भुवनेश्वर: ओडिशा के डीजीपी ने कहा कि, राज्य में मतदान स्वतंत्र, निष्पक्ष और व्यवस्थित रहा. चुनाव के दौरान लोग बड़ी संख्या में वोटिंग करने निकले. उन्होंने कहा कि, इससे पूर्व 1998 में रायगढ़ा में एक पोलिंग पार्टी पर हमला हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई. कुल मिलाकर पूर्व में सभी चुनावों में माओवादियों ने लोगों के मन में डर पैदा किया. हालांकि, मौजूदा चुनाव में माओवादियों ने चुनाव के दौरान ऐसा माहौल नहीं बना पाए. डीजीपी ने आगे कहा कि, ओडिशा पुलिस ने राज्य में माओवादियों के खिलाफ नक्सल अभियान तेज किए. जिसके अंतर्गत पिछले 4 महीने से नक्सलियों के खिलाफ सघन अभियान चलाए गए. इस दौरान माओवादी के कई कैंप नष्ट कर दिए गए. उन्होंने कहा कि, नक्सली इलाके में चुनाव प्रबंधन बड़ी चुनौती रही है. हर वक्त कड़ी नजर रखनी पड़ती है.
ओडिशा में शांति और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एसपी स्तर या अतिरिक्त डीजी स्तर पर कंट्रोल रूम की निगरानी की जाती है, जिसके कारण वर्तमान में सबकुछ सुचारू तरीके से चल रहा है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में ऑपरेशनल फोर्स, नक्सल इंटेलिजेंस, जिला एसपी को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि, ओडिशा के मलकानगिरी, नुआपाड़ा, रायगड़ा, कोरापुट, नबरंगपुर, कालाहांडी, कंधमाल, बौध, सुंदरगढ़, बलांगीर, बारगढ़ जैसे 11 नक्सल प्रभावित जिलों में 4 महीने के भीतर 1,200 नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए, जिसमें 4 नक्सली मारे गए, उनमें से 17 नकस्लियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. इस ऑपरेशन में भारी मात्रा में विस्फोटक और 6 बंदूकें जब्त की गई.
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल नक्सल प्रभावित11 जिलों के 7 लोकसभा क्षेत्रों में 2019 की तुलना में अधिक मतदान हुआ. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कालाहांडी में 77.90 फीसदी, कोरापुट में 77.53 फीसदी, नबरंगपुर में 82.16 फीसदी, बरगढ़ में 79.78 फीसदी, बलांगीर में 77.52 फीसदी, कंधमाल में 74.13 फीसदी, सुंदरगढ़ में 73.02 फीसदी वोटिंग हुई. यहां लोगों ने बिना किसी डर के वोट डालने में कामयाब रहे.
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