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पटना में अनूठा फुटबॉल मैच, लिगामेंट सर्जरी से ठीक होकर मैदान में उतरे फुटबॉल खिलाड़ी, जमकर किया गोल

Orthopedic Football Match: अब तक एक सामान्य धारणा बनी हुई थी कि लिगामेंट इंजरी होती है, तो स्पोर्ट्समैन का करियर खत्म हो जाता है, क्योंकि इसका इलाज मुश्किल है. लेकिन यह अब बीते दौर की बात हो गई है. इसकी बानगी पटना के वीर कुंवर सिंह खेल मैदान में देखने को मिली. जब लिगामेंट इंजरी के बाद सर्जरी करवा के फुटबॉल खिलाड़ी मैदान में उतरे..

ऑर्थोपेडिक फुटबॉल मैच
ऑर्थोपेडिक फुटबॉल मैच
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 3, 2024, 7:52 PM IST

ऑर्थोपेडिक फुटबॉल मैच

पटनाः बिहार के पटना में लिगामेंट इंजरी के बाद सर्जरी और फिर बिलिटेशन कंप्लीट करने के बाद स्वस्थ हुए खिलाड़ियों ने फुटबॉल मैच खेला. मेडिवर्सल हॉस्पिटल की ओर से आयोजित इस फ्रेंडली मैच में खिलाड़ियों ने जमक गोल किया. जिसमें पटना के डॉक्टर गुरुदेव और डॉक्टर निशिकांत की टीम शामिल थी. इस मैच में ऐसे कई फुटबॉल खिलाड़ी थे, जिन्होंने लिगामेंट इंजरी के बाद मैदान पर दोबारा उतर पाने की उम्मीद छोड़ दी थी.

सर्जरी से ठीक होकर मैदान में उतरे खिलाड़ीः फुटबॉल खिलाड़ी आदित्य स्वरूप ने बताया कि वह स्कूल लेवल पर पटना में काफी फुटबॉल खेला करते थे. डीआरडीओ से जब वह एम-टेक की पढ़ाई कर रहे थे, तब एक फुटबॉल मैच के दौरान उनका लिगामेंट डैमेज हो गया था. बाएं पैर का लिगामेंट डैमेज हुआ था और मल्टीपल इंजरी थी. पटना आकर वह डॉक्टर गुरुदेव से दिखाएं, जिनकी स्पोर्ट्स इंजरी के क्षेत्र में विशेषज्ञता है. यहां उनकी सर्जरी हुई और सर्जरी के बाद कई दिनों तक फिजियोथेरेपी चला. आज वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं, बिल्कुल पहले जैसा और खूब अच्छे से फुटबॉल भी खेल रहे हैं.

"लोकल लेवल पर फुटबॉल मैच खेलने के दौरान मेरा एंकल ट्वीस्ट कर गया था. एसीएल डैमेज हो गया था. डॉ निशिकांत ने मेरा ऑपरेशन किया और भरोसा दिलाया कि मैं दोबारा से फुटबॉल के मैदान पर उतर सकते हूं. रिहैबिलिटेशन के बाद अब मैं बिल्कुल पहले जैसा हूं. चोट लगने के पहले जैसा खेलते थे, वैसा ही अब खेल रहे हैं"- वैभव जोशी, फुटबॉल प्लेयर

मैदान में खेलते सर्जरी से ठीक हुए फुटबॉल खिलाड़ी
मैदान में खेलते सर्जरी से ठीक हुए फुटबॉल खिलाड़ी

'इलाज के बाद दोबारा खेल पा रहे फुटबॉल': खेलेंगे डिस्ट्रिक्ट लेवल फुटबॉल प्लेयर अजय कुमार ने बताया कि बक्सर से वह डिस्ट्रिक्ट लेवल फुटबॉल टूर्नामेंट खेल चुके हैं. लेकिन इसी दौरान एक मैच में स्पोर्ट्स इंजरी उनके साथ हो गई और उनका घुटना डीसलॉकेट हो गया. बहुत जगह दिखाएं और उम्मीद छोड़ दिए थे कि कभी वह फुटबॉल खेल सकते हैं, लेकिन डॉक्टर निशिकांत और डॉक्टर गुरुदेव के पास दिखाने पर उन्हें आश्वासन मिला कि वह दोबारा जरूर फुटबॉल खेलेंगे. उनकी सर्जरी हुई और सर्जरी के बाद अब वह वापस पहले जैसा और पहले से बेहतर फुटबॉल खेल रहे हैं.

दूसरे देशों से भी पहुंचते हैं मरीजः वहीं ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर निशिकांत ने बताया कि किसी दुर्घटना के कारण किसी का लिगामेंट इंजरी होता है, मल्टीप्ल लिगामेंट डैमेज होते हैं, तो घबराने की बात नहीं है. बिहार में आर्थोपेडिक के क्षेत्र में सभी नवीनतम तकनीक इलाज के लिए उपलब्ध हैं. आज की समय में नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों से उनके पास लिगामेंट डैमेज होने पर मरीज पहुंचते हैं. भूटान बांग्लादेश म्यांमार और नेपाल जैसे देशों से भी उनके पास मरीज पहुंचते हैं.

