पटनाः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह मुख्यमंत्री पद तभी स्वीकार करेंगे जब आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में जनता उनकी ईमानदारी पर मुहर लगाएगी. उन्होंने कहा, "हम अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए जनता की अदालत में जाएंगे." केजरीवाल के इस फैसले पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि यह मजबूरी में लिया गया फैसला है. केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने के लिए मजबूर कर दिया.
"मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आपको मुख्यमंत्री कार्यालय जाने से मना कर दिया. जब सर्वोच्च न्यायालय ने आपको रोक दिया तो आपके पास कोई चारा नहीं ही है, तो आपने एक नई व्यवस्था के तहत कहा कि हम इस्तीफा दे देंगे. यह मजबूरी में लिया गया फैसला है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू
जेल में आत्मबल बढ़ताः अरविंद केजरीवला ने अपने संबोधन में यह भी कहा था कि जेल में रहने पर उनका आत्मबल बढ़ता है. नीरज कुमार ने केजरीवाल के इस वक्तव्य पर तंज कसते हुए पूछा कि अगर जेल में रहने से आत्मबल बढ़ता है तो आपने जमानत के लिए आवेदन क्यों दिया. केजरीवाल के शराब से राष्ट्र का निर्माण होता है वाले बयान पर निशाना साधा. नीरज कुमार ने कहा कि यह केजरीवाल की परिकल्पना है.
दिल्ली में संवैधानिक संकटः दिल्ली सरकार का कार्यकाल फरवरी 2025 तक है. कुछ दिन पहले BJP विधायकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर केजरीवाल सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी. इस चिट्ठी को राष्ट्रपति कार्यालय ने गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है. तब केजरीवाल जेल में थे. अब केजरीवाल को जमानत तो मिल गयी है लेकिन कोर्ट ने कार्यलय नहीं जाने और फाइल पर साइन नहीं करने की पाबंदी लगा दी है. जिससे संवैधानिक संकट खड़ा हो रहा था.
क्यों गिरफ्तार हुए थे केजरीवालः अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. फिर CBI ने 26 जून को भ्रष्टाचार मामले में उन्हें तिहाड़ जेल से ही गिरफ्तार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ED मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन भ्रष्टाचार मामले में उन्हें जेल में ही रहना पड़ा. अब उन्हें सशर्त जमानत मिली है.
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