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रास चुनाव 2024: सेवानिवृत्त हो रहे BJP के 28 में से सिर्फ चार सदस्यों को टिकट, जानिए कौन है वे माननीय - BJP Rajya Sabha candidates

Rajya Sabha election 2024 : भाजपा ने 28 निवर्तमान सांसदों में से केवल चार को दोबारा उम्मीदवार बनाया है. इनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, दो केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और एल मुरुगन तथा सुधांशु त्रिवेदी के रूप में एक मुखर राष्ट्रीय प्रवक्ता शामिल हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Rajya Sabha election 2024
रास चुनाव 2024
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By PTI

Published : Feb 14, 2024, 7:52 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव के लिए धर्मेन्द्र प्रधान और भूपेन्द्र यादव जैसे सात केंद्रिय मंत्रियों सहित कई वरिष्ठ नेताओं और सेवानिवृत्त हो रहे राज्यसभा सदस्यों को फिर से टिकट नहीं दिया है. पार्टी के इस कदम को इस बात का मजबूत संकेत माना जा रहा है कि वह इनमें से कई को आगामी लोकसभा चुनाव में उतार सकती है. सत्तारूढ़ भाजपा ने 56 सीटों के लिए अब तक 28 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है.

अब तक घोषित उम्मीदवारों के नामों पर गौर किया जाए तो पता चलेगा कि भाजपा ने सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपने जमीनी स्तर के व संगठन से जुड़े ऐसे कार्यकर्ताओं को तरजीह दी है जिन्हें राजनीतिक हलकों से इतर भी लोग जानते हों. इनमें बिहार की धर्मशिला गुप्ता, महाराष्ट्र की मेधा कुलकर्णी और मध्य प्रदेश की माया नरोलिया शामिल हैं. सभी पार्टी की महिला मोर्चा से जुड़ी हैं.

भाजपा ने 28 निवर्तमान सांसदों में से केवल चार को दोबारा उम्मीदवार बनाया है. इनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, दो केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और एल मुरुगन तथा सुधांशु त्रिवेदी के रूप में एक मुखर राष्ट्रीय प्रवक्ता शामिल हैं.

जानकारों का मानना है कि भाजपा की तरफ से उसके नेताओं को यह स्पष्ट संकेत है कि राज्यसभा सदस्य अपने हाई-प्रोफाइल पद को हल्के में नहीं लें और वह उच्च सदन का उपयोग जनता से जुड़ने और अपने स्वयं के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र विकसित करने के मंच के रूप में करें.

नड्डा को छोड़कर भाजपा ने दो या इससे अधिक बार राज्यसभा का सदस्य रह चुके किसी भी निवर्तमान सदस्य को टिकट नहीं दिया है. नड्डा का उच्च सदन में यह तीसरा कार्यकाल होगा. भाजपा ने जिन 28 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं उनमें पार्टी को कोई भी राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल नहीं है जबकि राज्यों के संगठन में काम करने वाले कई नेताओं को तरजीह दी गई है.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'मैं इसे चयन प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और लोकतंत्रीकरण कहूंगा. दिल्ली के राजनीतिक हलकों में घूमने या मीडिया में टिप्पणी कर सुर्खियों में बनने व खुद को दिखाने का जो प्रयास करते हैं, उससे मौजूदा राष्ट्रीय नेतृत्व पर कोई फर्क नहीं पड़ता.'

बता दें, राजीव चंद्रशेखर, मनसुख मंडाविया, परषोत्तम रूपाला, नारायण राणे और वी मुरलीधरन पांच अन्य मंत्री हैं जिनका कार्यकाल उच्च सदन में समाप्त हो रहा है और जिन्हें भाजपा द्वारा फिर से नामित नहीं किया गया है. अन्य वरिष्ठ नेता जिन्हें इस बार उच्च सदन का टिकट नहीं दिया गया है, उनमें पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और इसके मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी शामिल हैं.

पार्टी हलकों में इस बात की चर्चा है कि ऐसे कई नेताओं को अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा जा सकता है. राज्यसभा की 56 सीट के लिए 27 फरवरी को चुनाव होना है और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 फरवरी है. जरूरत पड़ने पर 27 फरवरी को मतदान कराया जाएगा.

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अब तक घोषित उम्मीदवारों के नामों पर गौर किया जाए तो पता चलेगा कि भाजपा ने सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपने जमीनी स्तर के व संगठन से जुड़े ऐसे कार्यकर्ताओं को तरजीह दी है जिन्हें राजनीतिक हलकों से इतर भी लोग जानते हों. इनमें बिहार की धर्मशिला गुप्ता, महाराष्ट्र की मेधा कुलकर्णी और मध्य प्रदेश की माया नरोलिया शामिल हैं. सभी पार्टी की महिला मोर्चा से जुड़ी हैं.

भाजपा ने 28 निवर्तमान सांसदों में से केवल चार को दोबारा उम्मीदवार बनाया है. इनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, दो केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और एल मुरुगन तथा सुधांशु त्रिवेदी के रूप में एक मुखर राष्ट्रीय प्रवक्ता शामिल हैं.

जानकारों का मानना है कि भाजपा की तरफ से उसके नेताओं को यह स्पष्ट संकेत है कि राज्यसभा सदस्य अपने हाई-प्रोफाइल पद को हल्के में नहीं लें और वह उच्च सदन का उपयोग जनता से जुड़ने और अपने स्वयं के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र विकसित करने के मंच के रूप में करें.

नड्डा को छोड़कर भाजपा ने दो या इससे अधिक बार राज्यसभा का सदस्य रह चुके किसी भी निवर्तमान सदस्य को टिकट नहीं दिया है. नड्डा का उच्च सदन में यह तीसरा कार्यकाल होगा. भाजपा ने जिन 28 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं उनमें पार्टी को कोई भी राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल नहीं है जबकि राज्यों के संगठन में काम करने वाले कई नेताओं को तरजीह दी गई है.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'मैं इसे चयन प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और लोकतंत्रीकरण कहूंगा. दिल्ली के राजनीतिक हलकों में घूमने या मीडिया में टिप्पणी कर सुर्खियों में बनने व खुद को दिखाने का जो प्रयास करते हैं, उससे मौजूदा राष्ट्रीय नेतृत्व पर कोई फर्क नहीं पड़ता.'

बता दें, राजीव चंद्रशेखर, मनसुख मंडाविया, परषोत्तम रूपाला, नारायण राणे और वी मुरलीधरन पांच अन्य मंत्री हैं जिनका कार्यकाल उच्च सदन में समाप्त हो रहा है और जिन्हें भाजपा द्वारा फिर से नामित नहीं किया गया है. अन्य वरिष्ठ नेता जिन्हें इस बार उच्च सदन का टिकट नहीं दिया गया है, उनमें पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और इसके मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी शामिल हैं.

पार्टी हलकों में इस बात की चर्चा है कि ऐसे कई नेताओं को अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा जा सकता है. राज्यसभा की 56 सीट के लिए 27 फरवरी को चुनाव होना है और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 फरवरी है. जरूरत पड़ने पर 27 फरवरी को मतदान कराया जाएगा.

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