बस्तर: लाल आतंक के खिलाफ चल रही लड़ाई अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है. बस्तर के जंगलों में छिपे नक्सलियों को उनकी मांद से निकालने के लिए फोर्स दिन रात अबूझमाड़ के जंगलों में घूम रही है. कभी अबूझमाड़ के जंगल को नक्सलियों की राजधानी कहा जाता था. नक्सलियों के इस सुरक्षत ठिकाने पर अब जवानों की गोली दस्तक दे रही है. हिंसा और आतंक के रास्ते पर चल रहे माओवादियों का अंत करने के लिए फोर्स ने ऑपरेशन जल शक्ति लॉन्च कर दी है. ऑपरेशन जल शक्ति लॉन्च होते ही जवानों ने 8 खूंखार नक्सलियों को मार गिराया है. 72 घंटे तक चले ऑपरेश में लाल आतंक को जहां तगड़ा धक्का लगा वहीं फोर्स के हाथ बड़ी सफलता लगी.
'ऑपरेशन जल शक्ति' लॉन्च: बस्तर से माओवाद के खात्मे के लिए सरकार अब आर पार के मूड में है. नक्सलियों के सफाए के लिए अबूझमाड़ में ऑपरेशन जल शक्ति लॉन्च कर दिया है. ऑपरेशन के पहले चरण में जवानों ने 8 माओवादियों को ढेर कर दिया. 72 घंटे तक चले ऑपरेशन में जवानों ने उनकी ही मांद में घुसकर उनको मुंहतोड़ जवाब दिया. एनकाउंटर के बाद मौके से बड़ी संख्या में हथियार और गोला बारुद भी बरामद किए. बरामद किए गए सामानों में दैनिक उपयोग के सामान और बड़ी मात्रा में एंटीसेप्टिक दवाएं भी बरामद की हैं. मारे गए नक्सलियों के शव और सामान को जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा लाया गया है.
एनकाउंटर के पीछे की पूरी कहानी: अबूझमाड़ के जंगल में नक्सलियों के होने की सूचना मिली थी. मुखबिर से मिली सूचना के बाद जवानों ने खबर की पुष्टि की. जब ये पक्का हो गया कि नक्सली जंगल में मौजूद हैं तब जवानों ने अबूझमाड़ के लिए मूव किया. खबर थी कि नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर के सीमा क्षेत्र के बड़े नक्सली इंद्रावती एरिया कमेटी के बड़े लीडरों के साथ बैठक कर रहे हैं. नक्सलियों की बैठक में हार्डकोर माओवादी दीपक, कमला, सपना उर्फ सपनक्का, प्लाटून कमांडर मल्लेश मौजूद है. माओवादियों की बैठक में 50 से 60 की संख्या में नक्सली भी मौजूद थे.
800 जवानों ने घेरा अबूझमाड़: ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए 800 जवानों ने पूरे जंगल को घेर लिया. 23 तारीख की सुबह तीनों जिलों के सीमावर्ती इलाके में जब फोर्स पहुंची तो रेकावाया में माओवादियों के उनकी मुठभेड़ हो गई. 72 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद मौके से आठ नक्सलियों के शव बरामद हुए. फोर्स ने नक्सलियों के शवों को अपने कंधे पर लादकर इंद्रावती नदी को पार किया. मारे गए माओवादियों की पहचान अभी नहीं हो पाई है. जिस तरह के हथियार के एनकाउंटर के बाद मिले हैं उससे देखकर ये लगता है कि मारे गए नक्सली माओवादियों के बड़े लीडर थे.