मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची अब यूरोप तक जायेगी. वहां के बाजारो में भी अब लीची बिकेगी. इसके लिए मुजफ्फरपुर में निर्यातक पहुंचने लगे हैं. मोही ट्रेडिंग कंपनी लखनऊ के संचालक दीपक मिश्रा ने किसान व व्यापारी के साथ ही लीची विज्ञानी से मुलाकात की. निर्यात में लीची उत्पादक संघ इनका सहयोग करेगा.
यूरोप जाएगी मुजफ्फरपुर की शाही लीची: इस क्रम में समेकित बागवानी विकास अनुसंधान संस्थान पीपराकोठी में वरीय विज्ञानी डा. एसके पूर्वे से मिलकर लीची की गुणवत्ता के बारे में जानकारी ली गई. लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष किसान बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि देश से बाहर लीची ले जाने के लिए उसकी गुणवत्ता को बनाए रखना जरूरी है. डॉ. एसके पूर्व राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र में वरीय विज्ञानी के रूप में काम कर चुके हैं.
खाड़ी देश भी भेजी जा चुकी है यहां की लीची: लीची की सेल्फ लाइफ बढ़ाने पर उन्होंने शोध किया था. इसलिए उनके साथ संपर्क किया गया. इसके साथ राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक व अन्य विज्ञानी से भी सलाह ली जाएगी. दीपक मिश्रा ने बताया कि पिछले साल दूसरी कंपनी के साथ मिलकर करीब 15 टन लीची खाड़ी देश भेजी गई थी.
"इस बार शाही लीची यूरोप भेजने की तैयारी है. वहां के बाजार के फीडबैक के आधार पर इस बार की तैयारी चल रही है. वहां सबसे ज्यादा शाही की मांग है."- दीपक मिश्रा, संचालक, मोही ट्रेडिंग कंपनी लखनऊ
चाइना में आए ज्यादा मंजर: लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष ने बताया कि इस बार 70 से 80 हजार टन लीची उत्पादन की संभावना है. पिछली बार शाही ज्यादा व चाइना वेरायटी कम थी. इस बार चाइना ज्यादा व शाही कम है. बताया कि यह ट्रेंड रहता है कि एक साल शाही ज्यादा व चाइना का उत्पादन कम होता है. अभी जिस तरह का मौसम है उसके हिसाब से उत्पादन 70 हजार टन से ज्यादा जाएगा.
लीची आय का बेहतर स्रोत: संघ अध्यक्ष ने बताया कि जिले में करीब साढे दस हजार हेक्टेयर में लीची का बाग है. यहां पर हर साल करीब एक लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रहता है. लीची उत्पादन से करीब 25 हजार किसान जुड़े हैं. इसके साथ लीची जब बाग में टूटने लगती है तो उस समय करीब 15-20 हजार लोगों को रोजगार मिल जाता है. इस इलाके के लिए लीची आय का बेहतर स्रोत है.
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