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CBSE: NEP 2020 के तहत स्कूलों में अब 10 दिन 'नो बैग डे', हिस्टोरिकल व टूरिस्ट पैलेस की होगी विजिट - No Bag Day in School

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत अब स्कूलों में 10 दिन 'नो बैग डे' होगा. इन दिनों में बच्चों को गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल किया जाएगा. बच्चे हिस्टोरिकल और टूरिस्ट प्लेसेज का विजिट करेंगे.

No Bag Day in School
10 दिन 'नो बैग डे' (ETV Bharat Kota)

कोटा: नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) के तहत स्कूलों में अब 10/दिन 'नो बैग डे' (No Bag Day) होगा. इस संबंध में सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने नोटिफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन में साफ किया गया है कि स्टूडेंट्स को 'बैग के बोझ से' मुक्ति देकर क्लासरूम के बाहर शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में भागीदारी बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है.

एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि एनईपी का उद्देश्य विद्यार्थियों को रटने व याद रखने की शिक्षा प्रणाली से मुक्त करना है. स्टूडेंट के सर्वांगीण विकास के लिए लॉजिकल-थिंकिंग व एक्सपेरिमेंट-लर्निंग की महती आवश्यकता है. 'नो बेग डे' के दौरान स्टूडेंट को ऐतिहासिक, पर्यटन, सांस्कृतिक केंद्र व कला दीर्घा की विजिट करें. व्यवहारिक जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू करवाया जाए. स्टूडेंट विजिट की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें और स्वतंत्र तौर पर अवलोकन आधारित शिक्षा व लेखन प्रक्रिया को बढ़ावा मिले.

पढ़ें: No Bag Day: प्रदेश के सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में मनाया गया लैब डे, अर्धवार्षिक परीक्षा से पहले छात्रों ने किया प्रैक्टिकल

देव शर्मा ने बताया कि नो बैग डे के दौरान आयोजित की जाने वाली एक्टिविटी के संबंध में भी पूरे दिशा निर्देश सीबीएसई ने जारी किए हैं. इसके दौरान 108 पेज की पूरी बुक भी स्कूलों को भेजी गई है. इन दिशा-निर्देश पुस्तिका में 'नो बैग डे' के उद्देश्यों से लेकर, उद्देश्यों को हासिल करने के लिए किए जाने वाले प्रयास की जानकारी दी गई है. सीबीएसई ने नोटिफिकेशन में यह साफ किया है कि 'नो बेग डे' लागू किए जाने पर स्टूडेंट्स में स्कूल आने की संभावना बढ़ेगी. 'नो बैग डे' के दौरान उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी सॉइलनटेस्टिंग, वॉटर टेस्टिंग व प्लांट आइडेंटिफिकेशन के दौरान ना सिर्फ विज्ञान को सीखे जबकि व्यापारिक ज्ञान भी हासिल कर सकें.

पढ़ें: SPECIAL : नो बैग डे के दिन स्कूलों में पढ़ाया जाएगा संविधान का पाठ, अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की भी दी जाएगी जानकारी

इन एक्टिविटी में स्टूडेंट्स को यह है समझाना:

  1. क्लासरूम के बाहर की दुनिया की एक्टिविटी और कार्य प्रणाली की समझ हो.
  2. स्टूडेंट में ऑब्जरवेशन के आधार पर स्थिति को समझने की क्षमता विकसित हो.
  3. श्रमदान कर उसके महत्व को समझें.
  4. वोकल फॉर लोकल को धरातल पर लाने के लिए स्टूडेंट को स्थानीय शिल्पकारों व कलाकारों से मिलाया जाए.
  5. क्लासरूम के बाहर जीवन में संभावनाओं को तलाशते हुए करियर के विकल्प के बारे में भी समझ सकें.

कोटा: नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) के तहत स्कूलों में अब 10/दिन 'नो बैग डे' (No Bag Day) होगा. इस संबंध में सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने नोटिफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन में साफ किया गया है कि स्टूडेंट्स को 'बैग के बोझ से' मुक्ति देकर क्लासरूम के बाहर शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में भागीदारी बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है.

एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि एनईपी का उद्देश्य विद्यार्थियों को रटने व याद रखने की शिक्षा प्रणाली से मुक्त करना है. स्टूडेंट के सर्वांगीण विकास के लिए लॉजिकल-थिंकिंग व एक्सपेरिमेंट-लर्निंग की महती आवश्यकता है. 'नो बेग डे' के दौरान स्टूडेंट को ऐतिहासिक, पर्यटन, सांस्कृतिक केंद्र व कला दीर्घा की विजिट करें. व्यवहारिक जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू करवाया जाए. स्टूडेंट विजिट की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें और स्वतंत्र तौर पर अवलोकन आधारित शिक्षा व लेखन प्रक्रिया को बढ़ावा मिले.

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देव शर्मा ने बताया कि नो बैग डे के दौरान आयोजित की जाने वाली एक्टिविटी के संबंध में भी पूरे दिशा निर्देश सीबीएसई ने जारी किए हैं. इसके दौरान 108 पेज की पूरी बुक भी स्कूलों को भेजी गई है. इन दिशा-निर्देश पुस्तिका में 'नो बैग डे' के उद्देश्यों से लेकर, उद्देश्यों को हासिल करने के लिए किए जाने वाले प्रयास की जानकारी दी गई है. सीबीएसई ने नोटिफिकेशन में यह साफ किया है कि 'नो बेग डे' लागू किए जाने पर स्टूडेंट्स में स्कूल आने की संभावना बढ़ेगी. 'नो बैग डे' के दौरान उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी सॉइलनटेस्टिंग, वॉटर टेस्टिंग व प्लांट आइडेंटिफिकेशन के दौरान ना सिर्फ विज्ञान को सीखे जबकि व्यापारिक ज्ञान भी हासिल कर सकें.

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इन एक्टिविटी में स्टूडेंट्स को यह है समझाना:

  1. क्लासरूम के बाहर की दुनिया की एक्टिविटी और कार्य प्रणाली की समझ हो.
  2. स्टूडेंट में ऑब्जरवेशन के आधार पर स्थिति को समझने की क्षमता विकसित हो.
  3. श्रमदान कर उसके महत्व को समझें.
  4. वोकल फॉर लोकल को धरातल पर लाने के लिए स्टूडेंट को स्थानीय शिल्पकारों व कलाकारों से मिलाया जाए.
  5. क्लासरूम के बाहर जीवन में संभावनाओं को तलाशते हुए करियर के विकल्प के बारे में भी समझ सकें.
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