"अभी मैंने एक व्यक्ति के दोनों घुटने का प्रत्यारोपण किया है. यह व्यक्ति लंदन में रहते हैं और वहां सर्जरी के लिए समय नहीं मिल रहा था उन्होंने मुझसे संपर्क किया. आज वह बेहतर रिहैब कर रहे हैं. ऑर्थोपेडिक क्षेत्र में बिहार में अब रिवर्स माइग्रेशन हो रहा है. स्पोर्ट्स इंजरी होने पर या किसी एक्सीडेंट में पैर और घुटना बुरी तरह डैमेज होने पर दूसरे प्रदेशों से लोग अब बिहार आ रहे हैं"- डॉक्टर निशिकांत, ऑर्थोपेडिक सर्जन

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नवीनतम तकनीक के जरिए इलाज: स्पोर्ट्स इंजरी के एक्सपर्ट डॉक्टर गुरुदेव ने बताया कि स्पोर्ट्स पर्सन को अधिकतर एंकल ट्वीस्ट करने पर समस्या आती है, इसके अलावा घुटना डिसलोकेट होता है. इसके अलावा कुल्हा में समस्या होती है और कंधा और कोहनी में भी लिगामेंट इंजरी के चांसेस होते हैं. लिगामेंट इंजरी कई प्रकार के होते हैं और आज सभी नवीनतम तकनीक बिहार में उपलब्ध है. अगर किसी का एक्सीडेंट में बोन लॉस हो जाता है तो भी बोन को उगाने का विकल्प है. अब एक्सीडेंट में मुश्किल स्थिति में ही पैर काटने की आवश्यकता पड़ती है.

'पटना में बेहतर इलाज उपलब्ध': वहीं फुटबॉल मैच का उद्घाटन करने पहुंचे परिवहन सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में दुर्घटनाएं काफी हो रही हैं और इसमें लोगों के लिगामेंट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. कई लोग सड़क दुर्घटना के बाद सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण सही से चल-फिर नहीं पाते हैं. ऐसे में इस प्रकार के आयोजन ऐसे लोगों में उम्मीद पैदा करेगा कि इस घटना से जीवन का अंत नहीं हो रहा है और बेहतर इलाज उपलब्ध है.

"इस प्रकार के आयोजन से ऐसे मरीजों का आत्मविश्वास काफी बढ़ेगा. ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों को इस प्रकार आगे बढ़कर ऐसे आयोजन करने चाहिए. ऑर्थोपेडिक के क्षेत्र में बिहार पहले से भी नामी रहा है और पहले भी अन्य प्रदेशों से यहां के डॉक्टर से दिखाने के लिए लोग आते रहे हैं, आज भी आ रहे हैं. यह स्थिति कायम रहनी चाहिए ताकि बिहार का नाम हो"- संजय अग्रवाल, परिवहन सचिव

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ऑर्थोपेडिक फुटबॉल मैच

पटनाः बिहार के पटना में लिगामेंट इंजरी के बाद सर्जरी और फिर बिलिटेशन कंप्लीट करने के बाद स्वस्थ हुए खिलाड़ियों ने फुटबॉल मैच खेला. मेडिवर्सल हॉस्पिटल की ओर से आयोजित इस फ्रेंडली मैच में खिलाड़ियों ने जमक गोल किया. जिसमें पटना के डॉक्टर गुरुदेव और डॉक्टर निशिकांत की टीम शामिल थी. इस मैच में ऐसे कई फुटबॉल खिलाड़ी थे, जिन्होंने लिगामेंट इंजरी के बाद मैदान पर दोबारा उतर पाने की उम्मीद छोड़ दी थी.

सर्जरी से ठीक होकर मैदान में उतरे खिलाड़ीः फुटबॉल खिलाड़ी आदित्य स्वरूप ने बताया कि वह स्कूल लेवल पर पटना में काफी फुटबॉल खेला करते थे. डीआरडीओ से जब वह एम-टेक की पढ़ाई कर रहे थे, तब एक फुटबॉल मैच के दौरान उनका लिगामेंट डैमेज हो गया था. बाएं पैर का लिगामेंट डैमेज हुआ था और मल्टीपल इंजरी थी. पटना आकर वह डॉक्टर गुरुदेव से दिखाएं, जिनकी स्पोर्ट्स इंजरी के क्षेत्र में विशेषज्ञता है. यहां उनकी सर्जरी हुई और सर्जरी के बाद कई दिनों तक फिजियोथेरेपी चला. आज वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं, बिल्कुल पहले जैसा और खूब अच्छे से फुटबॉल भी खेल रहे हैं.

