआई दिए थे. दोनों बाघ पेड़ों पर, पत्थर, जमीन और यहां लगे शीशे और लोहे की तारों पर भी यूरिन करते अपनी टेरिटरी तय करते दिखाई दिए. दोनों बाघ बाड़े के चारों तरफ घूम कर पेड़ पौधों पर पंजों से निशाना बनाते दिखाई दिए.
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