नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की अध्यक्षता वाले एक NGO ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ जांच की मांग की है. जस्टिस यादव ने दक्षिणपंथी विश्व हिंदू परिषद (VHP) की एक बैठक में भाग लिया था और कथित तौर पर मुस्लिम विरोधी टिप्पणी की थी.
ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) की ओर से लिखते हुए प्रशांत भूषण ने दावा किया कि जस्टिस यादव ने अपने भाषण में समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन किया और संवैधानिक निष्पक्षता को बनाए रखने की शपथ का भी उल्लंघन किया.
The VHP was banned on various occasions. It is associated with RSS, an organisation that Vallabhai Patel banned for being a ‘force of hate and violence.’
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 9, 2024
It is unfortunate that a High Court judge attended the conference of such an organisation. This “speech” can be easily… https://t.co/IMce7aYbcf
'न्यायपालिका शर्मसार हुआ'
पत्र में लिखा गया है, "जस्टिस यादव ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अक्षम्य और अमानवीय अपशब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश का पद और न्यायपालिका शर्मसार और बदनाम हुआ है. साथ ही इससे कानून के शासन को कमजोर किया, जिसे बनाए रखने के लिए उन्हें नियुक्त किया गया है."
जांच के लिए एक समिति गठन करने की मांग
पत्र में कहा गया है, "न्यायपालिका में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए एक मजबूत संस्थागत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है और सीजेआई से आग्रह किया कि वे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को सौंपे गए न्यायिक कार्य को तुरंत निलंबित करें और उनकी जांच के लिए एक समयबद्ध, आंतरिक समिति गठित करें.
इसके अलावा, पत्र में कहा गया है कि यह भाषण न्यायपालिका की स्वतंत्रता और तटस्थता को लेकर आम नागरिकों के मन में संदेह पैदा करता है. एनजीओ ने न्यायपालिका से 'बहुसंख्यकवाद विरोधी संस्था' बने रहने और अपने कामकाज में 'निष्पक्षता और समानता' बनाए रखने की भी अपील की.पत्र के अनुसार, "जस्टिस यादव की टिप्पणी उनके न्यायिक कर्तव्यों को निष्पक्षता के साथ निभाने की उनकी क्षमता पर गंभीर संदेह पैदा करती है."
असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?
इसे पहले सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नेता वृंदा करात ने भी मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है, जबकि हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हाई कोर्ट के जज पर सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (VHP) की बैठक में भाग लेने के लिए पर कहा कि भारत का संविधान बहुसंख्यकवादी नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक है और लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है.