"लोकल लेवल पर फुटबॉल मैच खेलने के दौरान मेरा एंकल ट्वीस्ट कर गया था. एसीएल डैमेज हो गया था. डॉ निशिकांत ने मेरा ऑपरेशन किया और भरोसा दिलाया कि मैं दोबारा से फुटबॉल के मैदान पर उतर सकते हूं. रिहैबिलिटेशन के बाद अब मैं बिल्कुल पहले जैसा हूं. चोट लगने के पहले जैसा खेलते थे, वैसा ही अब खेल रहे हैं"- वैभव जोशी, फुटबॉल प्लेयर

मैदान में खेलते सर्जरी से ठीक हुए फुटबॉल खिलाड़ी
मैदान में खेलते सर्जरी से ठीक हुए फुटबॉल खिलाड़ी

'इलाज के बाद दोबारा खेल पा रहे फुटबॉल': खेलेंगे डिस्ट्रिक्ट लेवल फुटबॉल प्लेयर अजय कुमार ने बताया कि बक्सर से वह डिस्ट्रिक्ट लेवल फुटबॉल टूर्नामेंट खेल चुके हैं. लेकिन इसी दौरान एक मैच में स्पोर्ट्स इंजरी उनके साथ हो गई और उनका घुटना डीसलॉकेट हो गया. बहुत जगह दिखाएं और उम्मीद छोड़ दिए थे कि कभी वह फुटबॉल खेल सकते हैं, लेकिन डॉक्टर निशिकांत और डॉक्टर गुरुदेव के पास दिखाने पर उन्हें आश्वासन मिला कि वह दोबारा जरूर फुटबॉल खेलेंगे. उनकी सर्जरी हुई और सर्जरी के बाद अब वह वापस पहले जैसा और पहले से बेहतर फुटबॉल खेल रहे हैं.

दूसरे देशों से भी पहुंचते हैं मरीजः वहीं ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर निशिकांत ने बताया कि किसी दुर्घटना के कारण किसी का लिगामेंट इंजरी होता है, मल्टीप्ल लिगामेंट डैमेज होते हैं, तो घबराने की बात नहीं है. बिहार में आर्थोपेडिक के क्षेत्र में सभी नवीनतम तकनीक इलाज के लिए उपलब्ध हैं. आज की समय में नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों से उनके पास लिगामेंट डैमेज होने पर मरीज पहुंचते हैं. भूटान बांग्लादेश म्यांमार और नेपाल जैसे देशों से भी उनके पास मरीज पहुंचते हैं.

"अभी मैंने एक व्यक्ति के दोनों घुटने का प्रत्यारोपण किया है. यह व्यक्ति लंदन में रहते हैं और वहां सर्जरी के लिए समय नहीं मिल रहा था उन्होंने मुझसे संपर्क किया. आज वह बेहतर रिहैब कर रहे हैं. ऑर्थोपेडिक क्षेत्र में बिहार में अब रिवर्स माइग्रेशन हो रहा है. स्पोर्ट्स इंजरी होने पर या किसी एक्सीडेंट में पैर और घुटना बुरी तरह डैमेज होने पर दूसरे प्रदेशों से लोग अब बिहार आ रहे हैं"- डॉक्टर निशिकांत, ऑर्थोपेडिक सर्जन

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नवीनतम तकनीक के जरिए इलाज: स्पोर्ट्स इंजरी के एक्सपर्ट डॉक्टर गुरुदेव ने बताया कि स्पोर्ट्स पर्सन को अधिकतर एंकल ट्वीस्ट करने पर समस्या आती है, इसके अलावा घुटना डिसलोकेट होता है. इसके अलावा कुल्हा में समस्या होती है और कंधा और कोहनी में भी लिगामेंट इंजरी के चांसेस होते हैं. लिगामेंट इंजरी कई प्रकार के होते हैं और आज सभी नवीनतम तकनीक बिहार में उपलब्ध है. अगर किसी का एक्सीडेंट में बोन लॉस हो जाता है तो भी बोन को उगाने का विकल्प है. अब एक्सीडेंट में मुश्किल स्थिति में ही पैर काटने की आवश्यकता पड़ती है.

'पटना में बेहतर इलाज उपलब्ध': वहीं फुटबॉल मैच का उद्घाटन करने पहुंचे परिवहन सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में दुर्घटनाएं काफी हो रही हैं और इसमें लोगों के लिगामेंट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. कई लोग सड़क दुर्घटना के बाद सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण सही से चल-फिर नहीं पाते हैं. ऐसे में इस प्रकार के आयोजन ऐसे लोगों में उम्मीद पैदा करेगा कि इस घटना से जीवन का अंत नहीं हो रहा है और बेहतर इलाज उपलब्ध है.

"इस प्रकार के आयोजन से ऐसे मरीजों का आत्मविश्वास काफी बढ़ेगा. ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों को इस प्रकार आगे बढ़कर ऐसे आयोजन करने चाहिए. ऑर्थोपेडिक के क्षेत्र में बिहार पहले से भी नामी रहा है और पहले भी अन्य प्रदेशों से यहां के डॉक्टर से दिखाने के लिए लोग आते रहे हैं, आज भी आ रहे हैं. यह स्थिति कायम रहनी चाहिए ताकि बिहार का नाम हो"- संजय अग्रवाल, परिवहन सचिव

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