मैसूरु: विश्व प्रसिद्ध मैसूर पैलेस की स्वच्छता और सुंदरता को बनाए रखने के लिए इसके आस-पास कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगा दी गई है. कहा जा रहा है कि कबूतरों के मलमूत्र के पैलेस को नुकसान पहुंच रहा है. इस संबंध में जिला कलेक्टर डॉ केवी राजेंद्र ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं.
प्रगति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष अजय कुमार जैन ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'महल के पास कोटे अंजनेया स्वामी मंदिर के सामने पक्षियों को मुट्ठी भर अनाज डालने की प्रथा है. पिछले कुछ समय से लोग अधिक अनाज डाल रहे हैं. इस वजह से कबूतर वहां बस गए हैं और महल पर बैठकर गंदगी फैलाते हैं.
वन्यजीव विशेषज्ञ राजकुमार देवराज अरास ने कहा, 'मनुष्य द्वारा खाए जाने वाले भोजन में बहुत अधिक प्रोटीन होता है. पक्षियों को उस तरह के भोजन की आवश्यकता नहीं होती. यदि हम उन्हें वहां भोजन देना बंद कर दें, तो वे अपना भोजन स्वयं खोज लेंगे. चूंकि महल के आसपास केवल मनुष्य हैं, इसलिए कबूतरों को अन्य पशु-पक्षियों से कोई खतरा नहीं है.
इसलिए वहां कबूतरों का प्रजनन बढ़ा है. कबूतरों के मल में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है. इसलिए यदि वे धरोहरों और अन्य इमारतों पर मल करते हैं, तो इससे नुकसान होता है. हमें जो भोजन हम खाते हैं, उसे पशु-पक्षियों को देने की कोई आवश्यकता नहीं है. यह अच्छी बात है कि डीसी ने कार्रवाई का नोटिस दिया है.'
पशु संरक्षणकर्ता प्रदीप ने कहा, 'मैसूर में कबूतरों की संख्या बढ़ गई है. इससे दूसरे पक्षियों को परेशानी हो रही है. यहां कौआ और मैना पक्षियों की संख्या घट रही है. इसलिए कबूतरों को दाना डालना बंद कर देना अच्छा है. महाराष्ट्र स्वास्थ्य बोर्ड ने कबूतरों को दाना डालना प्रतिबंधित कर दिया है. वे उल्लंघन करने वालों पर 500 रुपए का जुर्माना लगा रहे हैं. उन्होंने अपील की कि ऐसा नियम यहां भी लागू होना चाहिए.
पक्षी प्रेमी शिवू ने कहा, 'अगर कबूतरों की संख्या बढ़ गई तो दूसरे पक्षी परेशान होंगे. अगर हम कबूतरों को दाना नहीं खिलाएंगे तो वे भोजन की तलाश में दूसरी जगह निकल जाएंगे. अगर हम उन्हें बहुत ज्यादा खिलाएंगे तो इससे उन्हें और हमें परेशानी होगी. महल को नुकसान पहुंचेगा. इसका मतलब है कि हमें कबूतरों को दाना नहीं खिलाना चाहिए.'
पुरातत्व विभाग के आयुक्त देवराजू ने कहा, 'महल के बलराम द्वार के पास कबूतरों की संख्या बढ़ गई है. वे यहां इसलिए आ रहे हैं क्योंकि जनता उन्हें खाना खिला रही है. फिर वे महल के पास बैठकर शौच करते हैं. इससे महल की सुंदरता को नुकसान पहुंच रहा है. इस संबंध में मैसूरु जिला कलेक्टर को पत्र लिखा गया कि कबूतरों को खाना न देने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए. इसी संदर्भ में उन्होंने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.'