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केंद्र की मुक्त आंदोलन व्यवस्था को खत्म करने का एनएससीएन-आईएम ने किया विरोध - Free Movement

NSCN-IM : एनएससीएन-आईएम ने केंद्र की मुक्त आंदोलन व्यवस्था को समाप्त किए जाने का विरोध किया है. संगठन ने कहा है कि वह प्रस्तावि सीमा बाड़ लगाने की अनुमति नहीं देगा जो नगा परिवारों को एक राष्ट्र के रूप में विभाजित करता है. पढ़िए पूरी खबर...Free Movement

NSCN-IM
एनएससीएन-आईएम
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 24, 2024, 7:18 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र ने भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आंदोलन व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने के लिए कदम उठाया है. वहीं नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) ने केंद्र के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई नगाओं को विभाजित कर देगी.

इस संबंध में एनएससीएनआई-आई एम ने अपने एक बयान में कहा है कि सीमा सीमांकन की प्रकृति (भारत और म्यांमार के बीच) इतनी जटिल थी कि मोन जिले में लोंगवा राजा के घर से होकर गुजरती थी. इससे नगा परिवार को विभाजित करने से क्रूर कुछ भी नहीं हो सकता है. संगठन ने कहा है कि वह पूरी तरह से सीमा बाड़ लगाने के खिलाफ है. संगठन ने कहा कि वह प्रस्तावित सीमा बाड़ लगाने की अनुमति नहीं देगा जो नगा परिवार को एक राष्ट्र के रूप में विभाजित करता है.

गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की है कि केंद्र सरकार भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने के लिए काम कर रही है. उल्लेखनीय है नगा, मिजो, कुकी, जोहमी सहित विभिन्न समुदायों के लोग म्यांमार सीमा क्षेत्र में रहते हैं और वे भारतीय क्षेत्र में रहने वाले अपने समुदाय समुदायों के साथ बातचीत करते रहते हैं. वहीं एफएमआर को समाप्त करने का केंद्र सरकार के हाल के कदम विशेष रूप से एनएससीएन और सामान्य तौर पर पूरे नगाओं के लिए एक बड़ा झटका है. संगठन ने कहा कि हमें 1953 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और बर्मा के प्रधानमंत्री यू नु द्वारा नगाओं के विश्वासघाती विभाजन की याद दिलाता है. हालांकि, तथ्य यह है कि नगाओं ने इन दोनों द्वारा स्थापित मनमाने ढंग से अंतरराष्ट्रीय सीमा सीमांकन को कभी स्वीकार नहीं किया है. तथाकथित अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर रहने वाले नगा सभी बाधाओं को पार करते हुए एक परिवार के रूप में बने हुए हैं.

साथ ही कहा गया है कि नगा राजनीतिक आंदोलन नगा राष्ट्र के ऐतिहासिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करने और स्वीकार्य और सम्मानजनक तरीके से भारत और म्यांमार सरकार के आधिपत्य को समाप्त करने के घोषित रुख के साथ अस्तित्व में आया. गृह मंत्रालय ने यह आशंका जताते हुए कहा कि मुक्त आवाजाही व्यवस्था का लाभ उठाकर अवैध अप्रवासी भारतीय सीमा में प्रवेश करते रहते हैं, ऐसे ही अप्रवासी मणिपुर में जातीय हिंसा में शामिल थे. गौरतलब है कि नागा विद्रोही संगठन (एनएससीएन-आईएम) 1997 से पूर्वोत्तर में एक दशक से चले आ रहे उग्रवाद को खत्म करने के लिए फिलहाल भारत सरकार के साथ राजनीतिक बातचीत कर रहा है.

ये भी पढ़ें - बीएसएफ ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर शुरू किया ऑपरेशन सर्द हवा

नई दिल्ली: केंद्र ने भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आंदोलन व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने के लिए कदम उठाया है. वहीं नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) ने केंद्र के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई नगाओं को विभाजित कर देगी.

इस संबंध में एनएससीएनआई-आई एम ने अपने एक बयान में कहा है कि सीमा सीमांकन की प्रकृति (भारत और म्यांमार के बीच) इतनी जटिल थी कि मोन जिले में लोंगवा राजा के घर से होकर गुजरती थी. इससे नगा परिवार को विभाजित करने से क्रूर कुछ भी नहीं हो सकता है. संगठन ने कहा है कि वह पूरी तरह से सीमा बाड़ लगाने के खिलाफ है. संगठन ने कहा कि वह प्रस्तावित सीमा बाड़ लगाने की अनुमति नहीं देगा जो नगा परिवार को एक राष्ट्र के रूप में विभाजित करता है.

गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की है कि केंद्र सरकार भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने के लिए काम कर रही है. उल्लेखनीय है नगा, मिजो, कुकी, जोहमी सहित विभिन्न समुदायों के लोग म्यांमार सीमा क्षेत्र में रहते हैं और वे भारतीय क्षेत्र में रहने वाले अपने समुदाय समुदायों के साथ बातचीत करते रहते हैं. वहीं एफएमआर को समाप्त करने का केंद्र सरकार के हाल के कदम विशेष रूप से एनएससीएन और सामान्य तौर पर पूरे नगाओं के लिए एक बड़ा झटका है. संगठन ने कहा कि हमें 1953 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और बर्मा के प्रधानमंत्री यू नु द्वारा नगाओं के विश्वासघाती विभाजन की याद दिलाता है. हालांकि, तथ्य यह है कि नगाओं ने इन दोनों द्वारा स्थापित मनमाने ढंग से अंतरराष्ट्रीय सीमा सीमांकन को कभी स्वीकार नहीं किया है. तथाकथित अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर रहने वाले नगा सभी बाधाओं को पार करते हुए एक परिवार के रूप में बने हुए हैं.

साथ ही कहा गया है कि नगा राजनीतिक आंदोलन नगा राष्ट्र के ऐतिहासिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करने और स्वीकार्य और सम्मानजनक तरीके से भारत और म्यांमार सरकार के आधिपत्य को समाप्त करने के घोषित रुख के साथ अस्तित्व में आया. गृह मंत्रालय ने यह आशंका जताते हुए कहा कि मुक्त आवाजाही व्यवस्था का लाभ उठाकर अवैध अप्रवासी भारतीय सीमा में प्रवेश करते रहते हैं, ऐसे ही अप्रवासी मणिपुर में जातीय हिंसा में शामिल थे. गौरतलब है कि नागा विद्रोही संगठन (एनएससीएन-आईएम) 1997 से पूर्वोत्तर में एक दशक से चले आ रहे उग्रवाद को खत्म करने के लिए फिलहाल भारत सरकार के साथ राजनीतिक बातचीत कर रहा है.

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